SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भरतेश वैभव ११९ भरतेश्वर देवी ! दुःख हुआ होगा ! मेरी ओर से उस प्रकार हुआ भी होगा। जाने दो, अब उम संतापकी शांति करता हूँ। तुम मेरे पास आओ। तुम जो मांगेगी वह दूंगा । अब दुःखी मत होओ। इधर आओ! __'अय्यय्यय्या! हमेंआप कौन समझ रहे हैं ? क्या क्षद्र इच्छा करनेवाली हम दासी हैं क्या? शरीरके प्रति हमारा मोह नहीं । परमात्माकी भक्ति हमारे हृदय में है 1 यह बात क्या आपको मालम नहीं? उत्तमोत्तम वस्त्राभूषण आपका देना क्या, हमारा लेना क्या? इसमें बड़ी बात क्या है ? पत्थर, मिट्टी, महल, वस्त्र, आभूषण, अभिमान व अभिलाषा जब एक बार दूर हई तो फिर इन चीजोकी कीमत क्या है ? अनेक उत्तमोत्तम गुणगण ही हमारे आभूषण हैं । स्वाभिमान ही हमारे वस्त्र हैं। हमें इन बातोंका समाधान है। इस स्थितिमें मधुर वचनोंसे हमें प्रलोभन नहीं दिखाइये । हम इसमें फँसनेवाली नहीं हैं' इस प्रकार स्वच्छ कहकर वहींपर खड़ी रहीं। भरतेश्वर अब इतर रानियोंको संकेत कर उन्हें बुलाने की प्रेरणा करने लगे । चंदनावती ! जाओ, मंगलावती जाओ, उन दोनोंको तुम जाकर बुला लाओ । आजके दुःखको उन्हें भूलने दो। आगे जैसा कहेंगी मैं चलूंगा। ऐसा है क्या? आगे ऐसा नहीं होगा ना? इस प्रकार दोनों रानियोंने पूछा। भरतेशने कहा कि विश्वास रखो कि आगे ऐसा नहीं होगा। राजाके वचनको होकार देकर अन्य दो रानियाँ उनके पास गईं। व कहने लगी कि जाने दो। अब नाराज मत हो जो कुछ हुआ सहन करो । पतिदेव कह रहे हैं । अब आग्रह मत करो। हमारे साथ चलो। ___ बहिन ! तुम लोग आये क्यों? तुम्हारी ओरसे हमें कोई कष्ट नहीं हुआ है । जिनकी ओरसे हमारा तिरस्कार हुआ उनकी तरफ हमें बुलाने तुम आई हो, क्या यह उचित है ? उन दोनोंने कहा। बहिनों ! राजाने इतनी दीनतासे कहा तब तो भूल जाना चाहिये । यही राजसतियोंका लक्षण व गुण है। आग्रह मत करना । पुनः समझाया। __ 'ये गुण तुम्हारे पास होंगे। हमें तो कोप आता है। तुम हमपर कोप मत करो । इस प्रकार उन दोनोंने हाथ जोड़कर कहा ।
SR No.090101
Book TitleBharatesh Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnakar Varni
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages730
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy