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________________ शान्तिगिरि क्षेत्र | 21 शान्तिगिरि क्षेत्र मार्ग (चिकोडी-निपाणी सड़क पर)-इस सड़क-मार्ग पर जब निपाणी केवल 6 कि. मी. रह जाता है, तब वहाँ कर्नाटक सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा लगाया गया मेहराबदार एक बोर्ड दिखाई पड़ता है जिस पर लिखा है "श्री आचार्य देश भूषण जैन दिगम्बर आश्रम" (नागरी लिपि में) । यहीं से कोथली गाँव को सड़क जाती है जहाँ यह आश्रम है। इसी सड़क पर इस बोर्ड से पहले एक और बोर्ड ठीक इसी प्रकार का लगा है। वहाँ से एक सड़क सीधी कुप्पानवाडी गाँव को जाती है और कुछ अच्छी बताई जाती है (चिकोड़ी की ओर से आने वालों के लिए यह सुविधाजनक हो सकती है)। यह सड़क भी सीधी देशभूषण आश्रम तक पहुँचती है। जो भी हो, कोथली स्थित आचार्य देशभूषण आश्रम से शान्तिगिरि क्षेत्र केवल डेढ़ कि. मी. है और आश्रम से दिखाई देता है। जो सरकारी बसें निपाणी से चिकोड़ी तक चलती हैं वे दोनों ही गाँवों में जाकर मुख्य सड़क पर आती हैं। यह भी एक सुविधा है क्योंकि बसें आश्रम तक आती हैं। उत्तर भारत के बहत-से जैन पर्यटकों तथा जैन तीर्थों की पर्यटक बस चलाने वाले लोगों को शान्तिगिरि क्षेत्र की जानकारी नहीं होती, ऐसा जान पड़ता है। वे प्रायः बम्बईसतारा और कोल्हापुर होते हुए यात्रियों को कुम्भोज बाहुवली ले जाते हैं। और फिर पूनाबंगलोर राजमार्ग 4 क्र. से यात्रा कर निपाणी होते हुए सीधे स्तवनिधि पहुँचते हैं और स्तवनिधि को ही महाराष्ट्र की ओर से कर्नाटक में प्रवेश के बाद पहला तोर्यस्थान यात्रियों को बताते हैं। यदि वे निपाणी से चिकोड़ी सड़क (6 कि. मी.) ले लें तो कोथली में आचार्य देशभूषण आश्रम होते हुए शान्तिगिरि पहुँच सकते हैं और वापस निपाणी लौटकर स्तवनिधि की ओर प्रस्थान कर सकते हैं। कुम्भोज बाहुवली से भी शान्तिगिरि के लिए एक और छोटा सड़कमार्ग है जो कि इस प्रकार है-कुम्भोज बाहुबली से इचलकरंजी (महाराष्ट्र का नगर, कपड़े का व्यापार-केन्द्र) 18 कि. मी., वहाँ से कुप्पानवाडी गाँव 25 कि. मी. और वहाँ आचार्य देशभषण आश्रम होते हुए शान्तिगिरि क्षेत्र, फिर वहाँ से आचार्य श्री देशभूषण महाराज के गाँव कोथली एवं आश्रम होते हुए निपाणी जहाँ पूना-बंगलोर राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 4 उन्हें स्तवनिधि ले जायेगा। रेल से यात्रा करने वालों को मिरज जंक्शन से 65 कि० मी० दूर चिकौडी-रोड स्टेशन उतरकर चिकोडी से बस द्वारा देशभूषण आश्रम और वहाँ से शान्तिगिरि क्षेत्र जाना होगा। निपाणी में लगभग 200 जैन परिवार रहते हैं। यह छोटा-सा शहर तम्बाकू के व्यापार के लिए प्रसिद्ध है । यहाँ दो दिगम्बर और दो श्वेताम्बर मन्दिर हैं। एक श्वेताम्बर धर्मशाला भी है। - यदि कोई यह प्रश्न करे कि बम्बई-कुम्भोज बाहुबली की ओर से प्रवेश करने पर समय की कमी को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक का पहला तीर्थस्थान कौन-सा है तो हमारा यही उत्तर होगा कि वह स्थान शान्तिगिरि क्षेत्र है। आचार्यरत्न देषभूषण जी की जन्मस्थली के अत्यन्त निकट एक सुन्दर रमणीक पहाड़ी पर इसका निर्माण सन् 1979 में प्रारम्भ हुआ । शान्तिगिरि न तो सिद्धक्षेत्र है और न ही अतिशयक्षेत्र, किन्तु एक आधुनिक धर्मस्थल है जिसकी कल्पना एवं
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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