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________________ बीजापुर | 13 जेवर्गी गुलबर्गा से बीजापुर के मार्ग में 39 कि. मी. की दूरी पर जेवर्गी नामक स्थान पड़ता है । यद्यपि तीर्थयात्री या पर्यटक की दष्टि से इसका आकर्षण नहीं है, किन्तु यदि किसी को बीच में देवदर्शन की आवश्यकता पड़े तो वह यहाँ की शान्तिनाथ बसदि में दर्शन कर सकता है। इस मन्दिर के लिए एक गली में मुख्य सड़क से सीधा मार्ग पुलिस स्टेशन होकर जाता है। मन्दिर एक साधारण भवन जान पड़ता है, पत्थर का बना है, उस पर शिखर नहीं है। मन्दिर में शान्तिनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा (लगभग 4 फुट), पार्श्वनाथ को दो कांस्य प्रतिमाएँ, सुपार्श्वनाथ, शान्तिनाथ और कुन्थुनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमाएँ हैं। घोड़े पर सवार ब्रह्मयक्ष की भी प्रतिमा है। पद्मावती की एक खण्डित प्रतिमा के हाथ में नागदण्ड है (देखें चित्र क्र. 7)। पंचपरमेष्ठी की भी एक प्रतिमा है। यहाँ ललितासन में एक और जैन देवो को मूर्ति प्रतीत होती है जिसका स्थानीय नाम 'कालम्मा' है। उसके हाथ में खड्ग और गदा है तथा वरदमुद्रा है। गुलबर्गा जिले के अन्य स्थानों पर जैन मन्दिर गुलबर्गा जिले में अनेक स्थानों पर जैन मन्दिर या बसदियाँ हैं । यथा—अलंद (पाव बसदि), असुर (शाहपुर तालुक-ध्वस्त मन्दिर), अथनूर (अफजलपुर-ध्वस्त चन्द्रनाथ बसदि), बंकुर (चितपुर तालुक–शान्तिनाथ बसदि), गोगी (जेवर्गी तालुक-पार्श्व बसदि), हरसुर (चिंचोली तालुक-पंचकूट बसदि), हुंचालिगे (अफजलपुर तालुक-पार्श्व बसदि), इंगलिगे (वाड़ी स्टेशन के पास-ध्वस्त मन्दिर), कलगी (चिंचोली तालुक-त्रिकूट बसदि), कलगेरी (जेवर्गी तालुक-ध्वस्त मन्दिर), मलगट्टी (चितपुर तालुक-आदिनाथ बसदि), मल्लि (जेवर्गो तालुक-मल्लि जिनालय), नगै (चितपुर तालुक–नगै बसदि), सेडम (शान्तिनाथ बसदि), शिरवाल (शाहपुर तालुक-पंचगुप सिद्धेश्वर नामक जैन मन्दिर), सिरभाग (गुलबर्गा तालुक -ध्वस्त जैन मन्दिर), तडकल (अलंद तालुक-पार्श्वनाथ बसदि), यादगिरि (यादगिरि तालुक --महावीर बसदि)। उपर्युक्त सूची से यह स्पष्ट होगा कि गुलबर्गा जिले के गाँव-गाँव में जैन धर्म का प्रचार था और वहाँ अब भी बहुत से स्थानों में जैन मन्दिर या उनके अवशेष विद्यमान हैं। बीजापुर (दक्षिण का आगरा) अवस्थिति और मार्ग गुलबर्गा से सड़क-मार्ग द्वारा बीजापुर का यात्राक्रम इस प्रकार है-गुलबर्गा से जेवर्गी 39 कि. मी., जेवर्गी से सिंदगी (Sindgi) 45 कि. मी., सिंदगी से हिप्परगी (Hippargi) 23 कि. मी. और वहाँ से बीजापुर 37 कि.मी.।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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