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________________ 202 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) मन्दिर के परिसर में छह मन्दिर और हैं जिनमें प्रमुख हैं-कप्पे चन्निगराय, वीरनारायण, अण्डल और अलवास । सीढ़ियोंदार एक छोटी बावड़ी और अनेक शिलालेख भी यहाँ हैं । जैन चिह्न गोपुर से दाहिनी ओर एक लम्बा बरामदा है। उसमें लगभग बीचोंबीच एक वीरगल (वीरस्मारक) है। यह लगभग चार फुट ऊंचा पाषाण है। उसमें सबसे ऊपर छत्र से युक्त पद्मासन तीर्थंकर, चँवरधारी और सूर्य तथा चन्द्रमा उत्कीर्ण हैं। उनके नीचे कन्नड़ में जो लेख है वह बहुत कुछ घिस गया है । यह पाषाण दीवाल में जड़ा है। ___ कर्नाटक सरकार द्वारा प्रकाशित हासन जिले के गजेटियर में यहाँ के एक शिलालेख का उल्लेख है। उसमें कहा गया है : “शैव जिसे 'शिव' कहते हैं, वेदान्ती 'ब्रह्म' कहते हैं, बौद्ध 'बुद्ध' कहते हैं, मीमांसक 'कर्म' कहते हैं और जैन जिसे 'अर्हन्' कहते हैं, ये सब एक ही ईश्वर केशव के नाम हैं।" यदि यह विष्णुवर्धन का लिखवाया लेख है तो यह, यह भी सिद्ध करता है कि जैन राजा विष्णुवर्धन समदर्शी था, सभी धर्मों का आदर करता था और उसके नाम से जैनों पर उसके जो अत्याचार बताए जाते हैं वे सत्य नहीं हैं। बेलूर के बाद हलेबिड (17 कि. मी.) के लिए प्रस्थान करना चाहिए। हलेबिड मार्ग हलेबिड (Halebidu) सड़क-मार्ग द्वारा बेलूर से 17 कि. मी. दूर है। वहाँ से सरकारी बसों के अतिरिक्त मेटाडोर भी मिलती हैं । हासन से यह स्थान 40 कि. मी. की दूरी पर है और श्रवणबेलगोल से लगभग 92 कि. मी. तथा बंगलोर से 216 कि. मी.। मैसर से यह स्थान 160 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन हासन है जहाँ मैसूर और बंगलोर से मीटर गेज की गाड़ियाँ आती हैं। बम्बई से आने वाले यात्री अरसीकेरे स्टेशन पर उतरकर हासन होते हुए यहाँ आ सकते हैं। एक सावधानी-कर्नाटक सरकार का पर्यटन विभाग मैसूर तथा बंगलोर से पर्यटक बसें चलाता है। प्राइवेट बसें भी चलती हैं जो एक ही दिन में श्रवणबेलगोल, बेलूर और हलेबिड की यात्रा करा देती हैं । इन बसों से यात्रा करनेवाले श्रवणबेलगोल में केवल बाहुबली की मूर्ति देख पाते हैं और हलेबिड के जैनमन्दिर तो बिलकुल ही नहीं देख पाते । इसलिए यदि थोड़ा समय और लगाया जाए तो ठीक रहे। यात्रा का अवसर बार-बार तो आता नहीं।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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