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________________ 24 | भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) देने और रामय्य को वही करिश्मा दिखाने के लिए कहा। जैनों ने राजा से क्षति पूर्ति की मांग की, न कि झगड़ा बढ़ाने की। इस पर राजा ने रामय्य को जयपत्र दिया। इस चमत्कार की कहानी में विद्वानों को सन्देह है और इसका यही अर्थ लगाया जाता है कि वीरशैव या लिंगायत मत के अनुयायियों ने जैनों पर उन दिनों अत्याचार किये थे। एक मत यह भी है कि बिज्जल भी बासव की बहिन और अपनी सुन्दर रानी पद्मावती के प्रभाव से वीरशैव मत की ओर झुक गया था किन्तु उसे विषाक्त आम खिलाकर मार दिया गया। होयसल राजवंश यह वंश कर्नाटक के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध राजवंश है। इस वंश से सम्बन्धित सबसे अधिक शिलालेख श्रवणबेलगोल तथा अन्य अनेक स्थानों पर पाए गए हैं। इस वंश के राजा विष्णुवर्धन और उसकी परम जिनभक्त, सुन्दरी, नृत्यगानविशारदा पट्टरानी शान्तला तो न केवल कर्नाटक के राजनीतिक और धार्मिक इतिहास तथा जनश्रुतियों में अमर हो गए हैं अपितु उपन्यास आदि साहित्यिक विधाओं के भी चिरजीवी पात्र हो गए हैं । मूडबिद्री के प्राचीन जैन ग्रन्थों में भी उनके चित्र सुरक्षित हैं। उपर्युक्त वंश अपनी अद्भुत मन्दिर और मूर्ति निर्माण-कला के लिए भी जगविख्यात है। बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुर (सभी कर्नाटक में) के तारों (star) की आकृति के बने, लगभग एक-एक इंच पर सुन्दर, आकर्षक नक्काशी के काम वाले मन्दिरों ने उनके शासन को स्मरणीय बना दिया है। उनके समय की निर्माणशैली अब इस वंश के नाम पर होय्सल शैली मानी जाती है। उसकी पृथक् पहिचान है और पृथक् विशेषता। होय्सल वंश की राजधानी सबसे पहले सोसेवूर या शशकपुर (आजकल का नाम अंगडि) फिर बेलूर और उसके बाद द्वारावती या द्वारसमुद्र या दोरसमुद्र में रही। अन्तिम स्थान आजकल हलेबिड (अर्थात पुरानी राजधानी) कहलाता है और नित्य ही वहाँ सैकड़ों पर्यटक मन्दिर देखने के लिए आते हैं। इस वंश की स्थापना जैनाचार्य सुदत्त वर्धमान ने की थी। होय्सलनरेश जैनधर्म के प्रतिपालक थे. उसके प्रबल पोषक थे। रानी शान्तला तो अपनी जिनभक्ति के लिए अत्यन्त प्रसिद्ध है। उसके द्वारा श्रवणबेलगोल में बनवायी गयी 'सवतिगन्धवारण बसदि' और वहाँ का शिलालेख उसकी अमर गाथा आज भी कहत हैं । इस वंश का इतिहास बड़ा रोचक और कुछ विवादास्पद (सही दृष्टि हो तो विवादास्पद नहीं) है। विशेषकर विष्णुवर्धन को लेकर तरह-तरह की अनुश्रुतियाँ प्रचलित हैं। जो भी हो, होय्सलवंश का इतिहास और उससे सम्बन्धित तथ्यों की संक्षिप्त परीक्षा इसी पुस्तक में 'हलेबिड' के परिचय के साथ की गई है। वह पढ़ने पर बहुत-सी बातें स्पष्ट हो जाएंगी। होय्सलवंश का अन्त 1310 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के और 1326 ई. में मुहम्मद तुगलक के आक्रमणों के कारण हो गया। विजयनगर साम्राज्य (1336-1565 ई.) यह हम देख चुके हैं कि होय्सल साम्राज्य का अन्त अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद तुगलक के आक्रमणों के कारण हुआ। अन्तिम होय्सलनरेश बल्लाल की मृत्यु के बाद उसके एक सरदार संगमेश्वर या संगम के दो बेटों-हरिहर और बुक्का–ने मुसलमानों का शासन समाप्त करने की दृष्टि से संगम नामक एक नये राजवश की 1336 ई. में नींव डाली। उन्होंने अपनी राजधानी विजयनगर (या विद्यानगर) में बनाई जो कि आजकल हम्पी कहलाती है। यह वाल्मीकि रामायण में वर्णित किष्किन्धाक्षेत्र में स्थित है और
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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