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________________ जोग-झरने | 111 स्वस्ति श्री भट्टाकलंक भट्टारक स्वामी जी, ग्राम-स्वादी (सोदे)Swadi पो.-सोंडा(Sonda) तालुक-सिरसी (Sirsi) ज़िला-कारवाड़ (Karwar), कर्नाटक यहाँ से वापस सिरसी लौटना चाहिए। जोग-झरने : दर्शनीय स्थल कभी-कभी पर्यटक का मन करता है कि मन्दिर-मूर्तियाँ देखने के साथ ही यदि प्राकृतिक सौन्दर्य भी देखने को मिल जाए तो कितना अच्छा रहे ! यदि ऐसा स्थान यात्रा-क्रम के बीच में हो तो और भी अच्छा। ऐसी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं 'जोग झरने' (Jog Falls)। मार्ग हुबली-बंगलोर रेलमार्ग (दक्षिण रेलवे) पर, बिरूर (Birur) नामक स्थान से मीटरगेज की एक लाइन बिरूर-तालगप्पा तक है (बीच में शिमोगा और सागर आते हैं)। तालगप्पा से ये झरने सड़क-मार्ग द्वारा सोलह कि. मी. हैं। सड़क-मार्ग द्वारा सिरसी से यहाँ पहुँचने के लिए सिद्धपुर (सिद्धापुर Siddhapur), वहाँ से तालगप्पा होते हुए यहाँ पहुँचा जाता है। सिरसी से तालगप्पा तक एक्सप्रेस और सेमी-लक्ज़री बसें भी चलती हैं। सिरसी से भी सीधी बस चलती है। ठहरने आदि की दृष्टि से यह उपर्युक्त होगा कि पर्यटक सिरसी से सागर जाए और वहाँ बाजार क्षेत्र में ठहरकर, बस द्वारा जोगझरने देख आये। वैसे इन झरनों पर भी ठहरने की अच्छी सुविधाएँ हैं। यहाँ ठहरने के लिए झरनों के ठीक सामने वुडलेण्ड्स होटल (शाकाहारी और सस्ता), निरीक्षण बंगला तथा सरकारी यूथ होस्टल (सस्ता तथा शाकाहारी) या पास ही के करगल नामक स्थान में कुछ लॉज हैं। ये सब शिमोगा जिले में हैं । झरने जहाँ से गिरते हैं वहाँ भी पी. डब्ल्यू. डी. का गेस्ट हाउस है जो कि कारवाड़ जिले में आता है। अगर पुल ठीक नहीं हुआ तो परेशानी होती है । शिमोगा जिले की हद में ठहरना ही उचित है। जोग झरने वास्तव में झरने नहीं, बल्कि शरावती नदी है। यह चार बड़े-बड़े झरनों के रूप में बँटकर, 960 फीट की ऊँचाई से नीचे घाटी में गिरकर, एक ऐसा सुन्दर दृश्य उपस्थित करती है जो अन्यत्र दुर्लभ है। उसकी इन चार धाराओं के भी बड़े सुन्दर नाम रखे गए हैं। बाएँ से दाएँ देखना शुरू करें तो पहली धारा या झरना 'राजा' कहलाती । यह धारा सबसे बड़ी है। उसके पास की दूसरी धारा 'रोअरर' (Roarer) कहलाती है क्योंकि उसके गिरने से जोर की आवाज़ होती है। तीसरी धारा का नाम' (Rocket) है। यह सँकरे मार्ग से आकर गिरती है,
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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