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________________ हुबली | 91 हरपनहल्ली (Harpanhalli) ___ हरपनहल्ली में होस बसदि (नया मन्दिर) और कोट बसदि नामक दो जैन मन्दिर हैं । होस बसदि में कुछ आकर्षक एवं प्राचीन जैन प्रतिमाएँ आदि हैं। यहाँ एक ही फलक पर चौबीस तीर्थंकरों के चरण हैं। यह निर्मिति 18वीं शताब्दी की है। ऐसा अंकन अन्यत्र नहीं पाया जाता। 17वीं शताब्दी की लगभग साढ़े-तीन फुट ऊँची पद्मासन पार्श्वनाथ प्रतिमा पर नौ फण इस प्रकार बने हैं कि वे अठारह मालूम पड़ते हैं। एक अन्य फलक पर सात फणी नाग इस प्रकार गुथा है कि एक आकर्षक आकृति बनती है (देखें चित्र क्र. 27)। यहाँ दसवीं सदी की नेमिनाथ की एवं बारहवीं सदी की बाहुबली (चित्र क्र. 28) की कांस्य प्रतिमाएँ भी हैं। ___ इसी नगर की कोट बसदि में भी ग्यारहवीं सदी से लेकर सत्रहवीं सदी तक की प्राचीन मूर्तियाँ हैं । चार सुन्दर चौबीसी भी इस जिनालय में हैं, जिनके मूलनायक अजितनाथ (?), तथा महावीर, शान्तिनाथ एवं अन्य एक तीर्थंकर हैं। धरणेन्द्र की भी दो-एक सुन्दर मूर्तियाँ यहाँ स्थापित हैं। कोगलि (Kogali) यहाँ की पार्श्वनाथ बसदि इस समय ध्वस्त अवस्था में है। इसका निर्माण-काल पाँचवीं या छठी शताब्दी है। मन्दारगुट्टि (Mandargutti) यहाँ दसवीं सदी की एक कायोत्सर्ग पार्श्वनाथ की मूर्ति है जिस पर सात फणों छाया है। यहीं पद्मासन में पार्श्वनाथ की एक मूर्ति चौदहवीं शताब्दी की है। उज्जैनी (Ujjaini) उज्जैनी या उज्जिम (Ujjim) नामक स्थान पर ग्यारहवीं सदी की एक जैन बसदि (चित्र क्र. 29) पर इस समय शैव लोगों का अधिकार है। स्मरण रहे, इसी जिले में प्राकृत भाषा में अशोक के शिलालेख प्राप्त हुए हैं जिनसे इस प्रदेश पर मौर्य शासकों का शासन सिद्ध होता है। मान्यता है कि इस वंश के मूल संस्थापक सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य थे। ............ हुबली अवस्थिति एवं मार्ग हम्पी से हुबली पहुँचने के लिए मार्ग इस प्रकार है : हम्पी-होसपेट-कोप्पल-लक्कुण्डि -गदग-(वहाँ से 34 कि.मी.) हुबली (Hubli)। पूना-बंगलोर राजमार्ग पर स्थित यह नगर धारवाड़ से केवल 21 कि.मी. दूर है । बेलगाँव
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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