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________________ 70 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) हैं (जैसे फोटो लेने की मनाही आदि) । होसपेट और आसपास के लोगों के लिए यह सैर की जगह है। इसके निचले भाग की ओर एक सुन्दर उद्यान भी है जो कि बाँध तक जाते समय दिखाई देता है । ग्रीष्म ऋतु में बाँध में पानी कम हो जाता है । 1 बाँध के पास की पहाड़ी पर भारत का एक अत्यन्त सुन्दर नक्शा बना हुआ है। इसी ऊँची पहाड़ी पर एक वैकुण्ठ गेस्ट हाउस है । वहाँ से आसपास का सुहावना दृश्य देखने के लिए एक शिखर बना है । बाँध के क्षेत्र में ठहरने के लिए वैकुण्ठ और कैलाश गेस्ट हाउस ( सर्किट हाउस ), कर्नाटक सरकार के पर्यटन विकास निगम का टूरिस्ट लॉज, डॉर्मिटरी ( तुंगभद्रा बोर्ड), निरीक्षण बंगला तथा मुनीराबाद में इन्द्रभवन और लेकव्यू गेस्ट हाउस हैं । जिनके पास होसपेट हम्पी आदि जाने के लिए अपना साधन और पर्याप्त पैसा नहीं हैं, उन्हें होसपेट में ही ठहर जाना चाहिए । यहाँ कोट्टू और स्वामीहल्ली नामक दो स्थानों से मीटरगेज की एक-एक पैसेंजर गाड़ियाँ भी आती-जाती हैं जो कि होसपेट पर समाप्त होती हैं । स्वयं रेलवे की सूचना है कि बरसात में इन गाड़ियों की अनिश्चितता रहती है । वैसे यहाँ से होसपेट के लिए स्थानीय बसें और लम्बी दूरी की बसें भी काफी मिलती हैं । जो भी हो, पर्यटकों को होसपेट से आते-जाते यह बाँध अवश्य देख लेना चाहिए । होसपेट होसपेट का प्राचीन नाम होसपत्तन है । सन् 1520 के एक लेख के अनुसार, किसी समय यह स्थान नागलपुर भी कहलाता था जो कि विजयनगर के सुप्रसिद्ध शासक कृष्णदेवराय की रानी नागलदेवी के नाम पर रखा गया था । अब यह सूती कपड़ों की बुनाई के लिए प्रसिद्ध है । हम्पी या विजयनगर साम्राज्य के कला-वैभव को देखने के लिए यह स्थान मुख्य पड़ाव है । होसपेट आधुनिक कर्नाटक राज्य के बल्लारी ( Bellary) जिले का एक तालुक है और सड़क तथा रेल-मार्ग द्वारा भली-भाँति जुड़ा हुआ है। अवस्थिति एवं मार्ग दक्षिण-मध्य रेलवे की हुबली-गुंतकल मीटरगेज रेलवे लाइन पर होसपेट एक रेलवे स्टेशन है । यहाँ से हुबली 145 कि. मी. है। रास्ते में गदग तथा कोप्पल रेलवे स्टेशन आते हैं । रेल मार्ग से बल्लारी 65 कि. मी. और गुंतकल 114 कि. मी. है। इस मार्ग पर हुबली से गुंतकल तक विजयनगर एक्सप्रेस चलती है। शहर से रेलवे स्टेशन तीन चार कि. मी. दूर है, उसके आसपास ठहरने की खास सुविधा भी नहीं है। साइकिल-रिक्शा ही एकमात्र सवारी है ।
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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