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________________ तुंगभद्रा बाँध | 69 चक्रेश्वरी यक्षी हैं । इसी प्रकार घोड़े पर सवार सुखासन में ब्रह्मदेव का (संभवतः आठवीं सदी) विग्रह है। ग्यारहवीं सदी की पद्मावती मति भी प्राप्त हई है। हूलिगे—यह स्थान भी कोप्पल तालुक में है। यहाँ की पार्श्वनाथ बसदि में शंकु के आकार के शिला-फलक पर त्रिकाल चौबीसी (भूत, भविष्य और वर्तमान के 72 तीर्थंकर) चारों ओर उत्कीर्ण हैं। यह फलक लगभग तीन फीट का है और दसवीं सदी का। दसवीं और ग्यारहवीं सदी की महावीर और पार्श्वनाथ की भी यहाँ सुन्दर प्रतिमाएँ हैं। . आनेगुण्डी—यह भी कोप्पल तालुक में है। यह हम्पी में ही है और तुंगभद्रा नदी के उत्तर में है। हम्पी के साथ भी इस स्थान का वर्णन दिया गया है। यहाँ, तुंगभद्रा नदी की बीच धारा में, एक विशाल शिलाखण्ड है। इस पर उत्कीर्ण हैं—एक गुफा और सल्लेखना क दृश्य । यह अंकन 12वीं सदी का है। चित्र में एक पद्मासन तीर्थंकर, केवल चँवर और तीन छत्रों सहित प्रदर्शित हैं । उसमें एक स्त्री हाथ जोड़े हुए और दूसरी ओर एक पुरुष पुष्पांजलि लिये हुए दिखाया गया है। यहाँ के अनन्त पद्मनाभ मन्दिर के पास एक शिला पर भी सल्लेखना का दृश्य और उसका विवरण अंकित है। यहाँ का मन्दिर ध्वस्त अवस्था में है। रायचूर की ऋषभनाथ बसदि में तीर्थंकर की एक असामान्य प्रतिमा है। कायोत्सर्ग मुद्रा में यह तीर्थंकर प्रतिमा सिर से चरण तक गोलाकार है। उस पर न तो छत्र है और न ही यक्ष । विविध अंकनयुक्त यह वर्तल प्रतिमा दर्शनीय है। इस मन्दिर में दसवीं सदी की दो से तीन फीट तक की आदिनाथ और पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ भी हैं । ग्यारहवीं सदी की संगमरमर की आदिनाथ की मूर्ति और एक चौबीसी भी है। संगमरमर की चौदहवीं शताब्दी की तीर्थंकर आदिनाथ की प्रतिमा का प्रभामण्डल बड़ा सुन्दर है। प्रतिमा उच्चासन पर विराजमान है। कोप्पल के बाद किन्तु होसपेट के निकट, तुंगभद्रा बाँध से पहले, नसीराबाद नामक स्थान आता है। वहाँ से भी जैन मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। भाषा-लक्कुण्डि, कोप्पल आदि स्थानों में हिन्दी भी बोली और समझी जाती है। यदि समयाभाव के कारण पर्यटक कोप्पल नहीं रुक सके या जा सके तो उसे गदग या लक्कूण्डि से सीधे ही होसपेट के लिए प्रस्थान करना चाहिए। तुंगभद्रा बाँध : एक दर्शनीय स्थल - कोप्पल से होसपेट सड़क-मार्ग द्वारा जाने पर तुंगभद्रा नदी पर बना विशाल एवं दर्शनीय बाँध रास्ते में आता है। इस बाँध से होसपेट केवल 6 किलोमीटर दूर है। यह बाँध 162 फीट ऊँचा है। इसके जल-निकास द्वारों से वेग से निकलता जल एक सुन्दर दृश्य उपस्थित करता है। इसका जलक्षेत्र 378 कि. मी. है और इससे कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश की 20 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है तथा बिजली प्राप्त होती है। यहाँ अन्य बाँधों की तरह कुछ पाबंदियाँ भी
SR No.090100
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1988
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size23 MB
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