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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
मेला
यहां प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ला पूर्णमासीसे अगहन वदी ५ तक मेला होता है। इसी अवसर पर केशोराय मन्दिरका भी मेला होता है। प्रतिवर्ष वैशाख वदी १० को जैन मेला करनेका प्रयास जारी है। संवत् २०१६ में यहाँ पंचकल्याणक प्रतिष्ठाका विशाल समारोह हुआ था। व्यवस्था
नगरमें दिगम्बर जैनोंके केवल ४-५ घर हैं। यहाँको व्यवस्था दिगम्बर जैन पंचायतकी ओरसे सेठ मोहनलालजी और उनके परिवारवाले करते हैं। क्षेत्रका पता इस प्रकार है
मन्त्री, श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पो० केशोरायपाटन (बूंदी ) राजस्थान
बिजौलिया
मार्ग और अवस्थिति
राजस्थान प्रदेशके भीलवाड़ा जिलेमें उपरमाल परगनेके निकट श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बिजौलिया अवस्थित है। यहां पहुंचनेके लिए तीन मार्ग हैं-(१) कोटासे बूंदी होते हुए यह स्थान ८५ कि. मी. तथा बूंदी रोडसे १० कि. मी. है, पक्की सड़क है। मोटर सुगमतासे पहुँच सकती है । यह मार्ग सबसे सुगम है। (२) भीलवाड़ासे माण्डलगढ़ होते हुए यह क्षेत्र लगभग ८५ कि. मी. है। माण्डलगढ़से क्षेत्र ३७ कि. मी. है। (३) नीमच कैण्टसे सिंगौली होकर लगभग १०० कि. मी. है। किन्तु सिंगौलीसे लगभग २२ कि. मी. कच्चा मार्ग है। ऊंट या घोड़े द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।
बिजोलिया, उदयपुरसे पूर्व में २२४ कि. मी. और कोटासे पश्चिममें ८५ कि. मी. है और चित्तौडसे उत्तर-पूर्वमें ११२ कि.मी. दूर है। बिजोलिया ग्राम प्राचीन है। ग्रामके चारों अ चहारदीवारी बनी हुई है। चहारदीवारीसे दक्षिण-पूर्वमें १ मील दूर यह क्षेत्र है। बिजौलियाका इतिहास
शिलालेखोंमें इस स्थानके कई प्राचीन नाम मिलते हैं, जैसे विन्ध्यवल्ली, विजयवल्ली, अहेचपुर, मोराकुरा, विन्ध्यावली आदि। सम्भवतः विजयवल्लीका अपभ्रंश होकर विजहल्या
और उससे फिर बिजोल्या बन गया। किन्तु ये नगर ठीक उसी स्थानपर नहीं थे जहाँ वर्तमान बिजौलिया है। मोराकुरा वर्तमान नगरसे दक्षिण-पूर्व में पौन मील दूर बसा हुआ था। अहेचपुर कहाँ था, यह निश्चित रूपसे ज्ञात नहीं होता।
बिजौलिया सुन्दर नगर है। परकोटेके कारण यह एक छोटा-मोटा किला-जैसा प्रतीत होता है। यह विन्ध्याचल पर्वतमालाकी उपरमाल पर्वत श्रृंखलाकी दक्षिण-पश्चिमी ढलानपर बसा हुआ है।
ज्ञात होता है, इस नगरकी स्थापना हूण जातिके किसी राजाने की थी। स्थानीय अनुश्रुतिके अनुसार इस नगरके संस्थापक राजाका नाम औन या हूण था। इन हूणोंको चौहानों या गहलोतोंने पराजित करके यहाँसे उखाड़ फेंका। इनके बाद यहाँका शासन-सूत्र 'राव' या 'रावल'