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________________ राजस्थानके दिगम्बर जैन तीर्थ ५५ और नागरिकोंके भवन बने हुए हैं। अयोध्या दक्षिण भागमें पुरिमताल (प्रयाग) तथा वटवृक्ष प्रदर्शित हैं, जिसके नीचे भगवान् ऋषभदेव ध्यानमग्न हैं। इसके पूर्व भागमें भगवान्के सम्मुख नृत्यमुद्रामें नीलांजना देवी प्रदर्शित हैं । अयोध्याके चारों ओर भगवान्के जन्म कल्याणकको शोभायात्राका भव्य दृश्य है। इस विशाल कक्षमें पौराणिक चित्रांकन और दीवालों एवं छतोंमें कांचकी पच्चीकारीका काम दर्शकको बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। इस भव्य दृश्यको देखनेके लिए प्रतिदिन सैकड़ों दर्शक आते हैं । मन्दिरके स्वर्णमण्डित कलश एवं मन्दिरके सामने बना हुआ उत्तुंग मानस्तम्भ अजमेर नगरके किसी भी ऊंचे भवन या पहाड़ीसे सुगमतासे दिखाई देता है । छोटा धड़ा नशियामें आदिनाथ भगवान्की एक श्यामवर्ण प्रतिमा है। यह पद्मासन मुद्रामें है। इसकी चरण-चौकीपर लेख नहीं है। किन्तु शैलीसे यह ११-१२वीं शताब्दीकी प्रतीत होती है। बड़ा धड़ा मन्दिरमें ८४ पाषाण प्रतिमाएं हैं । ये 'ढाई दिनके झोंपड़े की खुदाईमें प्राप्त हुई थीं। इनमें कई प्रतिमाओंके पादपीठपर संवत् ११५० और १२३० उत्कीर्ण है। इन प्रतिमाओंमें अधिकांश प्रतिमाएँ भी इसी कालकी प्रतीत होती हैं। श्री महापूत जिनालयमें समवसरणकी रचना दर्शनीय है। रचना इतनी भव्य है कि कई स्थानोंपर समवसरणको रचनामें इसका अनुकरण किया गया। यह मन्दिर सेठ जुहारमलजी मूलचन्दजीने सन् १८५५ में निर्माण कराया था। इन सबको मिलाकर नगरमें कुल २१ जिनालय हैं । दर्शनीय स्थल अजमेर भारतके दर्शनीय नगरोंमें है । यह एक घाटीमें बसा हुआ है और इसके चारों ओर पहाड़ियाँ हैं। चौहानवंशी अर्णोराज द्वारा सन् ११३५ में बनवाया हुआ ८ मीलकी परिधिवाला आनासागर तथा सन् १८९२ में बना हुआ फाय सागर पर्यटकोंको विशेषतः आकर्षित करते हैं। आनासागरके सौन्दर्यसे प्रभावित होकर मुगल बादशाह जहाँगीरने यहां एक शाहीबाग बनवाया और इस झोलके किनारे महल बनवाये । इसके बाद सम्राट् शाहजहाँने यहाँ १२४० फीट लम्बा कटहरा तथा संगमरमरकी पाँच बारहदरियाँ बनवाकर इस स्थानको अत्यधिक सुन्दरता प्रदान की। इस नगरको ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्तीको दरगाहने मुसलमानोंका पवित्र तीर्थ बना दिया है। इस नगरके निकट पुष्कर हिन्दुओंका महान् तीर्थ भी है। यहाँका 'अढाई दिनका झोंपड़ा' तो वस्तुतः भारतीय शिल्पकलाका अनुपम उदाहरण माना जाता है जो स्पष्टतः जैनकलासे प्रभावित है। बघेस मार्ग और अवस्थिति श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बघेरा केकड़ी (अजमेर) से १७.३ कि. मी. दूर पूर्वमें है । अजमेरसे यह दक्षिणमें ९७.३ कि. मी. है। यह एक छोटा-सा गांव है, जिसकी कुल जनसंख्या ४५०० है। इस गाँवमें आनेका साधन कार या बस है, किन्तु वर्षा कालमें यहाँ बसें प्रायः नहीं आतीं। यह ग्राम यद्यपि छोटा-सा है, किन्तु यहां कला और पुरातत्त्वको मूल्यवान्
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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