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________________ ३० राजस्थानके दिगम्बर जैन तीर्थ पं. टोडरमलजी अपने युगके सर्वश्रेष्ठ और सुलझे हुए विद्वान् थे। उन्होंने कई सिद्धान्त ग्रन्थोंकी हिन्दी टीका और वचनिका लिखकर तथा मोक्षमार्गप्रकाश ग्रन्थ लिखकर हिन्दी जगत्के लिए जैन सिद्धान्तका बोध सुगम कर दिया। इनके अतिरिक्त यहाँ पं. दौलतरामजी, पं. जयचन्दजी, पं. मन्नालालजी, पं. सदासुखजी, संघी पन्नालालजी, शाह दीपचन्दजी आदिने संस्कृतप्राकृतके अनेक ग्रन्थोंकी टीकाएँ की। इस प्रकार यहाँके विद्वानोंका साहित्यिक योगदान अविस्मरणीय है। जयपुरमें कोई मन्दिर अठारहवीं शताब्दीसे पूर्वका नहीं है । इससे पूर्व जयपुर नामक कोई नगर ही नहीं था। किन्तु मन्दिरोंमें इससे पूर्वको प्रतिमाएँ अवश्य मिलती हैं। जीवराज पापड़ीवाल द्वारा प्रतिष्ठित संवत् १५४८ की प्रतिमाएँ कई मन्दिरोंमें हैं। किन्तु इससे प्राचीन प्रतिमा सम्भवतः निगोतियोंके मन्दिरमें है। यहां पाश्वनाथकी एक प्रतिमा संवत् ११७१ की है। एक प्रतिमा पानदरीबाके अठारह महाराज मन्दिरमें है जो संवत् १३२० को है । यह भूगर्भसे निकली थी। वैदोंके मन्दिरमें संवत् १४०० की एक मूर्ति विराजमान है । बूचरोंके मन्दिर (चाकसूका चौक) में भगवान् महावीरकी श्वेत पाषाणकी प्रतिमापर संवत् ११७ उत्कीर्ण है। किन्तु यह सही प्रतीत नहीं होता । मूर्तिकी रचना-शैलीसे यह १७-१८वीं शताब्दीकी लगती है। जयपुरके मन्दिरोंमें जो प्रतिमाएं विराजमान हैं, वे प्रायः यहींके अथवा आसपासके बिम्ब प्रतिष्ठोत्सवोंमें प्रतिष्ठित हुई थीं। जयपुरके निकट फागो नगरमें संवत् १८५१ में एक प्रतिष्ठोत्सव हआ था। इस उत्सवमें अजमेर, ग्वालियर और दिल्लीके भी भट्रारक सम्मिलित हए थे। इसी प्रकार एक प्रतिष्ठा महोत्सव बाड़ीग्राममें माघ शुक्ला ५ गुरुवार संवत् १८८३ में सम्पन्न हुआ था। इस उत्सवके करानेवाले छावड़ा गोत्री दीवान बालचन्द्रजीके सुपूत्र संघवी रामचन्द्रजी और दीवान अमरचन्द्रजी थे। जैन धर्मशालाएँ जयपुरमें ठहरनेके लिए निम्नलिखित जैन धर्मशालाएँ हैं घीवालोंके रास्तेमें ठोलियोंकी धर्मशाला। रामगंज बाजार माणक चौक थानेके पास बक्शीजीको धर्मशाला। अजमेरी रोडपर मलजी छोगालालजीकी धर्मशाला। लालजी सांडके रास्तेमें दीवानजीकी धर्मशाला, दीवान अमरचन्दजीके मन्दिरके सामने । प्रमुख जैन संस्थाएँ जयपुरमें प्रमुख जैन संस्थाएँ इस प्रकार हैं दिगम्बर जैन संस्कृत कालेज-यह मनिहारोंके रास्तेमें अवस्थित है। इसकी स्थापना वि. सं. १९४२ में हुई थी। इसमें जैन धर्म, साहित्य और आयुर्वेद विषयकी आचार्य परीक्षा तक उच्च शिक्षाको व्यवस्था है। इंगलिशमें हाई स्कूल तक तथा कलकत्ताकी न्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ आदिकी परीक्षाको व्यवस्था है। दिगम्बर जैन महावीर हाई स्कूल-यह ठोल्योंकी धर्मशालाके सामने है। इसी हाई स्कूलके निकट दिगम्बर जैन पद्मावतो कन्या पाठशाला है। इसमें विदुषी और सरस्वती तक शिक्षा दी जाती है। श्री महावीर दिगम्बर जैन बालिका विद्यालय-यह मोदीखाना चौकड़ीमें चोरुकोंके रास्तेमें है। इसमें भी विदुषी, सरस्वतीके अतिरिक्त न्यायतोर्थ तक की शिक्षा दी जाती है। जैनदर्शन विद्यालय और ज्ञानविद्यालयके नाम भी उल्लेखनीय हैं।
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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