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________________ ३४ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ बायीं ओर दीवाल वेदीमें भगवान् सम्भवनाथ विराजमान हैं। इसी प्रकार दायीं ओरकी दीवाल वेदीमें ४ मूर्तियां विराजमान हैं। ये सभी मूर्तियाँ संवत् १७४६ में प्रतिष्ठित हुई हैं। यहीं १ फुट ९ इंच ऊंचा शिखराकार नन्दीश्वर जिनालय भी है। तल-प्रकोष्ठके सभामण्डपमें एक स्तम्भमें चारों दिशाओंमें ५२-५२ मूर्तियाँ उत्कीणं हैं। यह बावन-जिनालय-स्तम्भ कहलाता है। ऐसा बावन-जिनालय-स्तम्भ अन्यत्र कहीं उपलब्ध नहीं होता जिसमें २०८ मूर्तियाँ हों, किन्तु प्रतीकात्मक रूपमें उसे बावन-जिनालयकी संज्ञा प्रदान कर दी गयी है। तल प्रकोष्ठका यह भाग उतना ही बड़ा है, जितना मन्दिरका ऊपरी भाग। इसकी भित्तियाँ ८ फीट चौड़ी हैं। सम्भवतः नदीके कारण मन्दिर इतना सुदृढ़ और मजबूत बनाया गया था। मन्दिरके प्रवेश-द्वारके सामने एक बरामदेमें शेरगढ़के जैन मन्दिरसे लायी हुई तीन तीर्थंकर मूर्तियां रखी हुई हैं। अनुमानतः ये ११-१२वीं शताब्दीकी होंगी। मूर्तियाँ सुडौल और भावपूर्ण हैं। ' मन्दिरके अहातेसे संलग्न क्षेत्रके बगीचेमें दो छतरियां बनी हुई हैं। इनमें से एक छतरीका निर्माण सिरोंज पट्टके भट्टारक भुवनेन्द्रकीतिने संवत् १८६० में तथा दूसरीका निर्माण भट्टारक राजेन्द्रकीर्तिने संवत् १८८३ में कराया था। धर्मशाला क्षेत्रपर विशाल धर्मशाला बनी हुई है। इसमें ७० कमरे हैं। यहाँ कुआँ, हैण्डपम्प, बिजली और गद्दे-तकियोंकी सुविधा उपलब्ध है। मेला क्षेत्रपर प्रतिवर्ष चैत्र कृष्णा ५ से ९ तक मेला होता है। क्षेत्रपर उल्लेख योग्य मेले संवत् १९७४ और २०१० में हुए थे। दोनों ही बार पंचकल्याणक प्रतिष्ठाएं हुई थीं। व्यवस्था वार्षिक मेलेके अवसरपर प्रबन्धकारिणी समितिका निर्वाचन होता है । यही समिति क्षेत्रकी सम्पूर्ण व्यवस्था और उसकी गतिविधियोंका नियमन करती है । क्षेत्रका पता इस प्रकार हैमन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चाँदखेड़ी पो०, खानपुर (जिला झालावाड़) राजस्थान झालरापाटन मार्ग और अवस्थिति श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र झालरापाटनमें अवस्थित है। झालरापाटन एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र है। यह पश्चिम रेलवेकी दिल्ली-बम्बई मेन लाइनपर झालावाड़ रोडसे २८ कि. मी. दूर है। स्टेशनसे नगर तक पक्की सड़क है और नियमित बस सर्विस है। कोटा,
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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