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________________ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ मुक्तागिरि - मन्दिर नं. ७, १०, १५, १८, २६, ४५, ४६, ४८ की अनेक मूर्तियाँ ९वीं से ११वीं शताब्दी तक की हैं। मन्दिर नं० ७ में नेमिनाथको मूर्ति के पादपीठ पर संवत् ९०४ अंकित है । मन्दिर नं० १० ऐल श्रीपाल नरेश द्वारा बनवाया गया था । अतः इसकी मूर्तियाँ निश्चित रूपसे १०वीं शताब्दी की । शेष उपरिलिखित मन्दिरोंमें इसके आसपासको मूर्तियां विद्यमान हैं । कुछ मूर्तियाँ खण्डित दशा में इकट्ठी रखी हुई हैं जो प्रायः १०वींसे १२वीं शताब्दी तककी प्रतीत होती हैं । १६ आबू — कुन्थुनाथ दिगम्बर जैन मन्दिरका निर्माण श्वेताम्बर मन्दिरोंके साथ हुआ था, ऐसा कहा जाता है । बिजौलिया – यहाँकी मूर्तियां संवत् १२२६ की हैं । अजमेर—बड़ा धड़ा मन्दिरमें ढाई दिनके झोंपड़ेसे उत्खनन में प्राप्त ८४ मूर्तियाँ रखी हैं, जिनमें से अनेक पर संवत् ११५० और १२३० अंकित हैं। इसी प्रकार छोटा घड़ा मन्दिर में आदिनाथ मूर्ति भी इसी कालकी लगती है । जयपुर - महावीर मन्दिर कालाडेरामें संवत् १९४८ की महावीर - मूर्ति है । सांगानेर में एक मूर्ति संवत् १९८९ की है । आमेरमें नेमिनाथ- मूर्ति और बाहरकी नसियामें कई मूर्तियाँ १२वीं शताब्दी की हैं । चाँदखेड़ी —– शेरगढ़ से लायी हुई तीन मूर्तियाँ रखी हैं जो ११-१२वीं शताब्दी की हैं। एक मूर्ति संवत् १९४६ की है। झालरापाटन - नसिया में संवत् १९२२६ की एक मूर्ति है । अन्य कई मूर्तियाँ भी इसी काल की हैं। तारंगा – नेमिनाथ, मल्लिनाथ तथा अन्य कई मूर्तियां संवत् १९९२ की हैं। दो खड्गासन मूर्तियां संवत् १२०३ की हैं । पावागढ़ - यहाँ सम्भवनाथ और अजितनाथकी संवत् १२४५ की दो मूर्तियाँ हैं । सूरत - पाश्र्वनाथ की संवत् १९६० और १२३५ की दो मूर्तियाँ हैं । इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे स्थान हैं, जहाँ जैन पुरातत्त्व भग्नावशेषरूप में पड़ा है, या जहाँ प्राचीन जैन प्रतिमाएँ हैं । पातूर में राष्ट्रकूटकालीन एक जैन तीर्थंकर मूर्ति है जिसे सिन्दूर पोतकर देवी मूर्ति बना दिया गया है । वार्शीटाकली में १२वीं शताब्दीकी एक जैन मूर्ति निकली थी जो अब नागपुर संग्रहालय में है । राजनापुर – जो राष्ट्रकूट कालमें अचलपुरके बाद उपराजधानी थी — यहाँ सन् १९२६ में जैन मन्दिरके भग्नावशेषोंके नीचेसे २७ दिगम्बर जैन मूर्तियाँ निकली थीं जो नागपुर संग्रहालय में सुरक्षित हैं । ये मूर्तियाँ ७वीं, ९वीं और १२वीं शताब्दी की हैं । इनका शिल्प एवं कला अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि की हैं । इन्हें जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, फ्रांस, इटली और दिल्ली की कला प्रदर्शनियों में भेजा जा चुका है। इसी प्रकार महाराष्ट्र प्रदेशके वोरगांव ( मंजू ), अकोट, महान, पिंजर, मंगरुल, मानोरा, किन्हीराजा आदिमें भी अति प्राचीन जैन मूर्तिया हैं । उत्तरकाल में जैन मूर्तियाँ - उत्तर कालकी १३-१४वीं शताब्दियोंकी तीर्थंकर - मूर्तियां निम्नलिखित स्थानोंपर उपलब्ध होती हैं केशोरायपाटन ( संवत् १३२१ - १३५० - १४१९ ), चमत्कार जी ( संवत् १३९० ), सूरत ( संवत् १३७६-१३८० ), ऐलोरा ( संवत् १९५६ ), औरंगाबादके सवाई दिगम्बर जैन मन्दिर ( संवत् १२७२-१३४५ ), जिन्तूर ( हिजरी सन् ६३१ अर्थात् ईस्वी सन् १२३३ से पूर्व की अनेक
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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