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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ श्रीमहावीरजी-यह भारत भर में प्रसिद्ध दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र है। यहां वर्ष-भरमें लाखों भक्तजन मनमें कामना संजोये आते हैं। उनकी कामना-पूर्ति हो जाती है, श्रद्धालुओंका ऐसा विश्वास है । मूलनायक भगवान् महावीरकी कत्थई वर्णकी प्राचीन प्रतिमा है। यह अत्यन्त अतिशयसम्पन्न है। इस मूर्तिको एक भक्त ग्वालेने भूमिसे निकाला था। इस मन्दिरमें कुल ९ वेदियां हैं । मन्दिरके आगे मानस्तम्भ और चारों ओर धर्मशाला है जो कटला कहलाता है। इसके अतिरिक्त भी कई और विशाल धर्मशालाएँ हैं। .
___ यहाँ मुख्य मन्दिरके अतिरिक्त मुमुक्षु महिलाश्रम, आदर्श महिलाश्रम और शान्तिवीर नगरमें भी मन्दिर हैं। क्षेत्रपर चैत्रमें महावीर जयन्तीके अवसरपर मेला होता है। उस समय रथयात्रा भी होती है जिसमें हजारों मैना और गूजर और दिगम्बर जैन आते हैं ।
चमत्कारजी-श्री महावीरजीसे सवाई माधोपुर रेल द्वारा जानेपर सवाई माधोपुर स्टेशनसे शहरको जानेवाली सड़क किनारे ५ कि. मी. दूर आलनपुर गांव है। उसमें चमत्कारजीका मन्दिर है। मुख्य वेदीपर आदिनाथ भगवान्की ६ इंच ऊंची स्फटिककी प्रतिमा है। इसीके अतिशयोंके कारण यह अतिशय क्षेत्रके रूपमें प्रसिद्ध हो गया है। संवत् १८८९ में एक किसानके खेत जोतते समय यह प्रतिमा प्राप्त हुई थी। नगरमें ७ मन्दिर और १ नसिया है। मन्दिरके बाहर धर्मशाला है।
बिजौलिया-सवाई माधोपुरसे बूंदीरोड उतरकर वहांसे बस द्वारा १० कि. मी. बिजौलिया नगर है। नगर से १ मील दूर यह क्षेत्र है। विशाल अहातेके भीतर मन्दिर और रेवती कुण्ड बने हुए हैं। मन्दिरमें मूलनायकके स्थानपर एक शिखराकार चतुर्विंशति फलक है। कुण्डमें स्नान करनेसे रोग दूर हो जाते हैं ऐसी अनुश्रुति है। कुण्डके निकट पहाड़ी चट्टानोंपर तीन शिलालेख उत्कीर्ण हैं, जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्रकी ख्याति वस्तुतः इन लेखोंके कारण है। नगरमें जैन धर्मशाला है।
केशोरायपाटन-बिजौलियासे बूंदी और वहाँसे केशोरायपाटन पहुंचते हैं। बसोंकी सुविधा है। नगरसे बाहर चम्बलके तटपर ऊँची चौकीपर जिनालय बना हुआ है। मन्दिरमें ऊपर छह तथा भूगर्भमें भी छोटी-बड़ी छह वेदियां हैं। मूलनायक भगवान् मुनि सुव्रतनाथकी कृष्णवर्ण साढ़े चार फुट ऊंची पद्मासन प्रतिमा है। यह प्रतिमा अत्यन्त भव्य और चमत्कारी है। अनेक भक्तजनोंकी कामनाएं यहां आकर पूरी हो जाती हैं। इस मन्दिरमें ७-८वीं शताब्दीकी कई मूर्तियाँ हैं। कहते हैं, इसी मन्दिरमें बैठकर ब्रह्मदेव मुनिने बृद्रव्यसंग्रहकी टीका लिखी थी।
चाँदखेड़ो-चम्बल नदी नाव द्वारा पार कर कोटाके लिए बस मिलती है। कोटासे खानपुरको बसें जाती हैं। खानपुर वारां-झालावाड़ रोडपर स्थित है। खानपुरसे ४ फलांग दूर चांदखेड़ी क्षेत्र है । यह रुपली नदीके किनारे अवस्थित है। मन्दिरके भोयरेमें मुख्य गर्भगृहमें हलके लाल पाषाणको भगवान् आदिनाथकी सवा छह फीट ऊँची पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसके अनेक चमत्कारोंकी कहानियां प्रचलित हैं। भूमिगृहमें एक शिलाफलकमें महावीर स्वामीकी १२वीं शताब्दीकी अतिमनोज्ञ एक प्रतिमा है। मन्दिरके ऊपरी भागमें ५ वेदियां हैं। मन्दिरके बाहर धर्मशाला बनी हुई है।
झालरापाटन-खानपूरसे झालावाड़ और वहाँसे झालरापाटनको बसें जाती हैं। नगरमें भगवान् शान्तिनाथ क्षेत्रका मन्दिर है। इसमें भगयान् शान्तिवाथकी १२ फीट ऊंची भव्य खड्गासन प्रतिमा है। मन्दिरके तीन ओर १५ वेदियां बनी हुई हैं। इसके अतिरिक्त नगरमें