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महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ
३२९ मण्डपके पृष्ठ भागमें दो वेदियां बनी हुई हैं। बायीं ओरकी वेदीपर एक प्राचीन मूर्ति विराजमान है । दायीं ओरकी वेदीपर पाश्वनाथकी संवत् १५२२ में प्रतिष्ठित और २ फुट ४ इंच ऊंची श्यामवर्ण पद्मासन मूर्ति है । वेदीकी भित्तियोंपर २३ तीर्थकर मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं । तथा वाद्य, पताका, चमर आदि लिये कई मानव-मूर्तियोंका अंकन है। ये सम्भवतः देवगण हैं ।
४७. चन्द्रप्रभ मन्दिर-चन्द्रप्रभ भगवान्की १ फुट १ इंच ऊँची और संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित श्वेत वर्णकी पद्मासन प्रतिमा है।
खुली जगहमें एक पाषाण-खण्डपर चरण बने हुए हैं।
४८. पाश्वनाथ मन्दिर-भगवान् पार्श्वनाथकी २ फुट ४ इंच उत्तुंग, संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित श्वेत वर्ण पद्मासन प्रतिमा है।
४९. भुयारा मन्दिर-इस मन्दिरमें भोयरा बना हुआ है। उसका मार्ग नवीन बनाया गया है। मोड़वाले मार्गसे भोयरेमें पहुंचते हैं, जहां भगवान् शान्तिनाथ और कुन्थुनाथकी ६ फुट १० इंच उत्तुंग खड्गासन मूर्तियाँ विराजमान हैं।
यहाँसे प्राचीन सीढ़ियों द्वारा इस भोयरेके ऊपरी भाग में पहुंचते हैं। वहाँ मन्दिरमें ३ फुट १० इंच ऊँचे फेमनुमा श्वेत फलकमें मध्यमें पाश्वनाथकी पद्मासन प्रतिमा है तथा शेष फेममें २३ मूर्तियोंका अंकन है । भगवान्के दोनों पाश्वोंमें चमरेन्द्र खड़े हैं।
इस प्रकार मन्दिर नं. ३६ से ४९ तक मन्दिरोंका एक समूह है। यहाँसे सीढ़ियोंसे उतरते हैं । मार्ग में अवशिष्ट ३ मन्दिर मिलते हैं।
५०. इस मन्दिरमें तीन कटनीवाले चबूतरेपर २ फुट ६ इंच ऊँचा चैत्यस्तम्भ है। इसमें चारों दिशाओंमें मूर्तियां बनी हैं । इस कक्षमें दो वेदियोंपर ३-३ मूर्तियां हैं ।
५१. चन्द्रप्रभ मन्दिर-चन्द्रप्रभ भगवान्की १ फुट १ इंच अवगाहनावाली श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा है। यहां श्वेत चरणचिह्न भी हैं।
५२. महावीर मन्दिर-भगवान् महावीरकी देशी पाषाणको ३ इंच ऊँची खड्गासन प्रतिमा है । परिकरमें गज, मालाधारी देव, चमरेन्द्र और प्रतिष्ठाकारक दम्पती हैं।
यहाँसे २८ सीढ़ियां उतरकर दो छतरियोंमें मुनियोंके चरण-चिह्न बने हुए हैं। तलहटीके मन्दिर
धर्मशालाके बीचमें सीढ़ियां चढ़कर एक ही स्थानपर दो मन्दिर हैं-आदिनाथ मन्दिर और महावीर मन्दिर।
आदिनाथ मन्दिर-भगवान् आदिनाथकी ३ फुट ऊंची, संवत् १९४७ में प्रतिष्ठित श्वेत पद्मासन मूर्ति है । इसके दोनों पार्यों में नेमिनाथ और मुनिसुव्रतनाथकी कृष्णवर्ण मूर्तियाँ हैं । इनके अतिरिक्त इस मन्दिरमें पाषाणकी १२ और धातुकी १४ मूर्तियां हैं।
___ महावीर मन्दिर-पहले मन्दिरके बगलमें दूसरे कक्षमें भगवान् महावीरकी ४ फुट ४ इंच उन्नत वीर संवत् २४९४ में प्रतिष्ठित पद्मासन मुद्रामें श्वेत वर्णकी मूर्ति है। इस वेदीके सामने चबतरेपर दो सिंह बेठे हैं जो सम्भवतः भगवान महावीरके प्रतीक रूपमें बनाये गये हैं। इसी हॉलमें बाहुबली स्वामीकी ५ फुट ५ इंच उत्तुंग श्वेत वर्णकी खड्गासन मूर्ति एक अन्य वेदीमें विराजमान है।
बायीं ओर तीन दरकी एक वेदी है। उसमें भगवान् पाश्र्वनाथ पद्मासन मुद्रामें विराजमान ४२