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________________ ३३० भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ हैं। मूर्तिका वर्ण श्वेत है। इसके अतिरिक्त इस वेदीमें पाषाणको ७ और धातुको १ मूर्तियाँ विराजमान हैं। __पीछेको ओर दीवारमें ५ वेदियां हैं जिनमें क्रमशः २४ चरण, ३ श्वेत मूर्तियाँ, पाश्वनाथ, ३ मूर्तियां और धातुको पद्मावती मूर्ति विराजमान हैं। दायीं ओर तीन दरकी वेदीमें पाश्र्वनाथ विराजमान हैं। इनके अतिरिक्त इस वेदीमें पाषाणकी ६ और पीतलकी २ मूर्तियां हैं। दोनों मन्दिरोंके सामने विशाल सभामण्डप है। धर्मशाला यहाँ १३ धर्मशालाएं हैं जिनमें १३० कमरे हैं। यहाँ दो कुएं हैं, जिनमें हैण्ड-पम्प लगे हुए हैं। यात्रियोंके उपयोगके लिए क्षेत्रपर बर्तन भी हैं। अभी तक प्रयत्न करनेपर भी क्षेत्र तक बिजली नहीं आ पायो । धर्मशालाके पीछे पहाड़ी नाला बहता है। यहां कोई बस्ती और बाजार नहीं है। मेला क्षेत्रका वार्षिक मेला कार्तिक शुक्ला १३ से १५ तक होता है। सन् १९६९ में यहां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हुई थी, जिसमें बाहरसे ५ हजार व्यक्ति आये थे। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्यकी दृष्टि से अनुपम है। जलप्रपातने इस सौन्दर्यमें चार चांद लगा दिये हैं। यातायातके साधनों और बिजलीके अभावमें भी यहां प्रतिदिन विशेषकर अवकाशके दिनोंमें सैकड़ों पर्यटक आते हैं। जो प्राकृतिक सुषमा और मनोरमता इस क्षेत्रपर बिखरी हुई है, वैसी भारतके अन्य किसी तीर्थपर परिलक्षित नहीं होती। यदि मध्यप्रदेश सरकार इधर ध्यान दे तो यह स्थान पर्यटन केन्द्रके रूपमें विकसित किया जा सकता है। किन्तु पर्यटन केन्द्र बनानेसे पूर्व मध्यप्रदेश सरकारको यह आश्वासन देना होगा कि क्षेत्रकी पवित्रता और क्षेत्रसे सम्बद्ध जैन समाजकी भावनाओंका पूर्णतः आदर किया जायेगा। हमें विश्वास है, सरकारकी ओरसे यह आश्वासन मिलनेपर जैन समाजको भी इस स्थानके विकासमें कोई आपत्ति नहीं होगी। मार्ग और अवस्थिति श्री मुक्तागिरि सिद्धक्षेत्र मध्यप्रदेशके बैतूल जिलेमें अवस्थित है। अमरावतीसे परतवाड़ा ५२ कि. मी. है और परतवाड़ा-बैतूल रोडपर परतवाड़ासे खरपी ६ कि. मी. और खरपीसे मुक्तागिरि ६ कि. मी. है । खरपीसे बायीं ओर एक सड़क क्षेत्र तक जाती है । खरपीसे ३ कि. मी. तकका भाग महाराष्ट्र प्रान्तमें है। तथा उससे आगे ३ कि. मी. क्षेत्र तकका भाग मध्यप्रदेशमें पड़ता है । परतवाड़ासे क्षेत्र तकके लिए टेम्पो, स्कूटर, तांगे और साइकिल रिक्सा किरायेपर चले जाते हैं । मुर्तिजापुरसे अचलपुर तक रेलवे लाइन भी है। अचलपुरको ही परतवाड़ा कहते हैं। यह विचित्रता है कि मुक्तागिरि क्षेत्र यद्यपि मध्यप्रदेशमें है, किन्तु पोस्टल पतेकी दृष्टिसे इसका जिला अमरावती ( महाराष्ट्र ) लिखा जाता है। क्षेत्रका पता इस प्रकार है मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरि, पो. करजगांव ( जिला अमरावती) महाराष्ट्र ।
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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