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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ३६. सीढ़ियोंसे उतरकर पश्चिमाभिमुखी पार्श्वनाथ मन्दिर मिलता है। इसमें श्वेत पाषाणकी २ फुट १ इंच उन्नत संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ मूर्ति है।
३७. आदिनाथ मन्दिर-यह मन्दिर उत्तराभिमुखी है। इसमें संवत् १९९९ में प्रतिष्ठित भगवान् आदिनाथकी श्वेत पाषाणकी पद्मासन मूर्ति विराजमान है। इसकी अवगाहना १ फुट १० इंच है।
३८. अजितनाथ मन्दिर-श्वेत पाषाणकी अजितनाथ मूर्ति विराजमान है। यह २ फुट ५ इंच ऊँची है । संवत् १९६८ में इसकी प्रतिष्ठा हुई थी।
३९. आदिनाथ मन्दिर-१ फुट २ इंच ऊंची संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित आदिनाथ भगवान्की श्वेत पाषाण-प्रतिमा है।
४०.२ फुट २ इंच ऊँचे पाषाण-फलकमें प्राचीन खड्गासन मूर्ति है।
४१. आदिनाथ मन्दिर-१ फुट ३ इंच ऊंची आदिनाथकी श्वेतवर्ण मूर्ति है। चरणचौकीपर लेख नहीं है।
इस मन्दिरके निकट प्राचीन धर्मशालाका एक तिवारा बना हुआ है जो अर्ध-दग्ध दशामें खड़ा है। इसमें कुछ खण्डित प्राचीन मूर्तियां संग्रहीत हैं।
४२. चन्द्रप्रभ मन्दिर-चन्द्रप्रभ भगवान् की २ फुट ६ इंच उन्नत और वीर संवत् २४६९ में प्रतिष्ठित श्वेत वर्णको पद्मासन मूर्ति है।
४३. शीतलनाथ मन्दिर-भगवान् शीतलनाथकी संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित श्वेत पाषाणकी १ फुट १ इंच ऊंची पद्मासन मूर्ति है।
४४. रत्नत्रय मन्दिर-इसमें कृष्णवर्णकी तीन प्राचीन खड्गासन मूर्तियां हैं जो सम्भवतः शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ और अरहनाथ की हैं। उनके सिरपर पगड़ीनुमा जटाजूट हैं। मध्यकी मूर्ति ४ फुट ४ इंच ऊँची है तथा दोनों पाश्ॉकी मूर्तियोंकी अवगाहना ३ फुट ३ इंच है। यहां एक चरण-चिह्न भी है।
४५. रत्नत्रय मन्दिर-यह मन्दिर कलापूर्ण और प्राचीन है.। यहाँ तीन वेदियां हैं। मध्य वेदीपर एक कृष्ण फलकमें तीर्थंकर आदिनाथको खड्गासन मूर्ति है। उसके तीन ओर २३ तीर्थंकरोंकी पद्मासन मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। दोनों ओर चतुर्भुजी दो देवियां हैं। यह फलक ४ फुट २ इंच है।
बायीं ओरकी वेदीपर ३ फुट ६ इंच ऊँचे फलकमें एक खड्गासन मूर्ति उत्कीर्ण है। फलक अलंकृत है । इसमें देव-देवियोंका भव्य अंकन है। दायीं ओरकी वेदीपर ३ फुट ऊंची पाश्वनाथकी खड्गासन मूर्ति है। दोनों ओर यक्ष-यक्षी हैं । पृष्ठ भागमें सर्प-वलय बना है।
मन्दिरके आगे अर्धमण्डप बना हुआ है। इसके स्तम्भोंमें-से एक स्तम्भपर २० मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं, दूसरे स्तम्भपर ४ मूर्तियाँ बनी हैं तथा जंजीरोंमें लटके हुए घण्टे अंकित हैं। तीसरे, चौथे स्तम्भमें ८-८ तीर्थकर मूर्तियाँ बनी हैं। इनमें भी अर्गलाश्रित घण्टोंका भध्य अंकन है। मण्डपके बाहर एक लेख भी उत्कीर्ण है किन्तु वह पढ़ा नहीं जा सका। इसकी छतमें कमलका भव्य अंकन है।
४६. आदिनाथ मन्दिर-मन्दिरके मध्यमें मण्डप बना हुआ है। उसमें वेदीपर भगवान् आदिनाथकी ३ फुट १ इंच अवगाहनावाली श्वेतवर्णकी पद्मासन मूर्ति है। इसका प्रतिष्ठाकाल संवत् १९६० है।