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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ प्रकार दायीं ओरकी वेदीमें ४ मूर्तियां हैं जिनमें १ फुटके एक फलकमें पंच बालयतिका अंकन है । यह मन्दिर पश्चिमाभिमुखी है । ये आठों मूर्तियां प्राचीन हैं।
१३. चन्द्रप्रभ मन्दिर-भगवान् चन्द्रप्रभकी १ फुट ४ इंच ऊंची और संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित श्वेवणंकी पद्मासन प्रतिमा है । यहां चरणचिह्न भी हैं।
१४. चन्द्रप्रभ मन्दिर-भगवान् चन्द्रप्रभकी श्वेतवर्णवाली पद्मासन मूर्ति है जो १ फुट ३ इंच ऊंची है। इसके वाम पाश्वमे वीर संवत् २४६९ में प्रतिष्ठित १ फुट २ इंच उत्तुंग श्वेत पाषाणकी अजितनाथ-मूर्ति है।
१५. मन्दिर नं. १४ की बगल में दायीं ओर एक मन्दरिया है। उसमें ३ फुट २ इंच ऊँची खड्गासन प्राचीन मूर्ति है । हाथ और घुटनोंसे नीचेका भाग खण्डित है।
१६. प्राचीन पद्मासन मूर्ति । अवगाहना २ फुट ६ इंच है। इधर-उधर चरण हैं ।
१७. यहाँ मन्दिर नं. १६ के बगलसे जाना पड़ता है। इसमें पार्श्वनाथकी १ फुट ३ इंच ऊँची बादामी वर्णकी पद्मासन मूर्ति है। फण स्पष्ट नहीं है।
१८. आदिनाथ मन्दिर-इसमें २ फुट ४ इंच ऊंची श्वेत पाषाणकी पद्मासनस्थ आदिनाथ मूर्ति है । इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९४९ में हुई थी। बायीं ओर ३ फुट २ इंच ऊंची श्यामवर्ण प्राचीन मूर्ति है तथा दायीं ओर ३ फुट १० इंच अवगाहनाको प्राचीन खड्गासन मूर्ति है।
१९. वासुपूज्य मन्दिर-वासुपूज्य भगवान् को १ फुट ४ इंच ऊंची अर्ध-पद्मासन प्राचीन मूर्ति है । बायीं ओर दीवार-वेदीमें भूरे वर्णकी १ फुट ४ इंच ऊँची पद्मासन मूर्ति विराजमान है। एक स्थानपर चरण-चिब हैं।
२०. चन्द्रप्रभ मन्दिर-यहां संवत् १५३७ में प्रतिष्ठित और १ फुट २ इंच ऊँची कृष्णवणंवाली पद्मासन मूर्ति है।
२१. बाहुबली मन्दिर-बाहुबली स्वामीकी श्वेत पाषाणकी वीर संवत् २४६९ में प्रतिष्ठित ७ फुट २ इंच ऊंची खड्गासन मूर्ति है।
२२. पाश्वनाथ मन्दिर-१ फुट ४ इंच ऊंची संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित पार्श्वनाथको श्वेतवर्ण पद्मासन मूर्ति है।
२३. मन्दिर नं. २२ की सीढ़ियोंकी बगलमें बायीं ओर एक मन्दरिया है जो केवल ३ फुट ५ इंच चौड़ी है । द्वार भी छोटा है। इसमें झुककर घुसते हैं। इसमें पाश्र्वनाथकी एक फुट ऊंची, संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित श्वेतवर्ण पद्मासन मूर्ति है।
२४. महावीर मन्दिर-भगवान् महावीरकी बादामी वर्णकी पद्मासन मूर्ति है। वीर संवत् २५०० में प्रतिष्ठित हुई। इसकी अवगाहना २ फुट १० इंच है। बायीं ओर वेदीपर संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित चन्द्रप्रभ भगवान्की १ फुट ३ इंच ऊंची मूर्ति है। इसके बायीं ओर श्वेत पाषाण-फलकमें चतुर्मुखी पद्मावती देवी विराजमान हैं । इसके शीर्ष भागपर पार्श्वनाथ विराजमान हैं तथा दोनों पार्यों में ४ पद्मासन प्रतिमाएं हैं। देवीके दोनों ओर चमरवाहक हैं। अधोभागमें भैरव हैं । दायीं ओर चरण बने हैं। मूलनायकके दायीं ओर वेदीपर भगवान् पाश्वनाथकी संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित और १ फुट ३ इंच ऊंची मूर्ति है। इससे आगे पद्मावती देवीकी पाषाण-मूर्ति है। इस फलकमें ऊपर ३ तथा बगलमें दोनों ओर २-२ पद्मासन तीर्थंकर मूर्तियाँ हैं। चमरवाहकों और भैरवका भी अंकन है। इससे आगे चरण हैं।
२५. एक कृष्ण वर्णके ३ फुट ४ इंच ऊंचे फलकमें तीन खड्गासन तीर्थकर मूर्तियां उत्कीर्ण