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महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ गर्भगृहके बाहर चार स्तम्भोंपर आधारित मण्डप है। उसके आगे सभामण्डप है। सभामण्डपमें १२ स्तम्भ हैं।
बड़ी मूर्तिके ऊपर सन् १९६५ में लेप किया गया था। तब उसकी पुनः प्रतिष्ठा की गयी थी। मूर्तिकी चरण-चौकी दबी हुई है। यह भूमिके अन्दर है। किन्तु वहाँ तक जानेका मार्ग है। यह मार्ग तल-प्रकोष्ठ बनाकर तैयार किया गया है। चरण-चौकीके ऊपर हरिणका लांछन है तथा हाथ जोड़े हुए खड़ी एक भक्त महिला अंकित है।
२. पार्श्वनाथ मन्दिर-भगवान् पार्श्वनाथकी नौ फणावलियुक्त संवत् १७९० में प्रतिष्ठित श्वेत वर्णकी पद्मासन प्रतिमा है । यह ४ फुट १ इंच ऊँची है।
दूसरी वेदीमें भगवान् महावीरकी १ फुट १० इंच ऊँची और संवत् १९६८ में प्रतिष्ठित पीतलकी पद्मासन प्रतिमा है।
तीसरी वेदीमें ३ फुट ९ इंच उत्तुंग और संवत् १९२५ में प्रतिष्ठित चन्द्रप्रभ भगवान्की श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा है।
३. पाश्वनाथ मन्दिर-भगवान् पाश्वनाथकी संवत् १९०४ में प्रतिष्ठित और २ फुट ४ इंच उन्नत श्वेत पद्मासन प्रतिमा है। बायीं ओर संवत् १७६९ में प्रतिष्ठित और २ फुट ४ इंच ऊंची आदिनाथकी श्यामवर्ण प्रतिमा है। दायीं ओर भी १ फुट ९ इंच ऊंची संवत् १९०४ में प्रतिष्ठित मुनिसुव्रतकी श्यामवर्ण प्रतिमा है।
इस वेदीके बायीं ओरकी वेदीमें मुनिसुव्रतनाथकी संवत् १८४८ की १ फुट ४ इंच उन्नत कृष्ण पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा है। इसके दोनों ओर धातुको आदिनाथ और अजितनाथकी प्रतिमाएं विराजमान हैं। दायीं ओरकी वेदीमें श्यामवर्ण नेमिनाथकी प्रतिमा विराजमान है। यह १ फुट ५ इंच ऊँची है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १७१० में हुई थी। इसके बायीं ओर महावीर और दायीं ओर आदिनाथकी धातु-प्रतिमाएं हैं।
___४. अजितनाथ मन्दिर-भगवान् अजितनाथकी ढाई फुट ऊंची श्वेत वर्णवाली संवत् १९२५ में प्रतिष्ठित पदमासन प्रतिमा है।
इस वेदीके अतिरिक्त यहाँ ३ वेदियां और हैं। इनमें दायीं ओर वेदीपर संवत् १९०४ में प्रतिष्ठित और डेढ़ फुट ऊँची चन्द्रप्रभकी श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा है। बायीं ओरकी वेदीपर अरहनाथको २ फुट ३ इंच ऊँची संवत् १८९९ में प्रतिष्ठित श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा है। बायीं ओ व्रतनाथ और दायीं ओर पद्मप्रभकी श्वेतवर्ण प्रतिमाएं हैं। मध्यवेदीपर ३ फुट
च उन्नत पाश्वनाथकी संवत् १९२५ में प्रतिष्ठित श्वेतवर्णकी खड्गासन प्रतिमा है। इसके दोनों पाश्वोंमें ३ पाषाणकी और १ धातुको प्रतिमाएँ हैं । आगे २४ चरण बने हैं।
५. सुपार्श्वनाथ मन्दिर-वेदीपर भगवान् पार्श्वनाथकी साढ़े नौ इंच ऊंची संवत् १९५२ में प्रतिष्ठित पद्मासन धातु-मूर्ति है। इसके बायीं ओर संवत् १९५२ में प्रतिष्ठित श्याम वर्ण आदिनाथ भगवान् हैं तथा दायीं ओर संवत् १९९५ में प्रतिष्ठित श्वेत वर्ण चन्द्रप्रभ विराजमान हैं। यह वेदी अलग बनी है।
६. आदिनाथ मन्दिर-भगवान आदिनाथकी ३ फुट १० इंच उत्तुंग और संवत् १८८९ में प्रतिष्ठित श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा है। बायीं ओर चन्द्रप्रभकी २ फुट १० इंचकी खड्गासन प्रतिमा है।
गर्भगृहके बायीं ओर पाश्वनाथ पद्मासन मुद्रामें आसीन हैं। यह प्रतिमा श्वेत वर्णकी है