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महाराष्ट्र के दिगम्बर जैन तीर्थ
३११ पृथक्-पृथक् हैं। अंगुलियोंके नाखून आगे बढ़े हुए हैं। फलकमें नन्दीकी मूर्ति भी बनी हुई है जो भगवान् आदिनाथका लांछन है।
इस वेदीपर मूलनायकके अतिरिक्त १ पाषाणकी तथा ७ धातुकी मूर्तियां भी हैं।
बायीं ओरकी वेदीमें ४ फुट ३ इंच ऊंची संवत् १९२५ में प्रतिष्ठित आदिनाथकी श्वेत वर्ण प्रतिमा है । इसके बायें पाश्वमें ५ फुट ४ इंच उन्नत पार्श्वनाथकी संवत् १९२५ में प्रतिष्ठित कृष्ण पाषाणकी पद्मासन तथा दायें पार्श्वमें संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित ३ फुट ११ इंच समुन्नत बादामी वर्णकी पार्श्वनाथ प्रतिमा हैं।
बायीं ओरकी दीवारमें ३ फुट ३ इंच उन्नत पाषाण-फलकमें चौबीसी बनी है। एक श्वेत वर्ण प्रतिमा पार्श्वनाथकी है। इसकी अवगाहना २ फूट ९ इंच है। ___दायीं ओरकी दीवारके सहारे संवत् १९९९ में प्रतिष्ठित २ फुट ८ इंच उन्नत पार्श्वनाथको श्वेत प्रतिमा और संवत् १७६० में प्रतिष्ठित १ फुट ४ इंच ऊँची पार्श्वनाथकी कृष्ण वर्णवाली प्रतिमा रखी है। ___मण्डपसे नीचे उतरकर एक कमरेमें दो वेदी हैं। बायीं ओरकी वेदीमें भगवान् पुष्पदन्तकी संवत् १९२४ में प्रतिष्ठित २ फुट ४ इंच ऊंची श्वेत वर्ण पदमासन प्रतिमा है। इस वेदोपर पाश्वनाथकी दो पाषाण मूर्तियाँ २ फुट और १।। फुटकी और हैं तथा ३ पीतलकी भी मूर्तियाँ हैं। दायों ओरकी वेदीमें संवत् १९३४ में प्रतिष्ठित चन्द्रप्रभ भगवान् की २ फुट ४ इंच उन्नत श्वेत वर्ण पद्मासन प्रतिमा है। इसके अतिरिक्त पाषाणकी ६ और धातु के
इस मन्दिरके आगे मण्डप बना है। मुख्य मन्दिरके आगे ३० काष्ठ-स्तम्भोंपर आधारित खुला मण्डप बना है। मन्दिरके तीन ओर बरामदे ( या धर्मशाला ) हैं। धर्मशाला
___ मन्दिरके बाहर धर्मशाला बनी हुई है। इसमें कुल ३२ कमरे हैं। धर्मशालामें बिजली है। धर्मशालाके खुले आँगनमें कुआं है । यात्रियोंके लिए बर्तनोंकी भी व्यवस्था है।
मेला
क्षेत्रपर प्रतिवर्ष मगसिर वदी ५-६ को वार्षिक मेला होता है। इस अवसरपर रथयात्रा होती है जो सारे नगरमें निकलती है । सन् १९५२ में क्षेत्रपर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हुई थी। क्षेत्रका पता इस प्रकार है
मन्त्री, श्री आदिनाथ स्वामी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र संस्थान पो. भातकुली (जिला अमरावती) महाराष्ट्र ।
रामटेक अवस्थिति और मार्ग
श्री रामटेक क्षेत्र महाराष्ट्र प्रान्तके नागपुर जिलेमें नागपुरसे लगभग ४८ कि. मी. दूरीपर स्थित है। नागपुर शहरसे यहाँ तक बसमार्ग भी है और रेलमार्ग भी। रामटेक स्टेशनसे क्षेत्र दो मील है। पर्वतका नाम रामटेक है। इसी कारण यह ग्राम भी इसी नामसे जाना जाने लगा है। ग्रामसे उत्तरकी ओर एक मीलकी दूरीपर यह पर्वत है । क्षेत्र मैदानमें अवस्थित है।