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________________ २८८ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ धर्मशाला क्षेत्रपर धर्मशाला है, जिसमें १३ कमरे हैं । बिजली है, कुआं नहीं है। मेला क्षेत्रका वार्षिक मेला मार्गशीर्ष सुदी ११ को होता है। यह तिथि मल्लिनाथ भगवान्के जन्मकल्याणकको तिथि है । इस अवसरपर मन्दिरसे भगवान्की रथ-यात्रा निकलती है और सारे गांवमें भगवान्का विहार होता है । दूसरी रथयात्रा आश्विन वदी २ को निकलती है। क्षेत्रका पता इस प्रकार है मन्त्री, श्री मल्लिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पो. शिरड शहापुर ( जिला परभणी ) महाराष्ट्र असेगाँव मार्ग और अवस्थिति श्री चिन्तामणि पाश्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र असेगांव महाराष्ट्र प्रान्तके परभणी जिला वसुमतनगर तालुकामें अवस्थित है। शिरड शहापुरसे यह स्थान २४ कि. मी. है। वसुमतनगर तक बस जाती है, सड़क पक्की है । वसुमतसे ८ कि. मी. कच्चा मार्ग है । पैदल या बैलगाड़ीसे जाना पड़ता है। यहाँपर कार्तिक शुक्ला १५ को प्रतिवर्ष यात्रोत्सव होता है। क्षेत्रका पता इस प्रकार है मन्त्री, श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पो. असेगांव ( तालुका वसुमतनगर, जिला परभणी ) महाराष्ट्र अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ मार्ग और अवस्थिति श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र 'अन्तरिक्ष पाश्वनाथ' महाराष्ट्रके अकोला जिले में सिरपूर गांवमें स्थित है। सिरपुर पहुँचनेके लिए सबसे निकटका स्टेशन अकोला है जो बम्बई-नागपुर रेलवे मार्गपर यहाँसे लगभग ७० कि. मी. दूर है। गांव तक पक्की सड़क है और नियमित बस-सेवा है। यहां आने के लिए अकोलाकी ओरसे आनेवालोंको मालेगांव आना पड़ता है। वहाँसे सिरपुर ६ कि. मी. है। नांदेडसे वाशिम, वाशिमसे मालेगांव होकर भी आ सकते हैं। वाशिम स्टेशन सिरपुरसे ३० कि. मी. खण्डवा-पूर्णा छोटी रेलवे लाइनपर है। क्षेत्रका इतिहास अतिशय क्षेत्र सिरपुर ( श्रीपुर ) और उसके अधिष्ठाता अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ भारत-भरमें प्रसिद्ध है। इस क्षेत्रका इतिहास काफी प्राचीन है। कुछ लोगोंकी धारणा है कि इस क्षेत्रका निर्माण ऐल नरेश श्रीपालने कराया था। उनका आशय सम्भवतः क्षेत्रसे नहीं, मन्दिरसे है। अर्थात्
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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