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महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ
२८५ मन्दिरपर आक्रमण कर दिया। उन्होंने मूर्तियोंका भयंकर विनाश किया। मन्दिरको मसजिद बना दिया। जब हैदराबादके विरुद्ध भारत सरकारने पुलिस एक्शन लिया और हैदराबाद रियासतको भारतमें सम्मिलित कर लिया, तब जैनोंने सरकारके समक्ष इसके बारेमें अपनी मांग रखी । मसजिद बना लेनेपर भी वेदीके दो स्तम्भोंपर पाश्वनाथकी मूर्तियां बनी हुई थीं। अतः सरकारने जैनोंकी मांग स्वीकार कर ली और यह मन्दिर पुनः जैनोंके अधिकारमें दे दिया गया। तब इसका जीर्णोद्धार किया गया।
___ पुराना महावीर मन्दिर-इस मन्दिरमें यों तो अनेक मूर्तियां हैं, किन्तु दो मूर्तियां उल्लेखनीय हैं। चन्द्रनाथ-गुहासे लायी हुई पद्मावती देवीकी ३ फीट ऊंची एक श्यामवर्ण प्रतिमा है । इसकी अलंकरण-सज्जा दर्शनीय है। देवी चतुर्भुजी है। दूसरी मूर्ति भगबान् पार्श्वनाथकी है जो ३ फीट १० इंच ऊंची है और खड्गासन मुद्रामें अवस्थित है। इस प्रतिमाके ऊपर लताएँ अंकित हैं जो भगवान्को ध्यानावस्थाको प्रकट करती हैं। प्रतिमा अद्भुत है। इसकी प्रतिष्ठा शक संवत् १५१४ में हुई थी।
___ इस मन्दिरके नीचे तलघर बना हुआ है । यहांकी समस्त मूर्तियां साहूके मन्दिरमें पहुंचा दी गयी हैं।
धर्मशाला
यहां धर्मशाला है जिसमें १ कमरा है। बिजली और कुआं है। मन्दिरके पृष्ठभागमें नवीन धर्मशाला और प्रवचन-मण्डपका निर्माण हो रहा है । मेला
यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद वदी ५ को वार्षिक मेला होता है । इस अवसरपर गांवसे भगवान्की पालकी निकलती है जो क्षेत्रपर जाती है। इस मेलेमें चार-पांच सौ व्यक्ति सम्मिलित होते हैं । श्रावण सुदी ६ को नेमिनाथ भगवान्के तप-कल्याणकके दिन क्षेत्रपर पूजाका विशेष आयोजन होता है।
क्षेत्रका पता इस प्रकार हैमन्त्री, श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र
पो. जिन्तूर (जिला परभणी) महाराष्ट्र
शिरड शहापुर
मार्ग और अवस्थिति
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र शिरड शहापुर महाराष्ट्रके परभणी जिलेमें अवस्थित है। मध्य रेलवेको खण्डवा-पूर्णा रेल मार्गपर चौड़ी स्टेशनसे ८ कि. मी. दूर शिरड शहापुर ग्राम है। गांव तक पक्की सड़क है। क्षेत्र गांवमें ही है। इस ग्रामका तालुका वसमतनगर है । ग्राममें डाकखाना भी है। गांवके बाहर असना नदी बहती है।