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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
इस लेख के अनुसार चक्रेश्वरने इस पर्वतपर अनेक मूर्तियोंकी प्रतिष्ठा करायी थी, किन्तु मूर्तियों की पहचान नहीं हो पायी है ।
पार्श्वनाथ मन्दिरके दर्शन करनेके बाद सीढ़ियोंसे उतरते हैं। लगभग ८० सीढ़ियाँ उतरने पर बायीं ओर एक गुफा मिलती है । उसमें मण्डप और गर्भगृह बने हुए हैं। इसमें ६ यक्षों और ६ यक्षियोंकी मूर्तियाँ हैं । इस गुफा के बगल में एक पाषाण- गज बना हुआ है । इसके द्वारपर द्वारपाल है | इससे आगे बढ़नेपर एक गुफा मिलती है जो खाली है। इससे आगे पुनः एक छोटी गुफा मिलती है। इसमें एक जलकुण्ड बना हुआ है। इसके दायीं और बायीं ओरकी दीवारोंमें तीर्थंकर मूर्तियां उत्कीर्ण हैं । इससे आगे बढ़ने पर एक गुफा मिलती है । इसके बाहर भूमितलपर एक द्वार बना हुआ है। इसमें जल भरा हुआ है ।
गुरुकुल
क्षेत्रपर श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम गुरुकुल स्थापित है। इसकी स्थापना आचार्यं समन्तभद्रजी महाराजकी प्रेरणासे मुनिवर्य आर्यंनन्दी महाराजके तत्त्वावधान में श्रुतपंचमी दिनांक ७ जून १९६२ को की गयी थी । यह कारंजाके महावीर ब्रह्मचर्याश्रमकी शाखाके रूपमें कार्य कर रहा है । आचार्यं समन्तभद्रजी द्वारा स्थापित अन्य गुरुकुलोंके समान प्रेम, ज्ञान, सेवा, शील और व्यवस्था यह पंचसूत्री ध्येय इस गुरुकुलका भी ध्येय है । यहाँ १०वीं कक्षा तक लौकिक शिक्षा के अतिरिक्त धार्मिक शिक्षा भी दी जाती है । यहाँके गुरुमण्डल में प्राय: इन्हीं गुरुकुलोंके स्नातक हैं जिन्होंने अपना जीवन इन संस्थाओंके लिए अर्पित कर दिया है । संस्था में छात्रावास, विद्यालय भवन, अतिथिगृह, पुष्पवाटिका तथा निर्माणाधीन जिनालय सम्मिलित हैं ।
क्षेत्रकी व्यवस्था
क्षेत्री सम्पूर्ण व्यवस्था गुरुकुलकी कार्य समितिके अन्तर्गत है । यहाँपर जितने गुहामन्दिर हैं, वे सब भारत सरकारके पुरातत्त्व विभागके संरक्षण में हैं । किन्तु पार्श्वनाथ मन्दिरपर जैन समाजका अधिकार है और उसकी व्यवस्था गुरुकुल समिति करती है ।
धर्मशाला
क्षेत्रपर या गुरुकुल परिसर में अभी तक कोई पृथक् जैन धर्मशाला नहीं है। यात्रियों को गुरुकुल भवनमें ठहरना पड़ता है अथवा औरंगाबाद शहरके शाहगंज मुहल्ले में श्री चन्द्रसागर दिगम्बर जैन धर्मशाला में। दोनों ही स्थानोंपर नल और बिजलीकी सुविधा है। शाहगंज जैन धर्मशाला के निकट ही बस स्थानक है जहांसे ऐलोराके लिए बसें जाती हैं ।
मेला
श्री पार्श्वनाथ मन्दिर चारणाद्रिका वार्षिक मेला फाल्गुन कृष्णा १४ को होता है । उस दिन गुरुकुल से भगवान्की पालकी निकलती है और पाश्वनाथ मन्दिर जाती है । वहाँ भगवान्CIT अभिषेक और पूजा-पाठ होता है। इस अवसरपर लगभग ६-७ सौ व्यक्ति आ जाते हैं। वदी १३ को शिवरात्रिके अवसरपर घुष्मेश्वर महादेव मन्दिरका मेला होता है । इस अवसरपर लगभग १०००० हिन्दू आते हैं । ये लोग पार्श्वनाथ भगवान के दर्शनों के लिए भी जाते हैं ।