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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
करते हुए देव दिखाई पड़ते हैं । अधोभाग में चमरेन्द्र हैं । यह मूर्ति क्रैक है । इसकी बायीं ओर एक स्तम्भमें अर्धपद्मासन मूर्ति है। छत्रोंके ऊपर माला लिये हुए देव बैठा है । उसके दोनों ओर दुन्दुभिवादक हैं । नीचे के भाग में चमरेन्द्र हैं ।
बायीं ओर एक पैनल में बारहभुजी देवी है। एक ओर छह हाथ हैं । दूसरी ओर केवल एक हाथ अवशिष्ट है, शेष खण्डित कर दिये गये हैं। देवी मुकुट और गलहार धारण किये हुए है । शीर्ष पर एक अर्धपद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा है । नीचे एक व्यक्ति देवीको पीठासन सहित उठाये
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यह एक मण्डप है जो पूरी तरह गढ़ा नहीं गया है । इसके आगे खुला सहन है । फिर चार स्तम्भोंपर अर्धमण्डप बना हुआ मिलता है । द्वारके दोनों ओर गदा लिये द्वारपाल खड़े हैं । बायीं ओर एक देवी खड़ी हैं। इसकी कटिसे नीचेका भाग नहीं है। इससे आगे द्वादशभुजी देव नृत्यमुद्रा में प्रदर्शित है । सम्भवतः यह सौधर्मेन्द्र है । इसकी भुजाओंपर देवियाँ नृत्य कर रही हैं, गन्धवं वाद्य बजा रहे हैं। आदिपुराण में भगवान् के जन्म-कल्याणकके समय सौधर्मेन्द्र द्वारा किये गये नृत्यका जो वर्णन किया है, उससे प्रस्तुत मूर्तिका साम्य है । इन्द्रकी नृत्यमुद्रा में इतनी विशाल मूर्ति अन्यत्र देखने में नहीं आयी । वह अपने पदके अनुरूप अलंकार धारण किये हुए है । इसकी ऊँचाई लगभग ८ फीट है । इसी प्रकार बायीं ओर चतुर्भुजी इन्द्र नृत्य - मुद्रा में प्रदर्शित हैं ।
इस गुफा प्रवेश-द्वारके बाहर गन्धर्वयुगल उत्कीर्ण हैं । अन्दर मण्डप है। इसमें २० स्तम्भ हैं । बायीं ओर दायीं ओर ७-७ तीर्थंकर मूर्तियां बनी हुई हैं। इसके गर्भगृहमें अर्धपद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा है ।
मुख्य गुहामन्दिर में तीन दिशाओं में द्वार बने हुए हैं। इसका पूर्वी द्वार ही मुख्य द्वार है। जिसका विवरण ऊपर दिया जा चुका है। दक्षिण द्वारपर तथा इसकी चौखटोंपर गन्धर्वयुगल बने हुए हैं। इसके सामने खाली गुफा है । इस मन्दिरके उत्तरी द्वारपर अर्धमण्डप बना हुआ है । द्वारपर दो द्वारपाल खड़े हुए हैं। इसके सामने एक मण्डप और गर्भगृह है । मण्डप में बायीं ओर एक प्रकोष्ठ है । इसके द्वारपर बायीं ओर ६ फीट ५ इंच ऊँची खड्गासन प्रतिमा है। इसके सिरदलपर अर्धपद्मासन प्रतिमा है। उसके दोनों ओर चमरधारी हैं। इसके दायीं ओर भित्तिके मध्य पैनल में ऊपर-नीचे अर्धपद्मासन प्रतिमाएँ हैं । इनके ऊपर चमरेन्द्र है, दोनों ओर खड्गासन और नीचे खड्गासन प्रतिमाएँ हैं । मण्डपके स्तम्भोंपर यक्ष बने हुए हैं । दायीं ओरके स्तम्भके बगलमें अम्बिका है। दायीं ओरकी भित्तिमें तीन पैनल बने हुए हैं । एक पैनल में खड्गासन प्रतिमा है, शेष दोनों पैनलोंमें अर्धपद्मासन प्रतिमाएँ और उनके दोनों ओर चमरवाहक हैं ।
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इस मण्डपके दो स्तम्भोंने गर्भगृह के आगे छोटा-सा मण्डप बना दिया है। इसमें बायीं ओरकी भित्ति खड्गासन पार्श्वनाथ परिकर सहित विराजमान हैं । दायीं ओरकी भित्ति में एक खड्गासन प्रतिमा बनी हुई है । चार देवियाँ भगवान् की सेवामें निर्दिष्ट हैं ।
यह गुफा छोटा कैलास कहलाती है । यह हिन्दुओंकी सुप्रसिद्ध कैलास गुफाकी अनुकृतिपर बनायी गयी है । शक संवत् ११६९ ( ई. सं. १२४७ ) में यह निर्मित की गयी। इसका आकार १३०x८० फीट है ।
गुफा नं. ३१ - इसमें ६ स्तम्भोंपर आधारित मण्डप है । बायीं ओरकी दीवार में ६ फोट ऊँची पार्श्वनाथकी खड्गासन प्रतिमा है । सिरके ऊपर सप्तफणावलि है । उसके ऊपर छत्रत्रय हैं । दोनों और मालाधारी देव हैं। मध्य में दोनों ओर दण्डधारी देवियाँ हैं । ये मुकुट, गलहार,
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