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महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थं
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पास २ फीट ७ इंच ऊँची एक सर्वतोभद्रिका प्रतिमा रखी है। प्रतिमा काफी प्राचीन है । इसके पास प्राचीन चरण बने हुए हैं। एक ओर क्षेत्रपालकी मूर्ति है ।
धर्मशाला
यहाँ पृथक् धर्मशाला नहीं है । किन्तु मन्दिर के अहाते में ही ७ कमरे बने हुए हैं । यहाँ कुआँ है । मन्दिर में बिजली नहीं है ।
मेला
क्षेत्र पर प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष वदी १० और ११ को दो दिन मेला होता है । इस अवसरपर बाहरसे लगभग ५०० व्यक्ति आ जाते हैं । इस समय भगवान्की पालकी नगर-भर में निकाली जाती है ।
क्षेत्रका पता इस प्रकार है
मन्त्री, श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर पो. सावरगाँव ( तालुका तुलजापुर ) जिला उस्मानाबाद ( महाराष्ट्र )
आष्टा
मार्ग और अवस्थिति
'श्री दिगम्बर जैन विघ्नहर पाश्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र कासार आष्टा' महाराष्ट्र प्रदेशके उस्मानाबाद जिलेमें उमर्गा तालुका में स्थित है । यह शोलापुर - हैदराबाद नेशनल हाई वे नं. ९ पर स्थित भोसगागाँवसे ५ कि. मी. दूरपर है। गाँव तक पक्की सड़क है । यह उमर्गासे २४ कि. मी., उस्मानाबादसे ५१ कि. मी. और शोलापुरसे ६४ कि. मी. है। शोलापुरसे आष्टाके लिए सन्ध्याके ५ बजे बस चलती है और वह प्रातः ८ बजे शोलापुरको वापस लौटती है । आष्टा नामक कई गांव हैं । प्रस्तुत आष्टा कासार आष्टा कहलाता | क्योंकि प्राचीन कालमें इस गाँव में कासार जैनोंके २००-२५० घर थे ।
अतिशय क्षेत्र
यहाँ पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति अतिशयसम्पन्न है । इसकी भक्तिसे विघ्नोंका नाश होता है, अत: भक्त जन इसे विघ्नहर पाश्वनाथ कहते हैं । इस मूर्तिके सम्बन्ध में एक किंवदन्ती प्रचलित है । लगभग ५०० वर्षं पूर्वं मुस्लिम शासन काल में जब मूर्तियोंका निर्मम भंजन किया जा रहा था, मूर्ति रक्षणकी दृष्टिसे यह निर्णय किया गया कि मूर्तिको किसी सुरक्षित स्थानपर स्थानान्तरित कर दिया जाये । फलतः इसे सन्दूकमें बन्द करके ले जाया जा रहा था। जब यहाँसे २ कि. मी. दूर दस्तापुर गांव के बाहर बैल गाड़ी पहुँची तो वहाँ जाकर वह रुक गयी। बहुत प्रयत्न करनेपर भी गाड़ी वहाँसे नहीं चली। उसी रात आष्टा गांव के जैन पटेलकी पुत्र वधूको स्वप्न आया कि मूर्ति कहीं नहीं जायेगी, दस्तापुर जाकर मूर्तिको वापस लौटा लाओ । प्रातःकाल उठनेपर उसने अपने स्वप्नकी चर्चा घरवालों से की। सुनकर सब बड़े प्रसन्न हुए। परिवार तथा गाँवके अन्य जैन नर
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