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________________ महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ २५५ पाश्वनाथ मन्दिरमें केवल गर्भगृह बना हुआ है। पार्श्वनाथ भगवान्की ५ फुट ९ इंच ऊंची कृष्ण वर्ण खड्गासन प्रतिमा है। पृष्ठ भागमें सर्पवलय है। इसके अतिरिक्त वेदीपर ११ पाषाण प्रतिमाएँ और हैं जिनमें ४ सर्वतोभद्रिका हैं। पाश्वनाथ मन्दिरके बगल में एक कमरेका फर्श तथा एक कमरा बना हुआ है। वर्तमानमें इन दोनों मन्दिरोंकी दशा बहुत खराब है। भित्तियोंमें बड़े-बड़े वृक्ष उग आये हैं। इन मन्दिरोंके परकोटेके आगे एक लघु पाश्वनाथ मन्दिर है। इसकी दशा भी बहुत ही शोचनीय है। मन्दिरमें सम्भवतः कभी झाड भी नहीं लगती है। इसमें प्रवेश करनेपर दुर्गन्ध आती है। दीवारोंपर मकड़ियोंके जाले लगे हुए हैं। __ इस मन्दिरमें सामने दीवारमें २ फूट १० इंच ऊंचे एक शिलाफलकमें पाश्वनाथकी एक खड्गासन मूर्ति है । बायीं ओर एक पद्मासन मूर्ति है। उसके नीचे पक्षी बने हुए हैं। दायीं ओर एक खड्गासन मूर्ति है। बगलमें भक्त हाथ जोड़े हुए खड़े हैं। इसके दोनों पाश्र्यों में सर्प-मूर्तियां बनी हुई हैं। दायीं ओर पांच सपं कुण्डली मारे और फण फैलाये दिखाई पड़ते हैं। बायीं ओर वृक्षाकार आकृतिमें अधोभागमें ५ सर्पफण तथा ऊपरके गुच्छक में २५ सपंफण बने हुए हैं। बायीं ओरकी दीवारमें ५ फुट ९ इंच ऊँचे स्तम्भमें सर्वतोभद्रिका प्रतिमा है। दायीं ओर दीवारमें ३ फुट ७ इंच ऊँचे फलकमें पाश्वनाथकी खड्गासन प्रतिमा है तथा अधोभागमें दो खड्गासन प्रतिमाएं हैं। इस मन्दिरके ऊपर भी अन्य मन्दिरोंके समान शिखर हैं। इसके निकट ही वह बावड़ी है, जिसके चमत्कारोंका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है। बावड़ीके ऊपर चार पाषाण-सर्प बने हुए हैं। पास ही एक ऊंची गुमटीमें चरण विराजमान हैं। उसके निकट एक देवड़ीमें भी चरण हैं। ये दोनों किन्हीं मुनियोंको समाधियाँ हैं । वार्षिक मेला यहां प्रतिवर्ष माघ शुक्ला ५ और ६ को वार्षिक मेला होता है । इस अवसरपर भगवान्की पालको निकलती है। लगभग ४-५ सौ यात्रो इसमें सम्मिलित होते हैं । क्षेत्रका पता इस प्रकार हैट्रस्टी, दिगम्बर जैन मन्दिर, पो. तेर (जिला उस्मानाबाद) महाराष्ट्र सावरगाँव मार्ग और अवस्थिति ___ 'श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र सावरगांव' महाराष्ट्र प्रान्तके तुलजापुर तालुकामें उस्मानाबाद जिलेमें अवस्थित है। शोलापुरसे सावरगांवके लिए सूरतगांव होती हुई एक बस सन्ध्याको ५ बजे जाती है। शोलापुरसे सूरतगाँवके लिए तो अनेक बसें चलती हैं। शोलापुरसे सूरतगांव २५ कि. मी. है । सूरतगाँवसे सावरगांवके लिए बैलगाड़ियां भी मिलती हैं।
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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