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________________ २५० भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ: गुफामें प्रवेश करते ही २० स्तम्भोंपर आधारित एक विशाल मण्डप मिलता है। इसमें जगह-जगहसे ऊपरसे पानी टपकता रहता है। इसके कारण मण्डपमें जल भरा रहता है। बगलसे निकलकर सामने ६ सीढ़ियां चढ़कर गर्भगृह मिलता है। इसमें सामने ही भगवान् पार्श्वनाथकी ६ फीट ६ इंच ऊंची और ६ फीट चौड़ी श्याम वर्ण अर्धपद्मासन प्रतिमा विराजमान है। वक्षपर श्रीवत्स नहीं है। कान स्कन्ध तक नहीं है। सिरके ऊपर विशाल सप्तफण सुशोभित है। फणोंके दोनों पाश्वोंमें पुष्पवर्षा करते हुए देव दीख पड़ते हैं। भगवान्के दोनों ओर इन्द्र चमर लिये बैठे हैं । इन्द्रोंके सिरपर किरीट तथा गलेमें रत्नहार सुशोभित हैं। उनके आगे सिंह मुख फाड़े हुए बैठा है। इस गर्भगृहका आकार १९ फीट ८ इंच लम्बा और १६ फीट ३ इंच चौड़ा है। परिक्रमापथ बना हुआ है । इतनी विशाल होते हुए भी मूर्ति अत्यन्त मनोज्ञ और लावण्ययुक्त है। मण्डपके तीन ओर २३ प्रकोष्ठ बने हुए हैं। गर्भगृहके वामपाश्वमें एक खड्गासन ६ फीट उत्तुंग श्यामवर्ण प्रतिमा है । केशोंकी अलग-अलग सुन्दर लटें बनी हुई हैं। सिरके ऊपर छत्र है। इस प्रतिमाके बगलमें भूरे पाषाणकी ३ फीट ऊँची सर्वतोभद्रिका प्रतिमा है। ___इस प्रकोष्ठ के बाहर भूरे पाषाणकी ३ फीट उन्नत एक तीर्थंकर प्रतिमा रखी है। यह अर्धपद्मासन है। सिरके ऊपर छत्र हैं। छत्रोंके दोनों ओर चमरेन्द्र हैं। उनसे नीचे दोनों ओर दो-दो पद्मासन प्रतिमाएँ और बनी। र बनी हुई हैं। पादपीठपर सात भक्त श्रावक हाथ जोड़े हुए विनय मुद्रामें बैठे हैं। प्रतिमा खण्डित है। इस प्रकोष्ठके बगलवाली कोठरीमें सरस्वतीकी २ फीट ७ इंच ऊंची श्याम बायें कन्धेके सहारे वीणा रखी हुई है और देवी उसे दायें हाथसे बजा रही है। बायाँ हाथ वरद मुद्रामें है। देवी अर्धपद्मासनसे बैठी है। मण्डपमें ३ फीट १ इंच ऊँची सर्वतोभद्रिका प्रतिमा रखी हुई है। यह खण्डित है। शिखरके ऊपर चारों दिशाओंमें पद्मासन तथा नीचे खड्गासन प्रतिमाएं हैं। इन प्रकोष्ठोंके अतिरिक्त शेष प्रकोष्ठोंमें चमगादड़ोंने निवास बना लिया है। गुफा नं. २-उक्त गुफाकी बायीं ओरकी गुफामें तीन द्वार हैं। यह गुफा १७ फीट १ इंच लम्बी और ११ फीट २ इंच चौड़ी है। इसके मध्यमें दो जल-कुण्ड बने हुए हैं। दोवारके सहारे ४ फीट ४ इंच ऊँची पाश्वनाथकी खड़गासन प्रतिमा विराजमान है। यह सप्तफणावलियुक्त है। प्रतिमाकी पीठपर सर्प-वलय बना हुआ है । प्रतिमाका वर्ण हलका श्याम है। इसका मुख घिस गया है। इसके वाम पार्वमें ३ फीट ९ इंच ऊँची सर्वतोभद्रिका प्रतिमा है तथा दक्षिण पाश्वमें १ फुट ९ इंच ऊंचे पाषाणफलकमें पद्मासन प्रतिमा उत्कीर्ण है। उसके ऊपर छत्र तथा नीचे चमरवाहक हैं। गुफा नं. ३–दायीं ओर एक विशाल गुफा है। इसमें बाहर बरामदा तथा २० स्तम्भोंपर आधारित विशाल सभा-मण्डप है। मण्डपका फर्श कच्चा है। गर्भगह १९ फीट २ इंच लम्बा और १७ फीट ९ इंच चौड़ा है। ४ फीट ऊंचे चबूतरेपर भगवान् पार्श्वनाथकी अर्धपद्मासन श्यामवर्ण प्रतिमा है । यह ६ फोट २ इंच ऊँची और ६ फीट चौड़ी है। इसका लेप कहीं-कहीं उतर गया है। सिरके ऊपर सप्तफण है, किन्तु जीर्ण-शीणं हैं। शेष रचना प्रथम गुफाकी प्रतिमाके समान है, किन्तु काफी अस्पष्ट हो चुकी है। वेदोके चारों ओर परिक्रमा-पथ बना हुआ है। इस गुफामें भी कहीं-कहीं जल टपकता है, किन्तु जल-कुण्ड नहीं बना है। ___मुख्य गर्भगृहकी बायीं ओर एक प्रकोष्ठमें एक चबूतरेपर ४ फोट २ इंच ऊंची अर्धपद्मासन श्यामवर्ण प्रतिमा है। ऊपर छत्रत्रयी है। छत्रोंके दोनों ओर चमरेन्द्र हैं, किन्तु अस्पष्ट हैं ।
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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