SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४४ ___ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ४. समवसरण मन्दिर-आगे चलकर एक बड़े हॉलमें समवसरणकी रचना की गयी है। इसके आगे एक विशाल हॉल है। ब्रह्मचर्याश्रम क्षेत्रपर श्री देशभूषण-कुलभूषण ब्रह्मचर्याश्रम नामसे एक गुरुकुल चल रहा है। इसमें लौकिक शिक्षाके साथ छात्रोंको धार्मिक शिक्षण भी दिया जाता है। यहां हाईस्कूल तककी शिक्षा दी जाती है। यह बाहुबली ब्रह्मचर्याश्रमका शाखा गुरुकुल है। धर्मशालाएँ क्षेत्रपर २ धर्मशालाएं हैं। इनमें कुल ५२ कमरे हैं। धर्मशालाओंमें कुआँ और बिजलीकी व्यवस्था है। कुएंमें मोटर फिट करके पाइप लाइनको व्यवस्था की गयी है। यात्रियोंके लिए बर्तनोंका भी प्रबन्ध है। मेला क्षेत्रपर प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष शुक्ला ११ से १५ तक पंच दिवसीय वार्षिक मेला होता है। इस अवसरपर रथयात्रा होती है । लगभग ३-४ हजार यात्री इसमें सम्मिलित होते हैं। भाद्रपद शुक्ला २ को पूज्य आचार्य शान्तिसागरजीकी पुण्य-तिथि मनायी जाती है। इस अवसरपर ४००-५०० व्यक्ति आ जाते हैं। भोजन आदि द्वारा सभी साधर्मी बन्धुओंका सत्कार किया जाता है। क्षेत्रपर संवत् २००२ में पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा हुई थी। उस अवसरपर लगभग १०-१२ हजार व्यक्ति प्रतिष्ठामें सम्मिलित हुए थे। अतिशय क्षेत्रपर कई बार अद्भुत घटनाएं होती रहती हैं जिन्हें देवी अतिशय कहा जाता है। अनुश्रुति है कि ५०-६० वर्ष पहले पहाड़पर बड़े मन्दिरमें ( कुलभूषण-देशभूषण मन्दिर ) रात्रिमें घण्टानादकी ध्वनि सुनाई देती थी तथा भगवान्का अभिषेक होता था। इससे चारों ओर सुगन्धि फैल जाती थी। प्रातःकाल जब यात्री मन्दिरमें दर्शन-पूजनके लिए जाते थे तो उन्हें कटोरेमें गन्धोदक मिलता था। मार्ग और अवस्थिति यह क्षेत्र महाराष्ट्र प्रान्तके उस्मानाबाद जिलेमें अवस्थित है। यहां पहुंचनेके लिए निकटतम रेलवे स्टेशन येडशी या वार्शी टाउन हैं। दोनों ही स्टेशन दक्षिण-मध्य रेलवेकी कुडुवाड़ी-लातूर शाखापर अवस्थित हैं। येडशोसे यरमाला होकर कून्थलगिरि ५० कि. मी. है तथा वार्शीटाउनसे ५७ कि. मी. है। उस्मानाबाद शोलापुर, बीडसे जो बसें भूम जाती हैं, वे सब कुन्थलगिरि धर्मशालाके पास ही रुकती हैं। जो बसें औरंगाबाद, शोलापुर, उस्मानाबाद और बोडके मध्य चलती हैं, वे कुन्थलगिरि फाटा (सरमगुण्डी बस स्टैण्ड) पर रुकती हैं। यहाँसे कुन्थलगिरि क्षेत्र ४ कि. मी. है। फाटापर उतरकर पुनः भूम जानेवाली बससे कुन्थलगिरि जाना पड़ता है। जाने के लिए बैलगाड़ी या अन्य कोई साधन नहीं
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy