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________________ २३३ महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्रका पता इस प्रकार है मन्त्री, श्री बाहुबली दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, पो. बाहुबली (कोल्हापुर ) महाराष्ट्र कोल्हापुर मार्ग और अवस्थिति कोल्हापुर महाराष्ट्र प्रान्तका प्रमुख व्यापारिक नगर है। बम्बई, पूना आदि नगरोंसे रेल और सड़क मार्ग दोनोंसे यह सम्बन्धित है । पूनासे कोल्हापुर ३२८ कि. मी., बम्बईसे पूना १९२ कि. मी. है। इसी प्रकार शोलापुर, बेलगाम आदि नगरोंके साथ भी इसका सम्पर्क है। यहाँ भट्टारक लक्ष्मीसेन और भट्टारक जिनसेनके भट्टारकपीठ हैं। नगरके मन्दिर नगरमें कई मन्दिर दर्शनीय हैं । उनमें १२वीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं हैं। लक्ष्मीसेन मठ-यह शुक्रवार पेठमें स्थित है। विशाल प्रवेश-द्वारमें प्रवेश करनेपर यह सामने दिखाई देता है। बायीं ओर मठका भवन है । एक मण्डपमें २८ फीट ऊँची श्वेत मकरानेकी आदिनाथ भगवान्की खड्गासन मूर्ति है । उसकी बगलमें पीतलकी एक खड्गासन प्रतिमा है तथा आगे एक श्वेत शिलाफलकमें भगवान पार्श्वनाथकी सप्तफणी श्वेत पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। परिकरमें तीन छत्र हैं; ऊपर अलंकरण है। छत्रोंके दोनों ओर विमानमें बैठे देव पुष्पवर्षा करते दीख पड़ते हैं। उनके नीचे २-२ नगाड़े रखे हुए हैं। आसनके अधोभागमें वाद्यवादक हैं । दोनों ओर चमरेन्द्र हैं। उनके नीचे चतुर्भजी यक्ष-यक्षी हैं। प्रतिष्ठा काल शक संवत् १८८४ वैशाख शुक्ला १२ बुधवार है। इस मठके पार्श्वमें एक जिनालय है। उसमें नोचेके गर्भगृहमें चन्द्रप्रभ भगवान्को ४ फोट उन्नत प्रतिमा है तथा ऊपरकी मंजिलमें भगवान् पाश्वनाथ एवं भगवान् शान्तिनाथको मनोज्ञ प्रतिमाएँ हैं । इनके अतिरिक्त इस पार्श्वनाथ मन्दिरमें अन्य अनेक तीर्थंकर और शासन देवताओंकी मूर्तियाँ हैं । शिखर उन्नत है । यहाँ हस्तलिखित ग्रन्थोंकी संख्या सात सौ है जिनमें अनेक ताड़पत्रीय ग्रन्थ हैं । यहाँसे 'रत्नत्रय' पत्र प्रकाशित होता है तथा श्री लक्ष्मीसेन दि. जैन ग्रन्थमालासे अब तक लगभग २० ग्रन्थ प्रकट मंगलवार पेठ-यहां श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर है। मलनायक भगवान नेमिनाथकी श्यामवर्ण मूर्ति ३ फोट ५ इंच ऊंची, पद्मासन मुद्रामें आसीन है। इसके पादपीठपर लेख और लांछन नहीं है । यह मन्दिर हिन्दुओंके महालक्ष्मी मन्दिरके समकालीन है। महालक्ष्मी मन्दिर मूलतः जैनोंका देवी मन्दिर था। बादमें इसपर हिन्दुओंने अधिकार कर लिया है । अब भी उसकी छतों और स्तम्भोंपर जैन मूर्तियाँ दिखाई देती हैं। नेमिनाथके दोनों पोंमें पाश्र्वनाथ भगवानकी भरे वर्णको पदमासन मतियां हैं। नेमिनाथकी मूर्तिपर कुछ वर्ष पूर्व लेप किया गया है। इन मूर्तियोंके अतिरिक्त वेदीपर पीतलकी ६ और चांदीकी २ मूर्तियाँ और हैं। इनके अतिरिक्त मन्दिरमें पाषाणकी १० और धातुको ३२ मूर्तियाँ हैं। ३०
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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