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महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ
२१३ और दो खड्गासन तीर्थंकर प्रतिमाएं हैं । अधोभागमें बायीं ओर दो भक्त हाथ जोड़े हुए खड़े हैं। इस मूर्तिसे आगे २८ पद्मासन अहंन्त प्रतिमाएं तथा १० कायोत्सर्गासन साधु प्रतिमाएं हैं तथा द्वारपर दायीं ओर पद्मासन प्रतिमा है। गुफाके मध्यमें एक दीवार है जिसमें ७ अर्हन्तोंकी पद्मासन और ६ साधुओंकी कायोत्सर्ग मुद्रामें दीवारके तीन ओर प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं।
___ इससे आगे गुफा नं. ७ मिलती है। यह एक अर्धमण्डप है। इसके मध्यमें एक चैत्य है जिसमें चारों दिशाओंमें चार प्रतिमाएं बनी हुई हैं तथा अन्दर दीवारमें ४ प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं।
इससे आगे एक खुली गुफा नं. ८ है। इसमें तीन ओर २० पद्मासन अर्हन्त प्रतिमाएं और ७ साधु प्रतिमाएं हैं। इनके एक हाथमें माला और दूसरे हाथमें पीछी है। गुफाको बाह्य भित्तियोंपर ७ अर्हन्त-प्रतिमाएं और ४ साधु-प्रतिमाएं हैं।
आगे गुफा नं. ९ है । इसमें तीन ओर ४७ पद्मासन अहंन्त प्रतिमाएँ और १३ खड्गासन साधु-प्रतिमाएं हैं । मध्यमें २ फुट १० इंच ऊँची पार्श्वनाथ प्रतिमा है।
इसके आगे अर्धमण्डप है। उसके मध्यमें ५ फुट ३ इंच ऊंचे क्षेत्रपाल विराजमान हैं। निकट ही एक कुण्ड है। आगे पहाड़की दीवारमें ४० प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं।
यहाँसे पर्वतका परिक्रमा-पथ प्रारम्भ होता है। इसमें पर्वतको दीवारमें २४ तीर्थकर मूर्तियां, साधु मूर्तियां और १ चरण-चिह्न बने हुए हैं। परिक्रमा समाप्त होनेपर यहाँसे उतरना प्रारम्भ हो जाता है । थोड़ा-सा उतरनेपर एक खुली हुई गुफामें दो चरण-चिह्न बने हुए हैं। कहा जाता है, यहां सीताजीने आर्यिका दशामें तपस्या की थी। उसकी स्मृतिस्वरूप ये चरण-चिह्न विराजमान किये गये हैं।
तुंगी शिखर-मांगी शिखरसे सीढ़ियों द्वारा उतरकर पाषाण द्वारपर आते हैं। वहाँसे दायीं ओरको एक चौरस कच्चा मार्ग तुंगी शिखरके लिए जाता है। तुंगी शिखरके मार्गमें मार्बलकी दो छतरियां मिलती हैं। इनमें प्राचीन चरण-चिह्न विराजमान हैं। इनसे कुछ आगे चलनेपर सीढ़ियां प्रारम्भ हो जाती हैं। यहां सीढ़ियोंकी कुल संख्या ३०० है। कुछ मार्ग अनगढ़ है। सर्वप्रथम चन्द्रप्रभ गुफा मिलती है। यह गुफा १२ फुट चौड़ी और १८ फुट लम्बी है। यहाँ वेदीपर भगवान् चन्द्रप्रभकी ३ फुट ३ इंच ऊँची पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। प्रतिमाके ऊपर श्वेत पालिश की हुई है। भित्तियोंमें तीन ओर १७ प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं, जिनमें २ खड्गासन और १५ पद्मासन हैं। पद्मासन प्रतिमाओंमें ७ प्रतिमाएं २ फुट १ इंचकी और ८ प्रतिमाएं १ फुट ३ इंचकी हैं । खड्गासन प्रतिमाएँ १० इंच ऊंची हैं।
इस गुफाके बगल में रामचन्द्र गुफा बनी हुई है। इस गुफाका आकार ९ फुट ४९ फुट है। सामने वेदीपर श्वेत पालिश की हुई ३ प्रतिमाएं विराजमान हैं। ये तीनों ही २ फुट ३ इंच अवगाहनाकी हैं। इनमें मध्यमें रामचन्द्र, बायीं ओरकी दीवारमें नील और गवाक्ष तथा दायीं ओरकी दीवारमें सुडील और गव अहंन्तकी प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं। सभी प्रतिमाएं पद्मासन मुद्रामें हैं। __ गुफाके बाहर दायीं ओर पहाड़की दीवारमें ललितासनमें एक यक्षी आसीन है। गलेमें मौक्तिक माला धारण किये हुए है। इसके ऊपर बने हुए एक कोष्ठकमें तीर्थंकर प्रतिमा है। यक्षीके वाम पाश्वमें खड्गासन मुद्रामें एक तीर्थंकर प्रतिमा उत्कीर्ण है। इससे कुछ आगे पर्वत शिलामें पार्श्वनाथ और एक अन्य तीर्थंकर प्रतिमा उत्कीर्ण है।
इस शिखरके चारों ओर भी परिक्रमा-पथ बना हुआ है। परिक्रमा-पथमें लोहेकी रेलिंग