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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ सीढ़ियां बनी हुई हैं। कहीं-कहीं वर्षाके कारण बड़ी-बड़ी शिलाओंके लुढ़कनेसे सीढ़ियां टूट-फूट गयी हैं । मांगी शिखरके निकट कुछ सीढ़ियोंका निर्माण अभी बाकी है। इसी प्रकार तुंगी शिखरके निकट भी थोड़े-से स्थानपर अनगढ़ पत्थरोंके सहारे चढ़ना पड़ता है। दोनों शिखरोंपर अनुमानतः २५० सीढ़ियोंका निर्माण होना बाकी है। सीढ़ियोंके दोनों ओर दीवारकी फेंसिंग है। दोनों शिखरोंकी परिक्रमामें तथा जहाँ दीवारकी फेंसिंग नहीं है, वहाँ लोहे के पाइपकी रेलिंग लगी हुई है।
कुछ सीढ़ियां चढ़नेपर बायीं ओर दो गुफाएँ मिलती हैं, जिन्हें शुद्ध-बुद्धजीकी गुफा कहते हैं । शुद्धजीकी गुफामें ३ फीट ऊंची पीत वर्ण पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा विराजमान है । इसके अतिरिक्त ८ प्रतिमाएँ गुफाके अन्तः और बाह्य भागमें दीवारोंपर उत्कीर्ण हैं । इसी प्रकार बुद्धजीकी गुफामें ५ फुट ४ इंच अवगाहनावाली श्याम वर्ण पद्मासन प्रतिमा वेदीपर विराजमान है। इसके अतिरिक्त तीर्थंकरों और देवताओंकी १९ प्रतिमाएँ भित्तियोंमें उत्कीर्ण हैं। इन प्रतिमाओंका पाषाण बुरबुरा है और अधिक ठोस नहीं है। जिससे मूर्तियां काफी घिस गयी हैं। ये मूर्तियाँ अपने रूपसे नहीं, अपितु अपनी प्राचीनतासे दर्शकोंको प्रभावित करती हैं। इन गुफाओंके निकट निर्मल जलके प्राकृतिक कुण्ड बने हुए हैं ।
यहाँसे आगे बढ़नेपर पाषाण-द्वार मिलता है। यहाँसे दायीं ओरका समतल मार्ग तुंगीगिरिको जाता है और बायीं ओरका सीढ़ियोंका मार्ग मांगी शिखरको जाता है। पहले मांगी शिखरकी यात्राके लिए जाते हैं।
मांगी शिखर-महावीर मन्दिर एक गुफा है। इसे पलस्तर और टाइल्स द्वारा कमरेका रूप दे दिया गया है । इसमें मूलनायक प्रतिमा भगवान् महावीरकी है। यह श्वेत वर्णकी पद्मासन मुद्रा में विराजमान है। इसकी अवगाहना ३ फुट ३ इंच है। मूर्तिके ऊपर पालिश की हुई है। इसके पीठासनपर लेख और लांछन नहीं है।
___ बायीं ओरकी दीवारमें १ फुट १ इंच ऊँची ४ पद्मासन प्रतिमाएं हैं। इनमें ३ एक पंक्तिमें हैं और १ मूर्ति बायीं ओर दीवार में है। ये सभी दीवारमें उकेरी हुई हैं। इधर ही दो आलोंमें इतनी ही बड़ी प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं।
___ इस मन्दिरसे कुछ आगे चलनेपर पहाड़की दीवारमें ८ प्रतिमाएं तीर्थंकरों और यक्षयक्षियोंकी उत्कीर्ण हैं। इसके निकट एक छोटा-सा जल-कूण्ड है। आगे बढ़नेपर एक बरामदा मिलता है जिसमें टाइल्स लगे हुए हैं। दीवारमें पहले पैनलमें ४ फुट ऊंची तथा बायीं ओर २ फुट ३ इंच ऊँची मूर्ति है। इससे आगेके पैनलमें शिलामें २ फुट ऊंची तथा उसके पाश्वमें कायोत्सर्गासनमें एक साधु प्रतिमा है। उससे ऊपरको ओर एक शिलामें चौबीस तीर्थंकर मूर्तियां हैं। एक प्रतिमा श्रीकृष्णके भाई बलराम मुनिकी है। इनकी पीठ दिखाई पड़ती है। जब देव द्वारा समझानेपर बलरामको यह विश्वास हो गया कि उनका प्राणोपम भाई वास्तवमें गतप्राण हो चुका है तो उन्हें इस असार संसारसे वैराग्य हो गया और वे दुनियासे मुख मोड़कर मुनि-दीक्षा लेकर तप करने लगे । दुनियाकी ओर पीठ किये हुए यह प्रतिमा उसी अवस्थाका बोध कराती है, ऐसी रोचक उक्ति प्रचलित है। ___आगे बढ़नेपर गुफा नं. ६ मिलती है। यह गुफा औरोंकी अपेक्षा बड़ी है। इसे भी पलस्तर करके कमरेका रूप दे दिया गया है। दायीं ओरसे बायीं ओरको भगवान् आदिनाथकी ४ फुट ६ इंच ऊंची पद्मासन प्रतिमा है। इसके ऊपर श्वेतवर्णकी पालिश की हई है। आगे दीवारमें २० पद्मासन प्रतिमाएं हैं जिनमें एक खड्गासन है। आगे ६ भक्त युगल हैं। वेदीके मध्यमें एक शिलाफलकमें पाश्वनाथ हैं। सिरके ऊपर छत्र हैं, दोनों पावों में चमरवाहक हैं। नीचे दो पद्मासन