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महाराष्ट्रके दिगम्बर जैन तीर्थ
२०७ पाण्डव गुफाओंमें ११ नवम्बर की गुफामें भगवान महावीरकी एक प्रतिमा ३ फुट ऊंची पद्मासन मुद्रामें है।
गजपन्थसे पश्चिमकी ओर लगभग १६ कि. मी. दूर त्र्यंबक रोडपर अंजनेरी क्षेत्र है। यहां पर्वतके ऊपर दो गुफाएं हैं। एक गुफामें भगवान् मल्लिनाथकी लगभग ३ फीट ऊँची एक पद्मासन प्रतिमा पहाड़में उत्कीर्ण है। दूसरी गुफामें ५ मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। इस पर्वतसे नीचे गांवमें पहले १०-१५ जैन मन्दिर थे। उनके भग्नावशेष गांवमें बिखरे पड़े हैं। कुछ मन्दिर अभी भग्न दशामें खड़े हुए हैं। इनका शिल्प और स्थापत्य उच्चकोटिका है। एक मन्दिरमें १२वीं शताब्दीका एक शिलालेख विद्यमान है। यहाँकी मूर्तियोंको लोग उठा ले गये। इन मन्दिरोंपर आजकल पुरातत्त्व विभागका अधिकार है। यहां सड़क किनारे एक शैडके नीचे पाँच फुट ऊँची पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा रखी हुई है। हिन्दू लोग अपना आराध्य मानकर इसकी पूजा करते हैं। जैनोंने इसे ले जानेका कई बार प्रयत्न किया, किन्तु हिन्दू लोग इसे ले जाने नहीं देते।
उपर्युक्त सभी पुरातत्त्व चौथीसे आठवीं शताब्दी तकका अनुमानित किया जाता है। धर्मशाला
क्षेत्रपर एक धर्मशाला है। इसमें ६५ कमरे हैं। धर्मशालामें कुआं, स्नानगृह और शौचालय बने हुए हैं। प्रकाशके लिए बिजली है । यात्रियोंकी सुविधाके लिए गद्दे, तकिये और पर्याप्त संख्या में बर्तनोंकी व्यवस्था है । एक दुकान भी है, जहाँ सभी आवश्यक सामान मिल जाता है । धर्मशालाके निकट ही गांव है। पोस्ट ऑफिस गांवमें है । क्षेत्रके कार्यालयमें टेलीफोनकी भी सुविधा है।
नासिकमें भी एक जैन धर्मशाला है । यह प्रभात टाकीजके सामने गलीमें है। इसका पता है-१३८१ टकसाल लेन, दूध नाका, त्रयंबक दरवाजा नासिक । मेला
क्षेत्रपर प्रतिवर्ष माघ शुक्ला १४ को वार्षिक मेला होता है। उस दिन यहां जलयात्राका उत्सव होता है।
क्षेत्रपर सन् १९३६ और सन् १९५० में दो बार आचार्य शान्तिसागरजी महाराजका चातुर्मास हुआ था। इसी प्रकार आचार्य महावीरकीर्तिजीके भी यहां दो बार चातुर्मास हो चुके हैं। इनके कारण क्षेत्रपर अनेक बार उल्लेखनीय समारोह हो चुके हैं। व्यवस्था
क्षेत्रकी व्यवस्था श्री दिगम्बर जैन गजपन्थ सिद्धक्षेत्र प्रबन्धक समिति करती है। इसका चुनाव मेलेके अवसरपर तीन वर्षमें जनरल मीटिंग द्वारा होता है। मार्ग
यह क्षेत्र नासिक शहरसे ६ कि. मी. उत्तरकी ओर डिण्डोरी रोडपर स्थित है। नासिकसे बस, टैम्पो, तांगे सभी मिलते हैं । इनसे म्हसरूल गांवका नाम लेना चाहिए।
मांगीतुंगीसे आनेवाले सटाणा-नासिक वाया कलवनवाली बससे यहां उतर सकते हैं । हिन्दूतीर्थ नासिक
नासिक हिन्दुओंका परम पावन तीर्थ है । नासिक स्टेशनसे पांच मील दूर गोदावरीके तटपर नासिक शहर अवस्थित है । वनवास कालमें राम, लक्ष्मण और सीताजी यहां बहुत समय तक