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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
व्यवस्था
इस मन्दिरको सम्पूर्ण व्यवस्था अंकलेश्वरके चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिरका ट्रस्ट ही करता है।
-सजोदका पोस्ट-ऑफिस अंकलेश्वर है और उसका जिला भड़ोंच है।
अमोझरो पार्श्वनाथ
मार्ग
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अमीझरो पार्श्वनाथ गुजरात प्रान्तके बड़ाली ग्राममें है। बड़ाली पश्चिम रेलवेका छोटा-सा स्टेशन है। यह अहमदाबाद-खेडब्रह्मा लाइनपर खेड़ब्रह्मासे पहला स्टेशन है । यह हिम्मतनगरसे ४४ कि. मी. और ईडरसे १४ कि. मी. दूर है। अतिशय क्षेत्र
बड़ाली ग्राममें एक प्राचीन मन्दिर है। उसमें मूलनायक प्रतिमा अमीझरो पार्श्वनाथकी है। यह ३ फूट अवगाहनावाली श्याम वर्ण प्रतिमा है। मन्दिरके भीतर बावड़ी और धर्मशाला है। भट्टारक सुमतिसागरने उल्लेख किया है कि 'पास अमीझर शीतलए चन्द्रनाथ महामुनि' अर्थात् अमीझरो पार्श्वनाथके निकट शीतलनाथ, चन्द्रप्रभ और ऋषभदेवकी प्रतिमाएं विराजमान हैं। भट्टारक सुमतिसागरका समय सोलहवीं शताब्दीका मध्य भाग निश्चित किया गया है।' सुमतिसागरजीने अमीझरोकी स्थिति बताते हुए कहा है
"सुगाम बड़ाली नाम विशाल । सुअमीझरा पूजो गुणमाल ॥" भट्टारक ज्ञानसागरने अपनी 'सर्वतीर्थ वन्दना' नामक रचनामें बताया है कि पूजाके अनन्तर पार्श्वनाथको मूर्तिसे अमृत झरता है, इसलिए इसका नाम अमीझरो पाश्र्वनाथ है। उक्त रचनाका यह पद्य इस प्रकार है
"सुघट घटित अति निपुण ग्राम बड़ाली नामह । पाश्वजिनेन्द्र प्रसिद्ध अमीझरो तिस ठामह । पूजानंतर सार अमिय सर्वांग झरंतह ॥ कृष्णागरु महर्कत जय जय जगत करंतह । मानव घन सेवा करत आराधत सुर खगपति ।
अमीझरो नित वंदिये कहत ज्ञानसागर यति ॥६८॥" भट्टारक जयसागरने भी 'तीथं जयमाल' में अमीझरोका उल्लेख किया है और उसे बड़ाली ग्राममें बताया है।
इन विद्वान् भट्टारकोंके उल्लेखोंसे ऐसा लगता है कि उनके कालमें यह एक प्रसिद्ध दिगम्बर जैनतोर्थ था। किन्तु अब बड़ाली ग्राममें दिगम्बर जैनोंका कोई घर नहीं रहा। काफी समयसे ईडरकी दिगम्बर जैन समाज इस क्षेत्रकी देखरेख, पूजा-सेवाकी व्यवस्था करती थी। किन्तु
१. भट्टारक सम्प्रदाय, पृ. २००। २. तीर्थवन्दनसंग्रह, पृ. ७५ ।