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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमाएं, नेमिनाथकी १ पाषाण-प्रतिमा तथा धातुकी ३२ प्रतिमाएं भी हैं। पाषाण-फलकपर एक यन्त्र भी उत्कीणं है।
४. महावीर मन्दिर-यह यहाँका बड़ा मन्दिर कहलाता है। वेदीके बाहर बायीं ओर पाषाणका पंचमेरु बना हुआ है । २० प्रतिमाएं बनी हुई हैं। दायीं ओर शीशेके फ्रेममें धातुका पावापुरी जल-मन्दिर बना हुआ है। रचना सुन्दर है। इसमें महावीर स्वामीकी १ फुट १ इंच ऊंची धातु-प्रतिमा भी विराजमान है।
मध्यमें गन्धकुटीमें एक चैत्य है जिसके चारों कोनोंके स्तम्भोंपर २४ तीर्थंकर प्रतिमाएं हैं तथा चारों दिशाओंमें चार तीर्थंकर प्रतिमाएं हैं। कटनीपर चारों ओर धातु और पाषाणकी प्रतिमाएं विराजमान हैं।
बायीं ओरकी दीवारमें एक वेदी बनी हुई है। इसमें ऊपरके भागमें ६ धातुको तथा नीचेके भागमें ४ पाषाणकी और २ धातुकी प्रतिमाएं हैं।
इस मन्दिरके बाहर बायीं ओर एक देवरो बनी हुई है। उसमें धातुका एक स्तम्भ बना हुआ है । उसके आगे अम्बिका देवीको एक पाषाण प्रतिमा विराजमान है। व्यवस्था
___ उक्त चारों मन्दिरोंकी व्यवस्था किसी एक प्रबन्धक समितिके अन्तर्गत नहीं है। महावीर मन्दिर और आदिनाथ मन्दिर काष्ठासंघके हैं। इन दोनों मन्दिोंका एक ट्रस्ट है। चिन्तामणि पार्श्वनाथ और शीतलनाथ मन्दिर सजोद-ये दोनों मन्दिर मूलसंघके हैं। इन दोनों मन्दिरोंकी व्यवस्था एक ही ट्रस्टके द्वारा होती है । नेमिनाथ मन्दिर नवग्रह संघका कहलाता है । इसका एक पृथक् ट्रस्ट है। धर्मशाला
नगरमें एक दिगम्बर जैन धर्मशाला है। उसमें यात्रियों के लिए आवास, नल और बिजलीकी सुविधा है। मेला
महावीर स्वामीके मन्दिरसे क्वार वदी १ को जलयात्राका जलूस निकलता है। नेमिनाथ मन्दिरसे भाद्रपद शुक्ला १५ को एक जलूस निकलता है। रामकुण्डके पास मुनि-चरण बने हुए हैं। यह जलूस वहाँ जाता है। पतामैनेजिंग ट्रस्टी, श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर,
__ अंकलेश्वर (जिला भड़ोंच ) गुजरात
सजोद
मार्ग
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र सजोद गजरात प्रान्तके भड़ोंच जिलेमें अंकलेश्वरसे पश्चिमकी ओर ८ कि. मी. दूर स्थित है । अंकलेश्वर स्टेशन पश्चिमी रेलवेके सूरत और बड़ौदा स्टेशनोंके मध्यमें है। अंकलेश्वरसे मोटर द्वारा सजोद जा सकते हैं।