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गुजरातके दिगम्बर जैन तीर्थ
१८३ बायीं ओर ३ फूट ५ इंच ऊंची शान्तिनाथ भगवान्की श्वेत पाषाणकी खड़गासन प्रतिमा है। यह एक शिलाफलकमें उत्कीर्ण है। इसके दोनों पाश्र्यों में दो खड्गासन मूर्तियाँ हैं। इसके ऊपर कोनोंपर दो मालाधारी देव हैं तथा अधोभागमें हाथ जोड़े हुए दो भक्त बैठे हैं।
___ दायीं ओर ३ फुट ३ इंच ऊँची आदिनाथ भगवान्की श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा एक पाषाणफलकमें उत्कीर्ण है। फलकमें दो पद्मासन और दो खड्गासन मूर्तियां और हैं।
सभामण्डपमें सप्तफणयुक्त पाश्वनाथकी ३ फुट ५ इंच अवगाहनावाली कृष्णवर्णकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है जिसकी प्रतिष्ठा वीर नि. संवत् २४७७ में हुई थी।
बायीं ओर ११ इंचके एक शिलाफलकमें श्वेतवर्णकी एक खड़गासन प्रतिमा है। उसके परिकरमें दो पद्मासन और दो खड्गासन प्रतिमाएँ हैं। प्रतिमाके ऊपर छत्र और दो गज बने हुए हैं। दायीं ओर एक फुटके शिलाफलकमें एक खड्गासन प्रतिमा उत्कीर्ण है। पूर्व प्रतिमाके समान इसमें भी दो पद्मासन और दो खड्गासन प्रतिमाएं, छत्र और दो गज हैं।
एक आलेमें भूरे वर्णकी १ फुट ८ इंच ऊँची अजितनाथ भगवान्की खण्डित पद्मासन प्रतिमा रखी है । इस फलकमें ऊपरके भागमें माला लिये हुए देव-देवियां, गज और दो खड्गासन प्रतिमाएं बनी हुई हैं। एक खण्डित मूर्ति और भी रखी है। यह फलक १ फुट ऊंचा और १ फुट ९ इंच चौड़ा है। मूर्ति पद्मासन है। दायीं ओर मालाधारी देव उत्कीर्ण हैं।
७. पार्श्वनाथ मन्दिर-इस मन्दिरमें गर्भगृह, सभामण्डप और तीन और अर्धमण्डप बने हुए हैं। वेदीपर नौफणयुक्त भगवान् पार्श्वनाथको २ फुट १० इंच उत्तुंग और संवत् १९६० में प्रतिष्ठित श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है।
बायीं ओर संवत् १६४२ में प्रतिष्ठित १ फूट ८ इंच ऊंचो श्वेत पाषाणकी पद्मप्रभ भगवानकी पद्मासन प्रतिमा है । तथा दायीं ओर १ फुट ५ इंच ऊँचो संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित पाश्र्वनाथकी पद्मासन प्रतिमा है।
मन्दिरको रथिका और जंघापर देवी-मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। ये सभी मन्दिर ११-१२वीं शताब्दीके अनुमान किये जाते हैं। किन्तु वर्तमानमें इन मन्दिरोंमें जो मूर्तियाँ विराजमान हैं, वे संवत् १५४८ के पश्चात्कालीन हैं। इन मन्दिरोंको मूल प्रतिमाओंका क्या हुआ, इस सम्बन्धमें कुछ नहीं कहा जा सकता।
इन मन्दिरोंसे कुछ ऊपरकी ओर पहाड़ पर जलके दो गहरे कुण्ड बने हुए हैं। कुछ वर्ष पूर्व एक सिंह कुण्डमें गिर पड़ा था। प्रयत्न करनेपर भी वह कुण्डसे बाहर नहीं निकल सका था। वह कई दिन तक कुण्डमें पड़ा हुआ दहाड़ता रहा। उस समय कुण्डमें अधिक जल नहीं था। तब सरकारकी ओरसे उसे निकालकर पिंजड़े में बन्द करके चिड़ियाघर भेज दिया गया। तलहटीके मन्दिर
तलहटीमें दो मन्दिर बने हुए हैं। एक तो महावीर मन्दिर, जो धर्मशालाके मध्य में बना हुआ है तथा दूसरा पार्श्वनाथ मन्दिर, जो धर्मशालासे बाहर बना हुआ है।
महावीर मन्दिर-वेदीपर २ फूट ६ इंच उत्तंग और संवत १९४४ में प्रतिष्ठित भगवान महावीरकी श्वेत पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। बायों ओर ५ फुट ३ इंच ऊँचे एक शिलाफलकमें सम्भवनाथ भगवान्की खड्गासन प्रतिमा विराजमान है। फलकका वर्ण श्वेत है। प्रतिमाके ऊपर छत्र है। उसके ऊपर दुन्दुभिवादन करते हुए देव हैं। छत्रसे नीचे गजपर आरूढ़ पुष्पमाल लिये देवी है। उससे नीचे दोनों पार्यों में १-१ पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमा तथा उससे