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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थं
निर्माण हुआ है। इसमें शास्त्रोंका संग्रह किया गया है । इसीमें स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्टका कार्यालय है ।
श्री महावीर कुन्दकुन्द दिगम्बर जैन परमागम मन्दिर - सीमन्धर मन्दिर के पास में यह नव-निर्मित मन्दिर है । इसका सभामण्डप ८० X ४० फुटका है । यह पूरा संगमरमरका बना है । इसमें लगभग २६ लाख रुपये व्यय हुए हैं। इसमें भगवान् महावीरकी बादामी संगमरमरकी ५ फुट ऊँची मूर्ति स्थापित है । आचार्य कुन्दकुन्द कृत पांच आगम ग्रन्थ समयसार, नियमसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय और अष्टपाहुड ) ४x२ फुटकी ४४८ पाटियोंपर मशीन द्वारा उत्कीर्ण कराये गये हैं । ये पाटिये क्रमशः इस मण्डपमें जड़े हुए हैं। इन पाँच आगमोंकी प्रतिष्ठा की गयी है । इन आगमोंमें मूल गाथा और अमृतचन्द्राचायँकी टीका दी गयी है । आचार्य कुन्दकुन्द, आचार्य अमृतचन्द्र और मुनि पद्मप्रभ मलधारी देवके भव्य चित्रांकन किये गये हैं । पौराणिक दृश्योंका भी भव्य चित्रांकन किया गया
यह मन्दिर दो मंजिला है । ऊपरकी मंजिल में भी तीर्थंकर महावीरकी प्रतिमा विराजमान है । इस मन्दिरके ऊपर ३ भव्य शिखर हैं ।
भगवान् श्री कुन्दकुन्द प्रवचन मण्डप - परमागम मन्दिरके पीछे यह प्रवचन मण्डप बना हुआ है । यह १०० फुट लम्बा और ५० फुट चौड़ा है। स्वामीजीके प्रवचन इसी मण्डपमें होते थे । वर्तमान में उनके ये प्रवचन परमागम मन्दिरके विशाल हॉलमें होते हैं ।
जैन विद्यार्थी गृह - इसमें ७० विद्यार्थी रहते हैं । स्कूल में ये लौकिक शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा छात्रावासमें इन्हें धार्मिक शिक्षण और अनुशासनकी शिक्षा दी जाती है ।
श्री गोगीदेवी ब्रह्मचर्याश्रम - यहाँ ६४ बहनें रहती हैं जो बालब्रह्मचारिणी हैं और जिन्होंने . आजीवन ब्रह्मचर्यं व्रत लिया है। ये बहनश्री चम्पा बहनके निर्देशन में ज्ञान, शील और अनुशासनIT अभ्यास करती हैं ।
श्री कहान राहत केन्द्र - इसकी ओरसे भगवान् महावीर आयुर्वेदिक औषधालय चल रहा है | अकाल और सूखे अवसरपर केन्द्रकी ओरसे जन-सेवाके कार्यं किये गये थे ।
कुछ ज्ञातव्य बातें
- स्वामीजी वर्ष में ९ माह सोनगढ़ में रहते हैं । प्रातः और मध्याह्नमें उनका प्रवचन होता है। रात्रि में तत्त्व चर्चा चलती है । मन्दिरमें प्रातः पूजन तथा मध्याह्न प्रवचनके बाद स्वामीजीकी उपस्थिति में सामूहिक जिनभक्ति होती है ।
- दशलक्षण पर्व में सभी मुमुक्षु मण्डले यहां एकत्रित होते हैं ।
- प्रतिवर्ष दशलक्षण पर्वके पूर्व यहाँ २० दिन तक शिक्षण शिविर चलता है। शिक्षणार्थियोंके लिए संस्थाकी ओरसे रहने और खानेकी व्यवस्था होती है । शिविरमें लगभग २५० शिक्षणार्थी भाग लेते हैं ।
यहांसे हिन्दी और गुजराती भाषा में 'आत्मधर्म' नामक मासिक पत्र प्रकाशित होता है । पुस्तक प्रकाशन विभागकी ओरसे अब तक हिन्दीमें १०० तथा गुजराती में ७५ ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं।
धर्मशाला
यहाँ २ धर्मशालाएँ हैं जिनमें ४६ कमरे हैं। बिजली है । २५० व्यक्तियोंके लायक गद्दे, रजाई, तकिये आदि सामानको व्यवस्था है । नल, कुएँ और हैण्डपम्प हैं ।