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________________ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ वेदी नं. ४-भगवान् पूष्पदन्तकी पद्मासन, संवत् १९२६ में प्रतिष्ठित और ९ इंच उन्नत धातु प्रतिमा विराजमान है। इसकी बायीं और दायीं ओर ४॥ और ७ इंच ऊंची पाश्वनाथकी पद्मासन धातु प्रतिमाएं हैं। वेदी नं. ५-शान्तिनाथ भगवान् संवत् १९८४ में प्रतिष्ठित पद्मासन मुद्रामें आसीन हैं। आकार १० इंच है। बायीं ओर धातुकी सिद्ध प्रतिमा है तथा दायीं ओर धातुका १ फुट ऊँचा चैत्य है। वेदी नं. ६-१० इंच अवगाहनावाली संवत् १९९१ में प्रतिष्ठित नेमिनाथकी धातु प्रतिमा पद्मासन मुद्रामें विराजमान है। बायीं ओर नेमिनाथ और प्रद्युम्नकुमारकी, संवत् २०२१ में प्रतिष्ठित, १ फुट १ इंच ऊंची धातु मूर्तियां हैं। दायीं ओर शम्बुकुमार और अनिरुद्धकुमारको धातुमूर्तियाँ हैं । ये तीनों ही खड्गासन हैं। वेदी नं. ७-संवत् १९९० में प्रतिष्ठित कृष्ण वर्ण भगवान् नेमिनाथकी १ फुट ६ इंच ऊंची पद्मासन प्रतिमा है। बायों ओर नेमिनाथकी संवत् १९१७ में प्रतिष्ठित ९ इंच ऊंची श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा है और दायीं ओर संवत् १९२६ में प्रतिष्ठित ११ इंच अवगाहनावाली भगवान् अजितनाथकी श्वेत वर्ण पद्मासन प्रतिमा है। नेमिनाथ प्रतिमाके आगे एक चौकोर पाषाण पट्टपर २४ चरण बने हुए हैं। एक अन्य शिलापट्टपर संवत् १९९१ में प्रतिष्ठित भगवान् नेमिनाथके चरण हैं। वेदी नं. ८-भगवान् नेमिनाथकी संवत् १९४७ में प्रतिष्ठित श्यामवर्णवाली और २ फुट १० इंच ऊँची पद्मासन प्रतिमा है। वेदी नं. ९-गन्धकुटीमें भगवान् पाश्र्वनाथकी ९॥ इंच ऊंची श्वेतवर्णवाली पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। यह सिंहासनमें आसीन है। इनके आगे पार्श्वनाथकी ५ इंच ऊंची एक धातु प्रतिमा विराजमान है। अन्य दो सिंहासनोंमें २ इंच और २॥ इंच ऊंची धातु प्रतिमाएं विराजमान हैं। धर्मशालाएँ गिरनार क्षेत्रपर तलहटीमें एक विशाल धर्मशाला बनी हुई है। इसमें कुल ८४ कमरे हैं। यात्रियोंके लिए यहाँ बिजली, नल, बर्तन और बिस्तरकी सुविधा प्राप्त है। पहाड़के ऊपर प्रथम टोंकपर भी एक धर्मशाला बनी हुई है। इसमें कुल ६ कमरे हैं। इसी प्रकार जूनागढ़में भी ऊपर कोटके निकट क्षेत्रकी एक धर्मशाला बनी हुई है जिसमें २५ कमरे हैं । इसमें भी यात्रियोंको सभी प्रकारको सुविधाएं उपलब्ध हैं। कार्यालय क्षेत्रका कार्यालय जूनागढ़के जगमाल चौकमें 'श्री बण्डीलाल दिगम्बर जैन कारखाना' के नामसे स्थित है। इसके बगलमें श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर है। क्षेत्रका पता इस प्रकार है मन्त्री, श्री बण्डीलाल दिगम्बर जैन कारखाना, श्री गिरनार ( जूनागढ़ ) गुजरात
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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