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गुजरातके दिगम्बर जैन तीर्थ दिशाओंमें १ फुट ६ इंच ऊँची खड्गासन प्रतिमाएं विराजमान हैं। नीचे वेदीपर श्याम वर्णके चरणचिह्न बने हुए हैं। ये संवत् १९७६ में प्रतिष्ठित किये गये थे।
(५) मानस्तम्भ-५२ फुट समुन्नत भव्य मानस्तम्भ बना हुआ है। शिखर-वेदीपर चार दिशाओंमें चार बाहुबली प्रतिमाएँ हैं। मानस्तम्भके मध्यमें चार तीर्थंकर प्रतिमाएं भी उत्कीर्ण हैं।
इस मानस्तम्भकी नींवकी खुदाईके समय श्वेत पाषाणकी ९ प्रतिमाएं भूगर्भसे प्राप्त हुई थीं। सम्भवतः यहाँ प्राचीन काल में कोई जिनालय रहा हो जो स्वतः गिर गया हो या गिरा दिया गया हो। उपलब्ध प्रतिमाओंमें-से दो फुट ऊंची भगवान् पाश्वनाथकी श्याम वर्ण प्रतिमा स्टेशन चैत्यालयमें विराजमान है तथा शेष प्रतिमाएँ यहाँके विभिन्न मन्दिरोंमें विराजमान हैं।
___ (६) महावीर मन्दिर-इसमें श्वेत पाषाणकी दो फुट ऊँची और फागुन सुदी २ संवत् १९२३ में प्रतिष्ठित भगवान् महावीरकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। इसके बायीं तथा दायीं
ओर श्वेत पाषाणकी शान्तिनाथ और आदिनाथकी पद्मासन प्रतिमाएं हैं। दोनोंकी प्रतिष्ठा संवत् १९२८ में हुई थी। इनके अतिरिक्त वेदीपर ३ पाषाणकी और १० धातुकी मूर्तियां भी हैं। एक दीवार-ताकमें १ फुट २ इंच ऊंचो श्वेत पाषाणको संवत् १६५१ में प्रतिष्ठित प्रतिमा विराजमान है। दूसरे आलेमें बाहबलो स्वामीकी १ फुट ८ इंच ऊँची श्वेतवर्ण खड्गासन प्रतिमा है।
(७) अजितनाथ मन्दिर-एक चबूतरेनुमा वेदीमें श्वेत पाषाणकी तीर्थंकर अजितनाथकी प्रतिमा विराजमान है। अवगाहना २ फुट ३ इंच है और पद्मासन मुद्रामें है। बायीं ओर शान्तिनाथ और मुनिसुव्रतनाथ तथा दायीं ओर श्रेयान्सनाथ तथा महावीरको प्रतिमाएं हैं। ये सभी १ फुट ८ इंच ऊंची हैं और श्वेतवर्ण हैं। केवल मुनिसुव्रतनाथकी अवगाहना २ फुट १ इंच है । ये चारों मूर्तियाँ मानस्तम्भकी नींवको खुदाई करते समय भूमिके अन्दरसे प्राप्त हुई थीं।
इनके अतिरिक्त वेदीपर तीर्थंकरोंकी १३ धातु-मूर्तियां हैं। धातुको ही एक मूर्ति पद्मावतीकी है।
(८) ऋषभदेव मन्दिर-भगवान् ऋषभदेवकी २ फुट १ इंच अवगाहनावाली श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा इस मन्दिरको मूलनायक प्रतिमा है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १८६५ चैत्र वदी ७ को हुई थी।
बायीं ओर नेमिनाथकी श्वेत वर्ण प्रतिमा पद्मासन मुद्रामें विराजमान है। अवगाहना १ फुट ५ इंच है। दायीं ओर श्रेयान्सनाथ भगवान्को प्रतिमा है। इसका वर्ण और आकार भी नेमिनाथकी प्रतिमाके समान है। इनके अतिरिक्त पाषाणकी २ मूर्तियां एवं धातुकी १७ मूर्तियाँ और हैं । पद्मावती और सरस्वतीकी भी २ धातु-मूर्तियां हैं। एक दीवार-ताकमें १ फुट ६ इंच उत्तंग श्वेतवणं खडगासन प्रतिमा है तथा दसरे आलेमें भी इसी आकार और वर्णवाली प्रतिमा है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १२०३ फागुन सुदी २ में हुई थी। दायीं ओर १ खड्गासन तथा बायीं ओर ४ पद्मासन और १ खड्गासन प्रतिमाएं हैं।
(९) अजितनाथ टोंक-इसमें अजितनाथ भगवान्की ४ इंच ऊंची पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । पोठासनपर कोई लेख नहीं है।
__(१०) ऋषभदेव मन्दिर-यह बड़ा मन्दिर कहलाता है। इसमें मूलनायक प्रतिमा भगवान् ऋषभदेवकी है । यह पंचधातु निर्मित पद्मासन प्रतिमा है। इसकी अवगाहना २ फोट ६ इंच है तथा इसकी प्रतिष्ठा फागुन सुदी २, संवत् १९२३ को हुई थी। इसके दोनों ओर ऋषभदेव और शान्तिनाथकी श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमाएं हैं। इनका आकार १ फुट ५ इंच है। इनमें से पहली