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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ कुमारपालके मन्दिरकी कला और इस मन्दिरको कला समकालीन है। दोनों ही मन्दिरोंकी शिखरसंयोजना तथा मन्दिरको जंघापर शासन-देवताओंकी मूर्तियोंके शिल्पमें अद्भुत समानता है । लगता है, दोनोंके शिल्पी एक ही थे। गुजरातके मुहम्मदशाह देवड़ा तथा अन्य मुस्लिम आक्रान्ताओंने दोनों मन्दिरोंको क्षति पहुंचायी थी। उसके पश्चात् भावी विनाशको सम्भावनासे दिगम्बर मन्दिरको चूने-गारेसे ढंक दिया गया। कुमारपाल मन्दिरकी सुरक्षाके भी इसी भांति प्रयत्न किये गये थे, किन्तु इस शताब्दीमें श्वेताम्बर समाजने लाखों रुपये व्यय करके मन्दिरका जीर्णोद्धार करा दिया और उसके स्थापत्य एवं शिल्पको और अधिक निखार दिया। इधर दिगम्बर मन्दिरका उद्धार करते समय उसके ऊपर चुना सफेदी पूतवा दिये जानेसे मन्दिरका सारा शिल्पसौन्दय ही आच्छादित हो गया, यद्यपि जहाँ-तहाँ वह शिल्प वैभव अब भो दिखाई दे जाता है।
इस मन्दिरमें भगवान् सम्भवनाथकी श्वेत पाषाणकी एक पद्मासन प्रतिमा है। इसके पादपीठपर कोई लेख और लांछन नहीं है । अतः लोग इसे चतुर्थ कालकी मानते हैं । किन्तु इसकी रचना शैलीका अध्ययन करनेपर इसके ऊपर चालुक्य कलाको छाप स्पष्ट दिखाई पड़ती है। सम्भवतः इस मन्दिरके साथ इस मूर्तिको भी प्रतिष्ठा हुई थी। यह भी सम्भावना है कि प्रतिष्ठाकारकने सिद्ध भगवान्की प्रतिमाके रूपमें इसकी प्रतिष्ठा करायी हो। इसीलिए इसके ऊपर लेख, लांछन
और अष्ट प्रातिहार्यका अंकन नहीं कराया गया। प्रतिष्ठा ग्रन्थोंके अनुसार सिद्ध प्रतिमाओंका रूप प्राचीन कालमें ऐसा ही होता था। इसे सम्भवनाथके रूपमें मान्यता तो अनुश्रुतिके आधारपर मिली प्रतीत होती है । इस प्रतिमाके आगे अखण्ड दीपक जलाया जाता है।
___ (२) दूसरा मन्दिर भगवान् आदिनाथका है। इसमें भगवान् आदिनाथकी पंच धातुकी ढाई फुट ऊँची पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । प्रतिमा भव्य है।
तलहटीके मन्दिरों और मूर्तियोंका विवरण इस प्रकार है
(१) सम्भवनाथ मन्दिर-इसमें गर्भगृह और सभामण्डप हैं। सभामण्डपके द्वारके सिरदलके ऊपर अरहन्त प्रतिमा बनी हुई है। सभामण्डपके आगे दो मण्डप और हैं। सम्भवतः ये खेला मण्डप रहे होंगे। इनमें से एक मण्डपके ऊपर तथा गर्भगृहके ऊपर विशाल शिखर हैं। मूलनायक भगवान् सम्भवनाथकी २ फुट ३ इंच ऊंची श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा अति मनोज्ञ और अतिशयसम्पन्न है । इस मूर्तिके ऊपर कोई लांछन और लेख नहीं है।
बायीं ओर भगवान पार्श्वनाथकी श्वेत पद्मासन प्रतिमा है। इसकी अवगाहना १ फुट ४ इंच है । दायीं ओर श्रेयान्सनाथकी प्रतिमा है। यह श्वेत वर्णको है और पद्मासन मुद्रामें विराजमान है । यह १ फुट उत्तुंग है । आगेको पंक्तिमें ४४ धातु प्रतिमाएं हैं।
बायीं ओर एक दीवार-ताकमें पद्मावती और सरस्वतीको पाषाण मूर्तियां विराजमान हैं।
(२) चैत्य मन्दिर-यहाँ ५ फुट ६ इंच ऊंचा एक चैत्य है। इसमें चारों दिशाओंमें ७ इंच ऊंची २ श्वेत तथा २ श्याम वर्णकी पद्मासन प्रतिमाएं हैं। प्रतिमाओंके चारों ओर चरण-चिह्न अंकित हैं। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९२१, चैत सुदी ११, गुरुवारको की गयी।
(३) छोटी देहरी-वेदीमें मूलनायक भगवान् मुनिसुव्रतनाथको श्वेत पाषाणकी पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । अवगाहना १ फुट ५ इंच है तथा प्रतिष्ठाकाल संवत् १९२८, माघ सुदो १३ गुरुवार है। इसके दोनों ओर श्वेत, श्याम पाषाणकी १० इंच ऊंची पद्मासन प्रतिमाएं हैं। इनका प्रतिष्ठा-काल संवत् १५२३ है।
(४) नन्दीश्वर जिनालय-३ फुट ऊंचो वेदोपर श्वेत संगमरमरका २ फुट ८ इंच ऊंचा नन्दीश्वर जिनालय है। चारों दिशाओं में १३-१३ अर्हन्त प्रतिमाएँ उत्कीणं हैं। वेदीपर चारों