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________________ राजस्थानके दिगम्बर जैन तीर्थ १२७ धर्मशाला ___ क्षेत्रपर आनेवाले यात्रियोंके ठहरनेके लिए तीन धर्मशालाएं बनी हुई हैं। इनमें ओढ़नेबिछाने, ठहरने, जल, प्रकाश, बर्तनों आदिकी व्यवस्था है। धर्मशालाओंकी व्यवस्थाके लिए एक मैनेजर भी रहता है । इन धर्मशालाओंमें दिगम्बर, श्वेताम्बर, हिन्दू आदि सभी यात्री ठहरते हैं। इनमें कुछ कमरे शुल्क देकर लिये जा सकते हैं। शुल्कवाले कमरे साफ-सुथरे हैं तथा उनके लिए जलकी व्यवस्था अच्छी है। भट्टारक यशःकीर्ति दिगम्बर जैन गुरुकुलमें भी यात्रियोंके ठहरनेके लिए कुछ कमरे उपलब्ध हैं। यहांकी व्यवस्था अपेक्षाकृत अच्छी है। यहां कमरे अधिक हवादार और साफसुथरे हैं। व्यवस्था ___ केशरियाजी मन्दिरको व्यवस्था राजस्थान सरकारका देवस्थान विभाग करता है । उसको ओरसे यहाँ इन्सपेक्टर हाकिम भण्डार धुलेव अपने पूरे अमले और सैनिकोंके साथ रहता है और नियमानुसार यहांकी व्यवस्था देखता है । किन्तु दिगम्बर समाजके हितोंकी रक्षाके लिए यहाँ 'श्री ऋषभदेव (केशरियाजी) दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र रक्षा कमेटी ऋषभदेव' नामक एक व्यवस्था समिति बनी हुई है। यह भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बईसे सम्बन्धित है। इसका कार्यालय मन्दिर-कोटके प्रवेश-द्वारके दायीं ओर है । इसका पता इस प्रकार हैमन्त्री, श्री ऋषभदेव (केशरियाजी) दिगम्बर जैन तीर्थरक्षा कमेटी, ऋषभदेव (उदयपुर) राजस्थान आबू मार्ग ___ यह क्षेत्र पश्चिम रेलवेके अजमेर-अहमदाबाद रेल-मार्गके आबू रोड स्टेशनसे २९ कि. मी. दूर दिलवाड़ा नामक ग्राममें है। दिलवाड़ा आबूसे डेढ़ कि. मी. है और पहाड़की चोटीपर है। आबू रोड अजमेरसे ३०५ कि. मी. है और अहमदाबादसे १८६ कि. मी. है। आबू रोडसे १० कि. मो. आबू पर्वतकी तलहटी है और फिर १९ कि. मी. पहाड़पर पक्की सड़कपर चलना पड़ता है। यहाँको प्राकृतिक दृश्यावली अत्यन्त नयनाभिराम है। यह पर्वतीय पर्यटन केन्द्र है तथा स्वास्थ्यप्रद स्थान ( Sanitorium ) है। यह समुद्रके धरातलसे ५३५० फुट ऊंचा है। पर्यटन केन्द्रके रूपमें सरकारने इसका खूब विकास किया है तथा पर्यटकोंके ठहरनेके लिए यहाँ अनेक सुविधाएं उपलब्ध हैं । यहाँका पोस्ट ऑफिस माउण्ट आबू है और जिला सिरोही ( राजस्थान ) है। तीर्थक्षेत्र आबू पर्वतपर दिलवाड़ामें विश्वविख्यात जिनमन्दिर हैं। यहां पांच मन्दिर शिल्पकलाके मूर्तिमान निधान हैं। ये संगमरमरके बने हुए हैं। इनके स्तम्भों, दिलहों, तोरणों और छतोंमें अत्यन्त सूक्ष्म अंकन किया गया है। कलाके इन अनूठे उपादानोंको देखकर ऐसा लगता है, मानो
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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