________________
१२६
गोत्र
भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ इन जातियोंके प्रतिष्ठाकारक सज्जनोंके गोत्र भी दिये गये हैं जो इस प्रकार हैं :
जाति (दसा) हूमड़ वृद्धशाखा
विश्वेश्वर, कवुर, कमलेश्वर, बुध खण्डेलवाल
लुहाड्या, ठोल्या नरसिंगपुरा
सांपड़िया, कंकुलोल, अंगति बघेरवाल
गोवाल लाड वाच
काश्यप
मेला
श्री केशरिया क्षेत्रपर दिगम्बर समाजकी ओरसे वर्ष में कई बार मेले उत्सव होते हैं। चैत्र वदी ८ और ९ को मेला होता है । इस अवसरपर जलूस निकलता है जो पगल्यांजी तक जाता है। चैत वदी ९ भगवान् ऋषभदेवका जन्मकल्याणक दिवस है। अतः अष्टमीको रातमें १२ बजे जन्म महोत्सव मनाते हैं। इस अवसरपर भजन, कीर्तन, आरती आदि होते हैं।
चैत्र शक्ला १३ को महावीर स्वामीका एक जलस मन्दिरजीसे निकलता है। यह भी पगल्यांजी तक जाता है। वहां मूर्ति विराजमान करके दिगम्बर समाज पूजन करती है। इस अवसरपर प्रभावना बांटी जाती
दशलक्षण पर्वके १० दिन तक नीचे और ऊपरकी वेदीपर मण्डप बनाकर और मांडने माढ़कर दिगम्बर सम्प्रदायके लोग सारे दिन पूजन करते हैं । यहींपर व्रतोंका उद्यापन होता है ।
___आसोज कृष्णा १ और २ को दिगम्बर समाजकी ओरसे मय बैण्ड और लवाजमेके रथयात्रा निकलती है। रथ पहले दिन नदी-तटपर जाता है। वहाँ भगवान्का अभिषेक और पूजन होता है । वहाँसे लौटकर रथ बगीचेके नुक्कड़पर ठहरता है। दूसरे दिन शामको ६ बजेसे भजन, कीर्तन, नृत्य करते हुए वापस लौटते हैं और रातको २ बजे मन्दिरजीमें जलूसको विसर्जित करते हैं। उस समय सम्पूर्ण दिगम्बर समाज मय ढोल-नगाड़ोंके नीचेकी वेदी तक जाती है। वहाँ भक्तजन गरवा नृत्य करते हुए मूलनायक भगवान्की प्रदक्षिणा करते हैं। इस मेलेमें हजारों व्यक्ति सम्मिलित होते हैं । इस अवसरपर सारा नगर सजाया जाता है।
कार्तिक कृष्णा अमावस्याके प्रातःकाल महावीर स्वामीका निर्वाण महोत्सव मनाया जाता है। निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है । पूजन होता है । इस मन्दिरसे निकलकर सभी दिगम्बर बन्धु नगरके सभी चैत्यालयों और मन्दिरोंमें निर्वाण लाडू चढ़ाने जाते हैं।
____ माघ कृष्णा १४ को ऋषभदेव भगवान्का निर्वाण जलूस मन्दिरसे निकलता है। जलूस नगरमें भ्रमण करता हुआ मन्दिरमें वापस आता है। वहां निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है।
मन्दिरमें काष्ठासंघ और मूलसंघकी दोनों गद्दियोंपर प्रतिदिन दोनों समय शास्त्र प्रवचन होता है, जिसमें दिगम्बर बन्धु सम्मिलित होते हैं तथा दिगम्बर समाज यहां प्रतिदिन पूजा करती है।
जब दिगम्बर मुनि या आचार्योंका पदार्पण होता है, तब समय-समयपर यहां उनका प्रवचन होता है।