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राजस्थानके दिगम्बर जैन तीर्थं
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जाता था, किन्तु अब इन्सपेक्टर हाकिम भण्डार धुलेव कहा जाता है। उसके नीचे २४ कर्मचारी हैं । मन्दिरकी ओरसे १०० आदमियोंकी ऋषभदेव मिलिटरी फोर्स रहती है ।
मन्दिरको लगभग एक लाख रुपये वार्षिक आय है और लगभग इतना ही उसका व्यय है । दैनिक कार्यक्रम
मन्दिरका सारा कार्यक्रम नियत है । सारा कार्यं जल घड़ीके अनुसार चलता है । यह घड़ी चौबीस मिनटको होती है। इस प्राचीन पद्धतिमें कार्य आठ पहर या चौंसठ घड़ियोंके अनुसार होता है ।
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प्रातः मन्दिरका एक कर्मचारी धर्मशाला में जाकर प्रक्षालकी सूचना देता है । भक्तजन आवश्यक क्रियासे निवृत होकर मन्दिरमें आ जाते हैं । वहाँ गर्म और ठण्डे जलकी तथा शुद्ध वस्त्रोंकी व्यवस्था है । मन्दिरके २ बजे अर्थात् ७ २० के लगभग २४ मिनट तक मूलनायक भगवान्का जल से अभिषेक होता है । उस समय पंचकल्याणक पाठ होता है । ७-४५ के करीब ३ बजते हैं । तब दुग्धका अभिषेक होता है । दुग्धाभिषेकके पश्चात् पुनः जलाभिषेक होकर 'अंगपोंछन' होता है । कच्ची घड़ीके ४ बजनेपर धूपक्षेपण होकर केशर और पुष्पोंसे पूजन होता है । तत्पश्चात् बैण्ड बाजे के साथ आरती होती है और स्तवन, भजन होता है । जल-प्रक्षाल, दुग्ध-प्रक्षाल और शर पूजाकी बोली होती है । बोलीका रुपया पुजारियोंको मिलता है। एक बजेसे चार बजे तक दुन्दुभि बाजों के साथ प्रातःकालकी तरह जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और केशर - पूजा चलती है । सायंकाल मूल प्रतिमाको आंगी धारण करायी जाती है जो ७ बजे तक रहती है । ७ बजे बैण्ड बाजेके साथ भगवान् की आरती होती है और निज मन्दिरमें तथा सभामण्डपमें भगवान् के स्तवनादि होते हैं । रात्रिके शान्त वातावरणमें ११ बजेके बाद भक्ति-स्तवन होते हैं । इस कार्यक्रममें सम्मिलित होने के लिए मन्दिरके कामदारसे स्वीकृति लेना आवश्यक होता है ।
यह विशेष ज्ञातव्य है कि भगवान् का अभिषेक जिनेन्द्र पंचकल्याणक स्तोत्र के साथ होता है । एवं आरती, कीर्तन, पूजन और शास्त्र सभा आदि दिगम्बर जैन आम्नायके अनुसार होते हैं । विशेष अवसरोंपर रथ आदिके जुलूस आयोजित होते हैं । स्थानीय दिगम्बर समाजकी ओरसे नौचौकीकी वेदी पर नित्य नियम पूजन होता है । प्रातः और रात्रिमें प्रतिदिन शास्त्र सभा होती है ।
मन्दिर में ब्राह्ममुहूर्तमें, प्रातःकाल, मध्याह्न, सायंकाल और रात्रिमें कुल पाँच बार नोबत ती है । इसके अतिरिक्त प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल आरतीके समय भी नौबत बजती है । दो बार आरती के समय बैण्ड बजता है ।
दर्शनीय स्थान
इस क्षेत्रपर आनेवाले यात्रियोंके लिए निम्नलिखित स्थान दर्शनीय हैं
पगल्याजी - जहाँ ऋषभदेवजी भूगर्भसे प्रकट हुए थे, वहाँ एक छतरी में पाषाण चरण बने हुए हैं। छतरी नवीन है । पहले यहाँ एक चबूतरा बना हुआ था । यह स्थान गाँव से दक्षिण-पूर्व में लगभग तीन फर्लांग दूर है। छतरोके निकट एक सभामण्डप भी बना हुआ है जिसे 'आम खास' कहा जाता है । वार्षिक मेले, रथयात्रा, अथवा जलयात्राके समय इसी मण्डपमें प्रतिमा लायी जाती है । निकट ही महुए के वृक्षके नीचे भगवान् ऋषभदेवका विश्रामस्थान बना हुआ है । पासमें यहाँ एक कुण्ड और बरसाती नाला है । ये सभी स्थान अर्वाचीन हैं ।
चन्द्रगिरि - क्षेत्र के निकट एक पहाड़ी टीलेपर भट्टारक चन्द्रकीर्तिकी छतरी बनी हुई है ।