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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ उपाय किये, किन्तु सब व्यर्थ सिद्ध हुए। वृद्धा अपनी भूलपर बहुत रोयी, किन्तु बादमें यह अनुभव कर उसने सन्तोष धारण किया कि भक्तिके प्रवाहमें यदि थोड़ा-सा भी सन्देहका अंश बना रहता है तो वह भक्ति फलदा नहीं होती। नागफणी पार्श्वनाथ तबसे उसी स्थानपर विराजमान हैं। तभीसे इनकी ख्याति दिनोंदिन बढ़ती गयी और उसने तीर्थक्षेत्रका रूप धारण कर लिया।
सरकारने मन्दिरके चारों ओर पहाड़पर १० बीघा जमीन मन्दिरको भेंटस्वरूप प्रदान की है। वार्षिक मेला
यहाँ प्रत्येक पूर्णिमाको मेला भरता है किन्तु यहां आषाढ़ी पूर्णिमाको बड़ा मेला भरता है। इस दिन कई हजार जैन और जैनेतर जनता यहाँ एकत्रित होती है।
व्यवस्था
क्षेत्रकी व्यवस्थाके लिए एक प्रबन्धक समिति बनी हुई है। पता-यहाँका पता इस प्रकार है
मन्त्री, श्री नागफणी पाश्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर पो. मौदर, वाया-बीछीवाड़ा (जिला डूंगरपुर ) राजस्थान
ऋषभदेव (केशरियाजी)
मार्ग और अवस्थिति
श्री ऋषभदेवजी तीर्थ राजस्थान प्रदेशके उदयपुर जिलेमें उदयपुर शहरसे ६४ कि. मी. दुर खेरवाडा तहसीलमें कोयल नामक छोटी-सी नदीके किनारे अवस्थित है। ग्रामका नाम धलेव है। इसकी जनसंख्या लगभग ५००० है । इस गांवके उत्तर और पश्चिममें नदी तथा दक्षिण भागमें पहाड़ी नाला है। यह गांव ऋषभदेवकी मूलनायक प्रतिमाके प्रकट होनेके पश्चात् बसा है, ऐसा लगता है। भगवान्के नामपर गांवका नाम भी ऋषभदेव तथा केशर चढ़ानेकी प्रथाके कारण केशरियाजी प्रचलित है।
यहाँ पहुँचनेके लिए पश्चिमी रेलवेके उदयपुर स्टेशनपर उतरना पड़ता है। वहाँसे ऋषभदेवजी तक पक्की सड़क है तथा नियमित बस-सेवा है। दूसरा मार्ग डूंगरपुरसे ऋषभदेवका है। यह सड़क भी पक्की है। एक अन्य रास्ता अहमदाबाद-हिम्मतनगर-उदयपुर लाइनसे है। चौथा मार्ग उदयपुर-डूंगरपुर-हिम्मतनगर रेलवे लाइनका है। इस मार्गपर ऋषभदेव रोड स्टेशन ऋषभदेवसे लगभग १२ कि. मी. पड़ेगा।
यहाँ पोस्ट ऑफिस और टेलीग्राफ ऑफिस है। टेलीफोनकी भी सुविधा है। गांवमें पुलिस सुपरिन्टेण्डेण्टका ऑफिस है। पोस्टमें गाँवका नाम ऋषभदेव है। राज्य सरकारकी ओरसे हास्पिटल, हाईस्कूल तथा पुस्तकालय हैं ।