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________________ राजस्थानके दिगम्बर जैन तीर्थ १०१ इसकी प्रतिष्ठा संवत् १७१२ में हुई थी। मूर्तिकी नाक कुछ खण्डित है। यह एक शिलाफलकके फेममें विराजमान है । शिलाफलक ४ फुट ८ इंच ऊंचा है। मूर्तिके सिरके ऊपर छत्रत्रयी है। उसके दोनों पाश्वों में गज और मालाधारी देव हैं। शेष सारे फलकपर खड्गासन और पद्मासन ५७ मूर्तियां हैं। फलक खण्डित हैं। लगता है, कुछ मूर्तियां खण्डित हो गयो हैं । सम्भवतः इस फलकपर ७२ मूर्तियां होंगी। फलक प्राचीन है और किसी अन्य मूर्तिका लगता है। - इसके आगे बायीं ओर संवत् १८२८ की ११ इंच ऊँची श्वेतवर्ण पद्मप्रभ भगवानकी पद्मासन मति है तथा दायीं ओर १ फट ३ इंच ऊँची चन्द्रप्रभकी संवत १६५९ में प्रतिष्ठित कृष्णवर्णको पद्मासन मूर्ति है। इनके अतिरिक्त ८ धातु मूर्तियां भी हैं। ___ गर्भगृहके आगे खेला मण्डपमें १ फुट ४ इंच ऊंचे चबूतरेपर शान्तिनाथकी ५ फुट ऊँची और ४ फुट २ इंच चौड़ी कृष्णवर्ण पद्मासन भव्य मूर्ति है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९०२ फागुन कृष्णा ९ को हुई थी। इसकी दायीं भुजासे पेट तक तथा बायीं भुजापर निशान बने हुए हैं। इसके आगे २ फुट ऊंचे चबूतरेपर वासुपूज्यको संवत् १९२९ में प्रतिष्ठित और २ फुट ३ इंच ऊँची कृष्णवर्णवाली मूर्ति विराजमान है । बायीं ओरकी दीवारमें क्षेत्रपाल विराजमान हैं। ___इस खेला मण्डपके आगे एक खेला मण्डप और है जिसमें मध्यमें पूजाका चबूतरा बना हुआ है। धर्मशाला क्षेत्रपर धर्मशाला है, जिसमें २३ कमरे हैं। प्रकाश के लिए बिजली है तथा जलके लिए कुआँ है। मेला यहां ज्येष्ठ सुदी पूर्णिमाको वार्षिक मेला होता है । व्यवस्था क्षेत्रकी व्यवस्था बोसा नरसिंहपुरा पंचान प्रतापगढ़का एक ट्रस्ट करता है, जिसके प्रमुख श्री हरजीत टेकेवालोंके कुटुम्बीजनोंमें से कोई व्यक्ति होते हैं। क्षेत्रका पता इस प्रकार है मैनेजिंग ट्रस्टी, श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बमोतर, पो. सिधपुरा ( जिला चित्तौड़गढ़ ) राजस्थान । अन्देश्वर पार्श्वनाथ मार्ग और अवस्थिति 'श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अन्देश्वर पार्श्वनाथ' राजस्थान प्रदेशके बांसवाड़ा जिलेकी कुशलगढ़ तहसीलमें है । समीपका रेलवे स्टेशन पश्चिमी रेलवेका उदयगढ़ है जो यहाँसे ५० कि. मी. है। यह क्षेत्र दाहोदसे उत्तरकी ओर ५० कि. मी., कुशलगढ़से पश्चिमकी ओर १५ कि. मी. तथा कलिंजरासे पूर्वकी ओर ८ कि. मी. दूर है। यह कुशलगढ़ और कलिंजराके मध्य है। नियमित बस सेवा है। बस मन्दिरके आगे ही रुकती है । इसका पोस्ट ऑफिस कुशलगढ़ है। यह क्षेत्र एक छोटी-सी पहाड़ीपर है। चारों ओर सघन वन है।
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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