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________________ राजस्थानके दिगम्बर जैन तीर्थ पद्म खड़ी हो गयी थी तथा अलाउद्दीन खिलजीने दर्पणवाले कमरे में खड़े होकर महारानीका प्रतिबिम्ब देखा था । इसके निकट चित्रांग तालाब, इसके पूर्व की ओर सड़क के किनारे राजटीला, यहाँसे सड़क उत्तर की ओर सूरजपोल होती हुई कीर्तिस्तम्भको जाती है। इस मार्गपर पश्चिम की ओर गोराबादल के मकानोंके खण्डहर मिलते हैं। सूरजपोलसे उत्तरकी ओर जानेवाली सड़कपर जैन कीर्तिस्तम्भ खड़ा है । यह सात मंजिलका ७५ फोट ऊँचा है । इसमें ऊपर जानेके लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इसके सामने महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर बना हुआ है । कीर्तिस्तम्भ इस मन्दिरका मानस्तम्भ कहलाता है । सम्भवतः यह मन्दिर पहले चन्द्रप्रभ मन्दिर कहलाता था, जिसका निर्माण साह जीजाने किया था । मुस्लिम काल में मूर्ति शायद खण्डित कर दी गयी । फिर शान्तिकालमें यहाँ महावीर स्वामीको मूर्ति विराजमान कर दी गयी। यह मन्दिर अत्यन्त कलापूर्ण है । बाह्य भित्तियोंपर जैन देवताओं, तीर्थंकरों और लोकजीवनसे सम्बन्धित दृश्योंकी मूर्तियोंका सूक्ष्म अंकन किया गया है। यह मन्दिर, कीर्तिस्तम्भ और बनवीरको दीवारके निकटस्थ मन्दिर पुरातत्त्व विभागके संरक्षण में हैं । ९९ यहाँ एक सड़क पश्चिम की ओर सतवीस देवरा होती हुई नगरकी ओर जाती है। मार्ग है जिससे आये थे । धर्मशाला नगर में एक दिगम्बर जैन मन्दिर और दो चैत्यालय हैं । मन्दिरमें कई मूर्तियाँ प्राचीन हैं । यहाँ दिगम्बर जैनोंको संख्या नगण्य है । नगर में कोई दिगम्बर जैन धर्मशाला नहीं है । ठहरने लिए स्टेशन के निकट पर्यटक विश्राम गृह, सरकारी सराय और श्वेताम्बर जैन धर्मशाला है । अन्य धर्मशालाएँ और लाज भी हैं । मार्ग चित्तौड़ पश्चिमी रेलवेकी अजमेर-खण्डवा शाखापर अजमेरसे १८९ कि. मो., नीमचसे ५३ कि. मी., रतलाम से ३७५ कि. मी. है। उदयपुर से रेलमार्ग द्वारा ११७ कि. मी. है। दिल्ली से उदयपुर जानेवाले रेलमार्ग द्वारा यह ६३० कि. मी. है। सड़कसे भी इसका सभी बड़े स्थानोंसे सम्बन्ध है | यह प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र है । मोर ( श्री शान्तिनाथजी ) अवस्थिति और मार्ग श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र शान्तिनाथ, राजस्थान प्रदेशके चित्तोड़गढ़ जिले में प्रतापगढ़के उत्तर में प्रतापगढ़-छोटी सादड़ी-चित्तौड़गढ़ सड़कपर ५ कि. मी. दूर बमोतर गाँव में अवस्थित है । यहाँ जानेके लिए मन्दसौर स्टेशनपर उतरना पड़ता है । मन्दसौरसे प्रतापगढ़ तक ३२ कि. A. पक्की सड़क है । प्रतापगढ़से क्षेत्र तकका मार्ग पक्का है । क्षेत्र सड़कसे लगभग १०० गज दूर है।
SR No.090099
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1978
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size21 MB
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