SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ यहाँके संग्रहालयमें कई जैन मूर्तियां संवत् १२०५ की हैं। गन्धर्वपुरी-सरकार तथा ग्राम पंचायतके संग्रहालयमें अनेक प्राचीन मूर्तियां संग्रहीत हैं। इनमें अनेक मूर्तियाँ १०-११वीं शताब्दीकी हैं। यहां चक्रेश्वरीकी एक षोडशभुजी मूर्ति अत्यन्त सुन्दर है। गोलाकोट–यहाँका मन्दिर और मूर्तियां विक्रम संवत् १००० से १२०० तककी हैं। - पचराई–यहाँ २८ जिनालय हैं। इनमें ११वीं शताब्दीकी अनेक मूर्तियां हैं। शीतलनाथ भगवान्की एक मूर्ति १२ फुट ऊँची है। बन्धा-भगवान् अजितनाथकी मूलनायक प्रतिमा विक्रम सं. ११९९ ( ई. स. ११४२ ) की है। इसके दोनों पार्यो में स्थित ऋषभदेव और सम्भवनाथ तीर्थंकरोंकी दो मूर्तियां संवत् १२०९ ( ई. स. ११५२ ) की हैं। अन्य भी कई मूर्तियाँ इसी कालकी हैं। उदयगिरि-यहाँ गुफा नं. १ और २० जैनोंसे सम्बन्धित हैं। गुफा नं. २० में एक शिला वत १०६ (ई.स.४२५) का है। इसमें शंकर नाम व्यक्ति द्वारा पार्श्वनाथ तीर्थंकरकी मूर्ति निर्माण कराये जानेका उल्लेख है। यहाँको एक तीर्थकर-मूर्ति विदिशा संग्रहालयमें तथा अन्य दो तीर्थंकर मूर्तियां भोपाल संग्रहालयमें सुरक्षित हैं। विदिशा संग्रहालयकी यह प्रतिमा अद्भुत है और सम्राट् रामगुप्तने उसकी प्रतिष्ठा करायी थी। यहां उदयगिरिसे प्राप्त एक प्रतिमा सुरक्षित है जो संवत् १२१४ में प्रतिष्ठित हुई थी। इस संग्रहालयमें, श्रीमन्त सेठ लक्ष्मीचन्द्रजीके मन्दिरमें एवं उपयुक्त दोनों गुफाओमें कई मूतियाँ ६वीं शताब्दीसे १०वीं शताब्दी तककी हैं। इस प्रकार उदयगिरिमें गुप्तकालके गुहा मन्दिर, अभिलेख और मूर्तियां उपलब्ध होती हैं। सम्भवतः मध्यप्रदेशमें इससे प्राचीन जैन शिलालेख, मन्दिर और मूर्ति अन्यत्र कहीं उपलब्ध नहीं होती। इस दृष्टिसे उदयगिरिका जैन पुरातत्त्व मध्यप्रदेशके जैन पुरातत्त्वमें सर्वाधिक प्राचीन है। .. उदयपुर-यहाँ १०-११वीं शताब्दीकी तीर्थंकर मूर्तियां और मन्दिर हैं। पठारी-यहां गडरमल मन्दिर, वन-मन्दिर तथा अन्य कई जैन मन्दिर एवं तीर्थंकर मूर्तियाँ ८-९वीं शताब्दीके विद्यमान हैं। बदनावर-यहांकी अनेक मूर्तियां जैन संग्रहालय उज्जैनमें हैं। इन मूर्तियोंपर संवत् ११२२, १२०२, १२०५, १२१६, १२१९, १२२८, १२२९, १२३४ तथा इसके पश्चात्कालके लेख हैं। इस प्रकार बदनावरका पुरातत्त्व ११-१२वीं शताब्दी तक पहुंचता है। बदनावरमें इन शताब्दियोंके मन्दिरोंका अवशेष और खण्डित मूर्तियोंके ढेर पड़े हुए हैं। कारीतलाई-यहांकी अनेक जैन मूर्तियां रायपुर और जबलपुर संग्रहालयमें सुरक्षित हैं। इनमें कई मूर्तियाँ १०-११वीं शताब्दीकी हैं। ___उज्जयिनी-यहां जैन संग्रहालय और विक्रम विश्वविद्यालयके संग्रहालयमें निकटवर्ती अनेक स्थानोंसे लायी हुई जैन सामग्री सुरक्षित है। इसमें अजीतखो, गुना आदिसे लाये हुए मानस्तम्भके शीर्षभाग अथवा चैत्य सम्मिलित हैं। ये गुप्तकालीन कहे जाते हैं । यहाँ ११-१२वीं शताब्दी. की अनेक प्रतिमाएं विद्यमान हैं। पपौरा-एक परकोटेके अन्दर १०७ मन्दिर हैं। एक भोयरेमें दो मूर्तियां संवत् १२०२ ( ई. स. ११४५ ) की हैं। लखनादौन-भगवान् महावीरकी प्रतिमा १०-११वीं शताब्दीकी है। पतियानवाई-यहांका मन्दिर गुप्तकालका माना जाता है।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy