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________________ परिशिष्ट-१ खजुराहों बन्धासे टीकमगढ़, वहाँसे छतरपुर होकर खजुराहो जा सकते हैं। नियमित बस-सेवा है। खजुराहो अत्यन्त उत्कृष्ट शिल्प और भव्य मन्दिरोंके कारण विश्व-भरमें प्रसिद्ध है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटक केन्द्र है । यहाँ अनेक हिन्दू और जैन मन्दिर हैं। जेन मन्दिरोंका समूह बस स्टैण्डसे लगभग ३ कि. मी. है। यहींपर एक अहातेमें ३२ मन्दिर और धर्मशालाएं हैं। मन्दिरोंमें पाश्वनाथ मन्दिर, आदिनाथ मन्दिर और शान्तिनाथ मन्दिर उच्चकोटिकी कलाके कारण दर्शनीय हैं। इनकी भीतरी और बाह्य भित्तियों, शिखरों और द्वार-शाखाओंपर तीर्थकर मूर्तियों के अतिरिक्त शासन देव-देवियों, सुर-सुन्दरियों, गन्धर्व-मिथुनों और व्यालोंकी मूर्तियां बनी हुई हैं। इन मन्दिरों तथा अन्य भी मन्दिरोंमें एक हजार वर्ष प्राचीन अनेक मूर्तियां हैं। शान्तिनाथ मन्दिरमें मूलनायक भगवान् शान्तिनाथ को १६ फोट ऊंची मनोज्ञ मूर्ति है। पार्श्वनाथ मन्दिरके पास खुले मैदानमें प्राचीन जैन-मूर्तियोंका संग्रहालय है। __गांवके दक्षिणमें, उन मन्दिरोंसे लगभग १ कि. मी. दूर घण्टई मन्दिर है। यह प्राचीन जैन मन्दिरका अवशेष मात्र है । किन्तु इसके खम्भों और छतपर उत्कीर्ण कला दर्शनीय है। . :. इसके पश्चात् यहाँके हिन्दू मन्दिर और संग्रहालय दर्शनीय हैं। ये बस स्टैण्डके निकट हैं। यों तो सभी मन्दिर दर्शनीय हैं किन्तु इनमें कन्दारिया महादेव, लक्ष्मण, चतुर्भुज, दूलादेव आदि मन्दिर विशेष द्रष्टव्य हैं। जैन यात्रियोंको जैन धर्मशालामें ठहरनेमें विशेष सुविधा रहती है। जलके लिए कुएँ हैं। क्षेत्रपर बिजलीकी व्यवस्था है। यहाँका पता इस प्रकार है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र खजुराहो प्रबन्धक समिति, खजुराहो (जिला-छतरपुर ) म.प्र.। द्रोणगिरि __खजुराहोसे छतरपुर होकर मलहरा जाना चाहिए। यह छतरपुर-सागर रोडपर है। खजुराहोसे मलहरा १०४ कि. मी. है। मलहरासे द्रोणगिरि ७ कि. मी. है। सभी जगह नियमित बस-सेवा है। गांवका नाम सेंधपा है, द्रोणगिरि तो पर्वतका नाम है। सेंधपाके बस-स्टैण्डसे जैन धर्मशाला १०० गज दूर गांवके भीतर है। वहीं गांवका मन्दिर और गुरुदत्त जैन संस्कृत विद्यालय है। धर्मशालामें बिजली और कुएंकी सुविधा है । पर्वतके ऊपर कुल २८ जिनालय बने हुए हैं। इनमें तिगोड़ावालोंका मन्दिर सबसे प्राचीन है और बड़ा मन्दिर कहलाता है। अन्तिम मन्दिरके निकट एक गुफा है। कहा जाता है कि मुनि गुरुदत्तने यहींसे निर्वाण प्राप्त किया था। इसीलिए यह क्षेत्र सिद्ध-क्षेत्र कहलाता है। ___यहांका पता है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरि, सेंधपा ( जिला छतरपुर) म. प्र.। यहाँका वार्षिक मेला फाल्गुन कृष्णा १ से ५ तक होता है। रेशन्वीगिरि द्रोणगिरिसे मलहरा वापस लौटकर वहाँसे दलपतपुर (६४ कि. मी. ) तथा वहाँसे दलपतपुर-बकस्वाहा रोडसे क्षेत्र रेशन्दीगिरि (१२ कि. मी.) जाना चाहिए। पक्की सड़क है । नियमित बस-सेवा है। क्षेत्र सड़क किनारे ही है। . यह सिद्ध-क्षेत्र है । यहाँसे वरदत्त आदि ५ मुनिराज मुक्त हुए हैं। यहां पर्वतपर ३६ मन्दिर हैं तथा तलहटीमें १५ मन्दिर हैं। पर्वतपर मन्दिर क्रमांक ११ बड़ा मन्दिर कहलाता है। यह
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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