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________________ भारतके दिपम्बर जैन तीर्थ मन्दिर भूगर्भसे उत्खननके फलस्वरूप १०० वर्ष पूर्व निकला था। इसमें ११वीं शताब्दीकी मूर्तियां और शिलालेख हैं। तलहटीके मन्दिरोंमें जल-मन्दिर बहुत सुन्दर लगता है। यहां ठहरनेके लिए धर्मशाला है। बिजली और कुएंकी सुविधा है। क्षेत्रका वार्षिक मेला और रथोत्सव अगहन सुदी ११ से १५ तक होता है। क्षेत्रका पता इस प्रकार है-मन्त्री, श्री सिद्धक्षेत्र संरक्षिणी सभा, रेशन्दीगिरि, पो. नैनागिर (छतरपुर ) म. प्र.। ___ यहाँसे यदि अजयगढ़के पुरातत्त्वको देखने जाना चाहें तो रेशन्दीगिरिसे विजावर होकर जा सकते हैं। पजनारी रेशन्दीगिरिसे बसवाहा होकर वहाँसे बण्डा जाना चाहिए। बण्डासे पश्चिममें बण्डाबांदरी रोडपर ८ कि. मी. दूर बाकरई नदीके तटपर पहाड़ीपर यह क्षेत्र है। नदी-तटपर जैन धर्मशाला है तथा पहाड़ीपर एक विशाल अहातेमें मन्दिर है। मूलनायक भगवान् शान्तिनाथकी भूर्ति पद्मासन मुद्रामें ४ फुट अवगाहनाकी है। यह बड़ो अतिशय-सम्पन्न है। इसके कारण यह अतिशय-क्षेत्र कहलाता है। पता है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, पजनारी, पो. बण्डा। बेलई (सागर) म.प्र.। बीना-बारहा पजनारीसे बण्डा वापस आकर वहाँसे सागर ४५ कि. मी. है। सागरसे देवरीकलां ६६ कि. मी. है । पक्की सड़क है। देवरीकलांसे बीनाबारहा लगभग ६ कि. मी. है। मार्ग अभी तक कच्चा है। सड़क बन रही है। सड़क तैयार होनेपर कच्चा मागं केवल १ कि. मी. रह जायेगा। . यह अतिशय क्षेत्र है। भगवान् शान्तिनाथकी १५ फुट ऊंची खड्गासन प्रतिमा अत्यन्त अतिशय-सम्पन्न है। भगवान् महावीरकी एक पद्मासन प्रतिमा १३ फुट ऊंची है और दीवारमें ईट-गारेसे बनी हुई है। जली हुई नारियलकी जटाओंको घीमें मिलाकर उससे इसका लेप किया जाता है, जलसे अभिषेक नहीं किया जाता। क्षेत्रपर कुल ५ मन्दिर हैं। एक स्थानपर प्राचीन मूर्तियोंका संग्रह किया गया है । क्षेत्रपर धर्मशाला और बिजली है, कुआं भी है। ___यहांपर वार्षिक मेला २५ दिगम्बरसे १ जनवरी तक होता है। यहांका पता इस प्रकार है-मन्त्री, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बीना-बारहा, पो. देवरीकलां ( सागर ) म. प्र.। पटनागंज देवरीकलांसे रहली ३२ कि. मी. है । पक्की सड़क है। नियमित बस-सेवा है। रहली सुवर्णभद्र नदीके इस तटपर अवस्थित है तथा नदीके दूसरे तटपर पटनागंज क्षेत्र है। ठहरनेके लिए रहलीमें भी धर्मशाला है तथा पटनागंजमें भी धर्मशाला है । बाजार आदिकी सुविधा रहलीमें हैं। क्षेत्रपर बिजलीकी व्यवस्था है । कुएं भी हैं। इस क्षेत्रपर कुल २५ मन्दिर हैं। इनमें मन्दिर क्रमांक २२ बड़ा मन्दिर है तथा उसमें विराजमान साढ़े तेरह फीट ऊंची भगवान महावीरकी प्रतिमा 'बड़े देव' कहलाती है। यह प्रतिमा सातिशय है और इसीके कारण यह अतिशय क्षेत्र कहलाता है। मन्दिर नं. २३ में पार्श्वनाथ स्वामीकी दो अद्भुत प्रतिमाएं हैं । इनके सिरपर सहस्र फणावलीका वितान है।
SR No.090098
Book TitleBharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year1976
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & History
File Size19 MB
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