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भारतके विगम्बर जैन तीर्थ बुरहानपुर में क्षुल्लक धर्मदास हुए हैं। इनके भी तीन-चार अध्यात्म ग्रन्थ मिलते हैं। हिन्दू तीर्थ
सिद्धवरकूट क्षेत्रके निकट ओंकारेश्वर क्षेत्रमें ओंकारेश्वरका तिमंजिला मन्दिर है। विष्णुपुरीमें अमलेश्वर ज्योतिलिंग है। कावेरीके उद्गम स्थानपर चौबीसी अवतार और पशुपतिनाथका मन्दिर है। यहाँसे लगभग १० मील दूर सीतावाटिका नामक स्थान है। कहा जाता है कि यहाँ महर्षि वाल्मीकिका आश्रम था और सीताजीने परित्यक्त दशामें यहीं निवास किया था।
बनैड़िया मार्ग और अवस्थिति
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बनैडिया इन्दौर जिलेमें स्थित है। यह इन्दौर स्टेशनसे सड़क मार्गसे ४५ कि. मी. तथा पश्चिम रेलवेके पाविमा स्टेशनसे २९ कि. मी. है । इसका पोस्ट आफिस बनैडिया है । इन्दौरसे वाया देवालपुर बनैडिया तक बसें चलती हैं। क्षेत्र-दर्शन
यहां एक सरोवरके तटपर एक परकोटेके अन्दर दो जैन मन्दिर हैं, जिनमें एक प्राचीन है। दूसरा नवीन है जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १९९४ में हुई है। प्राचीन मन्दिरमें मूलनायक प्रतिमा भगवान् अजितनाथकी है। यह पद्मासन श्वेतवर्ण है । इसकी अवगाहना ३ फुट ८ इंच है। इस प्रतिमाकी प्रतिष्ठा शाह जीवराज पापड़ीवालने वि. सं. १५४८ वैशाख सुदी ३ को करायी थी। इस प्रतिमाके अतिरिक्त पापड़ीवाल द्वारा प्रतिष्ठित अन्य कई प्रतिमाएं भी यहां मिलती हैं। कुछ ऐसी भी प्रतिमाएं यहां विराजमान हैं, जिनकी प्रतिष्ठा पापड़ीवालकी माता वरयणा देवी तथा उनकी लघु पत्नी द्वारा करायी गयी थी। यहाँ वि. सं. १५४८ में प्रतिष्ठित ४३ प्रतिमाएं विद्यमान हैं। इनमें आदिनाथ ३ फुट ३ इंच, अजितनाथ २ फुट ११ इंच, चन्द्रप्रभ २ फुट ५ इंच, आदिनाथ २ फुट ९ इंच और अजितनाथ २ फुट ८ इंचकी प्रतिमाएं अधिक मनोज्ञ और प्रभावक हैं । ये सभी प्रतिमाएं श्वेत पाषाणकी हैं और पद्मासन हैं।
इसके पश्चात् वि. सं. १६७३, १७८४ और इनके पश्चात्कालकी अनेक प्रतिमाएं हैं।
इस मन्दिरमें चार वेदियाँ हैं। मुख्य वेदी भगवान् अजितनाथ की है। उनके समवसरणमें ७ पाषाण मूर्तियां हैं। बायीं ओरकी वेदीमें मूलनायक पाश्र्वनाथ हैं। उसमें २१ मूर्तियाँ विराजमान हैं। दायीं ओरको वेदीमें मूलनायक शान्तिनाथ हैं तथा साथमें ३४ मूर्तियां और विराजमान हैं। चौकमें वेदीपर भगवान् आदिनाथकी प्रतिमा है। चबूतरेपर एक गन्धकुटीमें भगवान् पाश्वनाथको प्रतिमा है । यही दूसरा मन्दिर कहलाता है । इस मन्दिरका शिखर अत्यन्त कलापूर्ण और दर्शनीय है। अतिशय
यहांकी मूलनायक प्रतिमाके अतिशयोंके सम्बन्धमें अनेक किंवदन्तियां प्रचलित हैं। यहाँपर केवल जैन ही नहीं हजारों जैनेतर लोग भी मनौती मनाने आते हैं। यहाँके वार्षिक मेलेके अवसर